नारियल की उन्नत खेती कैसे करे ? जानिए सम्पूर्ण जानकारी

Published on:

Coconut farming
Follow Us

Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now

Coconut farming : नारियल भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है। यह फल आराध्य होने के साथ -साथ हमारे दैनिक जीवन में भी अहम भूमिका निभाता है। यह एक ऐसा फल है जिसका प्रत्येक अंग उपयोगी है नारियल का फल तेल ,खाद्य,और पेय पदार्थ के रूप में उपयोगिता रखता है।। और इस फल का छिलका विभिन औद्योगिक कार्यो में उपयोगी होता है। इसके पत्ते और लकड़ी भी बहुत उपयोगी होती है। इसी उपयोगिता के कारण नारियल को क्लपवृक्ष भी कहा जाता है।

नारियल का पेड़ अधिक समय तक फल देता है ,नारियल का पेड़ 80 वर्षो तक हरा रहता है इसके पेड़ की लम्बाई 10 मीटर होती है। नारियल कच्चा में से उसका पानी निकल कर पीया जाता है। इसके अलावा पके नारियल में से तेल निकला जाता है। इसके तेल का प्रयोग शरीर के लगाने ,दवाइयों और खाने की लिए भी किया जाता है। नारियल को त्वचा पर लगाने से त्वचा साफ़ और धब्बो से रहित हो जाती है।

नारियल शरीर को अनेक लाभ प्रदान करता है। हिन्दू धर्म के धार्मिक अनुष्ठानों में नारियल के फल का उपयोग किया जाता है। नरियल को स्वर्ण का पौधा भी कहा जाता है। इसके फल में अधिक मात्रा में जिंक पाया जाता है ,इस वजह से इसके सेवन से मोटापे से छुटकारा मिलता है। और त्वचा की बीमारियों में भी काफी लाभकारी होता है। साथ ही इसको प्रयोग सर्दी ,जुकाम और जलन की बीमारियों से भी राहत मिलती है।

भारत का नारियल उत्पादन में प्रथम स्थान है। 21 राज्यों में नारियल की खेती के जाती है भारत सरकार ने 1981 में नारियल विकाश बोर्ड का गठन किया था ,इसका मुख्यालय कोच्ची शहर में है भारत में नारियल की खेती गोवा, उड़ीसा, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और समुद्रीय तटीय इलाको में मुख्य रूप से की जाती है।

दुनिया भर में नारियल की मांग बहुत ज्यादा बढ़ रही है। नारियल के उत्पादन की बात करे तो वर्ष में एक पेड़ 80 नारियलों का उत्पादन करता है जो बाजार में अच्छे दाम पर बिकते है।

हम आप को बता दे की ज्यादातर लोग सुबह की शुरआत नारियल से करते है। नारियल स्वास्थ्य के लिहाज में फायदेमंद होता है। इसका इस्तेमाल पूजा -पाठ में किया जाता है।
नारियल की मांग देश में अधिक हो रही है ,क्योकि इसमें अधिक गुण पाए जाते है। नारियल की बागवानी करना आसान होता है लेकिन कुछ बातो का ध्यान रखा जाता है ,जिसके बाद किसानो को अधिक मुनाफा प्राप्त होता है अगर आप भी नारियाक की खेती कर लाभ कमाना चाहते है तो आज हम आप को नारियल की सम्पूर्ण जानकारी बतायेगे।

नारियल के खेती को खेत के सहारे किनारो पर लगाया जाता है और खेत के अंदर कोई भी फसल को उत्पादित कर सकते है। नारियल में पानी के पूर्ति बारिश से हो जाती है ,इसकी खेती के लिए कीटनाशक और खाद के आवश्यकता भी नहीं होती है। लेकिन एरियोफाइड और सफेद कीड़े इसके पेड़ को नुकसान पहुंचते है ,इसलिए इसका विशेष ध्यान रखा जाता है।

नारियल की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और तापमान

नारियाल का पौधा उष्ण और उपोष्ण जलवायु का होता है। इसके लिए सापेक्ष आद्रता वाली जलवायु की आवश्यकता होती है।

गर्मी के मौसम में नारियल के पेड़ अच्छे से पक जाते है। इनके पेड़ो को सामान्य ताप की आवश्यकता होती है। नारियल के पेड़ को 60 % आद्रता वाली हवा की जरूरत होती है । इसके पौधे के लिए अधिकतम तापमान 40 डिग्री और न्यूनतम तापमान 10 डिग्री को सहन कर सकता है ,

नारियल की पैदावार की लिए उपयुक्त मिट्टी

नारियल की खेती के लिए उचित जल विकास वाली बलुई दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है। इसकी खेती पथरीली भूमि में भी की जाती है। कठोर भूमि में इसकी खेती नहीं करनी चाहिए क्योकि नारियल की जड़े अधिक गहराई तक पाई जाती है। इसकी खेती के लिए भूमि का PH मान 5.2 से 8.8 के मध्य होना चाहिए। इसकी खेती के लिए पानी वर्षा से मिल जाता है।

