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किसानो को 2.47 लाख रु की सब्सिडी दे रही है सरकार, चाय की खेती के लिए मिलेगा प्रोत्साहन

बिहार राज्य में चाय की खेती बड़े स्तर पर की जा रही है। इसके साथ साथ सरकार की तरफ से भी किसानो को मदद के लिए सब्सिडी की सुविधा दी जा रही है। ताकि किसानो को खेती में किसी भी प्रकार की दिक्क्त न आये। बिहार राज्य सरकार चाय किसानो को 2.47 लाख रु की सब्सिडी दे रही है। 
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tea cultivation
बिहार ऐसा राज्य है जहा पर चाय की खेती बड़े पैमाने पर की जा रही है। देश में कुछ ही ऐसे राज्य है जहा पर चाय की बागानी की जाती है। इसमें असम, गुवाहाटी, दार्जिलिंग, जम्मू कश्मीर जैसे राज्य शामिल है। चाय की खेती अब बिहार राज्य में भी की जा रही है। ऐसे में सरकार भी चाय की खेती करने वाले किसानो के लिए सब्सिडी की सुविधा दे रही है। खासकर किशनगंज, अररिया, सुपौल, पूर्णिया एवं कटिहार क्षेत्र में चाय किसानो के लिए अच्छी मदद मिल रही है। इन एरिया में चाय की बम्पर खेती किसान कर रहे है। 

बिहार राज्य सरकार की तरफ से इन किसान के लिए सब्सिडी का प्रावधान किया गया है। जिसकी अधिक जानकारी horticulture.bihar.gov.in वेबसाइट के जरिये ली जा सकती है। बिहार कृषि विभाग ने इसके संबंधत में ट्विटर के जरिये जानकारी साझा की है। horticulture.bihar.gov.in वेबसाइट के जरिये इस योजना के लिए आवेदन किया जा सकता है। सब्सिडी की सुविधा अलग अलग कार्य के लिए जैसे की कृषि उपकरण एवं अन्य जरुरत के हिसाब से दी जाने वाली है। 


बिहार के इन जिलों में होती है चाय की खेती 

पुरे बिहार राज्य में चाय की खेती नहीं होती है। कुछ चुनिंदा जिले है। जिसमे चाय उतपादन होता है। इसमें अररिया, पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज जिले शामिल है। बिहार कृषि विभाग समय समय पर किसानो को इससे जुडी तकनीकी जानकारी भी मुहया करवाती है। बिहार के किशनगंज में सर्वाधिक रूप से चाय की खेती की जा रही है। यहाँ का प्राकृतिक सिस्टम चाय के लिए उपयुक्त है। यहाँ पर पारिस्थितिक तंत्र के अनुकूल होने के कारण बड़े पैमाने पर चाय की खेती की जा रही है। 

बिहार में इस समय लगभग 15,000 एकड़ से अधिक भूमि पर चाय की खेती की जा रही है। अररिया एवं कटिहार क्षेत्र में छोटे स्तर पर चाय की खेती होती है। जबकि किशनगंज क्षेत्र में अनुकूल परिस्थिति होने के कारण किसान बड़े पैमाने पर खेती कर रहे है। चाय की खेती से इस क्षेत्र के किसानो की आर्थिक स्थिति में भी काफी बदलाव आया है। बिहार के इन क्षेत्रों में कई ऐसे किसान भी है जो असम एवं पश्चिमी बंगाल चाय उत्पादन क्षेत्र से जुड़े थे। और इनके द्वारा धीरे धीरे अनुकूल परिस्थितियों में बिहार में भी चाय का सफल उत्पादन किया जाने लगा है। 

लोगो को मिल रहा है रोजगार 

बिहार के इन जिलों में चाय की खेती से किसानो को तो लाभ हो ही रहा है, इसके साथ साथ रोजगार के अवसर भी बन रहे है। चाय की खेती में कामगारों की जरुरत होती है। और बड़े लेवल पर हो रही चाय की खेती में हजारो की संख्या में लोगो को यहाँ पर रोजगार मिल रहा है। आने वाले कुछ वर्षो के दौरान यहाँ पर और अधिक रोजगार के अवसर खुलेंगे। 

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