खेतों से नीलगाय की परमानेंट छुट्टी, देशी घोल बनाकर करना है छिड़काव, किसानों के लिए रामबाण उपाय

Nilgai Bhagane Ka Tarika: आज के समय में किसान मौसम की मार के चलते अपनी फसलों के नुकसान होने से नहीं घबराते जितना की नीलगाय के द्वारा खेतों में किये जाने वाले नुकसान से घबराते है। इनकी वजह से किसान भाई पूरी पूरी रात ठीक से सो नहीं पाते है क्योंकि उनको अच्छे से पता है की जैसे ही वो सोयेंगे तो पता नहीं उनकी फसल के साथ में क्या होगा। किसान की इसी समस्या के लिए आज हम आप सभी को एक ऐसे घोल के बारे में बताने जा रहे है जिससे नीलगाय से आपको छुटकारा ही नहीं मिलेगा बल्कि वो कभी भी उस एरिया में लौट कर नहीं आएगी।
नीलगाय को भागने के लिए सबसे पहले किसान भाइयों को उसकी परवर्ती को समझना होगा तभी इसका उपाय (nilgai bhagane ka desi jugaad) किया जा सकता है। देखिये किसान भाइयों नीलगाय में एक आदत पाई जाती है की वे सभी अपने एक ठिकाना बनकर रखती है। उस ठिकाने में आपको एक काले रंग वाली नीलगाय और बाकि की भूरे रंग वाली नीलगाय होती है। इन सभी का एक एरिया होता है और इनके एरिया में दूसरे क्षेत्रों की नीलगाय कभी भी नहीं आती है।
नीलगाय अपने इलाके में चारों को कुछ स्थानों पर एक ढेर में गोबर करती है और कभी भी आप देखना की हर दिन नीलगाय उस जगह पर गोबर करने जरूर आती है। एक्चुअल में ये उनके इलाके की निशानी होती है की यहाँ तक उनका इलाका है। उनके गोबर की खुसबू के चलते दूसरे इलाके की नीलगाय कभी भीउस इलाके में नहीं आती है। इसके साथ ही नीलगाय तेज और तीखी दुर्गन्ध से भी दूर रहती है। अब इसकी उन्ही आदतों को हमें अपनी ढाल बनाकर इस्तेमाल करना होगा। चलिए जानते है की कैसे :
घोल को तैयार करना
सबसे पहले आपको घोल को तैयार करना है और ऊपर बताई गई बातों के आधार पर आपको ये घोल (nilgai bhagane ka desi jugaad) तैयार करना होगा। किसान भाइयों आज बहुत से किसान इसका इस्तेमाल कर रहे है और उनको इसका काफी अच्छा रिजल्ट देखने को मिला है। आपको घोल तैयार करने के लिए सबसे पहले नील के पत्ते लेने है। इसके साथ में आपको 1 किलोग्राम के आसपास कपूर लेना है। आपको किसी दूसरे इलाके में जाकर के नीलगाय का गोबर भी लेकर आना होगा। अब इन तीनों को आपको पानी में घोलकर के एक मिश्रण तैयार करना है। पानी की मात्रा इतनी लेनी है जितने से आपके खेत के चारों और एक एक हलाई में छिड़काव हो सके।
अब इस मिश्रण को पानी में घोलकर आपको छान लेना है ताकि छिड़काव करते समय में परेशानी ना होने पाए। आपको खेत के चारों और में इस घोल (nilgai bhagane ka dawai) का एक एक हलाई में छिड़काव करना है। इससे जो गंध पैदा होगी उससे नीलगाय उस इलाके में नहीं आयेगी। इसमें जो नीलगाय का गोबर मिश्रित किया हुआ है वो नीलगाय को ये अहसास करवाता है की ये उनका इलाका नहीं है। इस घोल का छिड़काव आपको हर 15 दिन में एक बार करना होगा क्योंकि औंस गिरने के चलते इसका असर जल्दी ही खत्म होने लगता है।
ये उपाय भी है कारगर
अभी हाल ही में सोलर से झटका देने वाले यंत्रों (nilgai bhagane ki machine) की भरमार भी मार्किट में हो चुकी है जिसको किसान इस्तेमाल कर रहे है लेकिन इनसे नुकसान ये है की दिन के समय में ये काम करते है और अगर कोई इंसान उसके चपेट में आ सकता है। हालाँकि झटका हल्का होता है लेकिन फिर भी इंसान के लिए ये काफी घातक हो सकता है।
कुछ किसान अपने खेत में इंसान के पुतले खड़े करते है जो भी अच्छे साबित होते है और कई किसान अपने खेतों में तेज आवास करने वाले यंत्रो (nilgai bhagane ka yantra) का उपयोग भी करते है ताकि उनकी आवाज से नीलगाय उनके इलाके में ना आने पाए। लेकिन जब नीलगाय को इसकी आदत हो जाती है तो ये भी बेकार साबित होने लगते है।
तारबंदी और फिरवाले का इंतजाम करना
किसान भाई अपने खेतो में तारबंदी करके भी नीलगाय से फसल की सुरक्षा कर सकते है लेकिन ये देखा गया है की नीलगाय के पीछे कुत्ते आदि पड़े है तो काफी तेज रफ़्तार से दौड़ने के दौरान वो तारबंदी को तोड़ देती है और खेतों में घुस जाती है। इससे आपको फिर से तारबंदी करनी पड़ती है। एक ट्रेंड जो पिछले कई सालों से चला आ रहा है उसका भी किसान उपयोग करते है।
अपने क्षेत्र में एक ऐसे व्यक्ति की नियुक्ति की जाती है जिसका काम यही होती है की वे नीलगाय को तेज आवास वाली बन्दुक चलकर भगाने का काम करते है। लेकिन ये वे लोग तभी कर पाते है जब उनको पता हो की नीलगाय किस इलाके में है। सरसों की खेती में तो पता भी नहीं चलता की नीलगाय इधर ही की नहीं क्योंकि सरसों की फसल में उनको देख पाना काफी मुश्किल होता है।
किसान भाइयों आपको अपने खेती के लिए कौन सा उपाय करना है ये तो आपके ऊपर ही निर्भर करता है लेकिन अगर आप घोल (nilgai bhagane ka gharelu upay) बनाकर इसका छिड़काव करते है तो ये काफी कारगर साबित हो सकता है। इसके साथ में ये काफी सस्ता उपाय भी है और इसमें आपका अधिक खर्चा भी नहीं होता है।