नारियल के पोधो की सिचाई

नारियल के पोधो को 3 से 4 वर्षो तक देखने की जरूरत होती है। इस दौरान इसके पौधे को सामान्य तापमान में होना चाहिए। नारियल की संकर किस्म को अधिक सिचाई की आवश्यकता होती है। संकर प्रजाति को गैर -परम्परागत क्षेत्रों में उगाया जाता है। अगर पौध की रोपाई बारिश के मौसम में की जाये तो इसको अधिक पानी की आवश्यकता होती है। और यदि इन्हे बारिश के मौसम में नहीं लगाया जाये तो पौध रोपाई के बाद तुरंत सिचाई करनी चाहिए।

नारियल को गर्मी के मौसम में 3 से 4 दिनों के अंतराल पर पानी देना चाहिए। ड्रिप विधि से सिचाई करना लाभकारी होता है,जिससे इनके पौधे की जड़ो को उचित मात्रा में पानी मिल पाता है।

नारियल की उन्नंत किस्मे

लम्बी प्रजाती

इस किस्म को गैर -परम्परागत क्षेत्रों में उगने के लिए तैयार किया जाता है। इस किस्म में पौधे की उचाई अधिक होती है। इसको पानी की भी अधिक आवश्यकता नहीं होती है ,नारियल के यह पेड़ पश्चिम तटीय क्षेत्रों में उगाया जाता है।

इसके अलावा गंगाभवानी, कावेरी, जावा स्याम, लक्षद्वीप ऑर्डिनरी, कपाडम, टाँल,माइक्रो, लक्षद्वीप रंगून, तेगाई वेस्ट कोस्ट, लक्षद्वीप मीडियम, कैतताली, कोचीन चाइना, अंडमानज्वॉइन्ट और घेई आदि किस्मे होती है। यह किस्म अन्य किस्म की तुलना में अधिक फल देती है।

बोनी प्रजाति

इस किस्म को पौधा आकार में छोटा या बोना होता है। इस किस्म की आयु और लम्बाई अन्य पोधो से कम होती है। नारियल की इस किस्म को पानी की अधिक जरूरत होती है और देखरेख भी करनी चाहिए। यह किस्म गैर -परम्परागत क्षेत्रों में कम पैदावार देती है यह अन्य प्रजातियों के अपेक्षा कम पैदावार देती है।

नारियल की इस किस्म की अन्य किस्मे भी है ,जो इस प्रकार है – ड्वार्फ- ग्रीन, चेन्थेंगू, फिलीपीन ड्वार्फ, लक्षद्वीप स्मॉल, अंडमान ड्वा ,र्मालद्वीप ड्वार्फ, लक्षद्वीप ड्वार्फ और चावत आदि किस्म है।

संकर प्रजाति

ये संकर प्रजाति की किस्म होती है। जिसको बोनी और लम्बी प्रजाति के साथ संकरण तैयार किया जाता है इस किस्म को अलग -अलग जलवायु के हिसाब से तेया किया जाता है। इस किस्म की 10 किस्मे है और अन्य को तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय और केरल कृषि विश्वविद्यालय में तैयार किया जाता है। इस किस्म के पौधे की अच्छे से देखरेख करने पर यह अच्छी पैदावार देता है।

नारियल के खेती की तैयारी

नारियल को खेत में लगाने से पहले खेत को अच्छे तरह से तैयार कर लेनी चाहिए। खेत की अच्छे से जुताई करनी चाहिए और उसको समतल कर देना चाहिए ,ताकि जल भराव की समस्या नहीं हो सके। उसके बाद खेत में पौध को लगाने के लिए गड्डो को तैयार करना चाहिए

गड्डो को पक्ति में तैयार किया जाता है। गड्डो के बीच 20 से 25 फ़ीट की दूरी होनी चाहिए। गड्डो को चौड़ा और गहरा करना चाहिए। फिर उसमे 25 KG के लगभग गोबर की खाद का प्रयोग भी करे जिससे पौधे का विकास अच्छे से हो सके। इसके साथ आप उसमे N.P.K. की 500 GM मात्रा को मिट्टी में मिलकर गड्डे में भर देना चाहिए।

नारियल की पौध रोपाई का सही समय

नारियल की पहले पौध तैयार की जाती है उसके बाद पौध के रोपाई की जाती है। और पौध रोपाई जून के महीने में लगाई जाती है यदि खेत में चींटी का प्रकोप हो तो पहले खेत में सेविडोल 8जी की 5 ग्राम की मात्रा में पौधे को उपचारित कर ले। फिर इसके बाद गड्डो में पौध की रोपाई कर देते है। उसके बाद गड्डो को मिट्टी से भर देते है। इसके पौधे की रोपाई जून से सितम्बर महीने में भी की जा सकती है।

खरपतवार नियंत्रण

नारियल के पोधो में खरपतवार नियंत्रण आवश्यक है खरपतवार नियंत्रण के लिए प्राकृतिक विधि का प्रयोग करना चाहिए। इसके लिए पोधो की निराई – गुड़ाई करनी चाहिए। नारियल के पौधे को तैयार होने में 5 से 8 वर्ष का समय लगता है इसके अलावा किसान खाली पड़ी भूमि में कोई भी खेती कर इसके अलावा अन्य कमाई भी कर सकते है। इसके पोधो की वर्ष में 3 से 4 गुड़ाई करनी चाहिए।

नारियल के पोधो में लगने वाले रोग और रोकथाम के उपाय

गैंडा भृंग

  • इसके पेड़ पर राइनोसोरस बीटल नामक कीट हो जाता है। यह कीट पोधो के शाखाओ को खाकर नष्ट कर देता है जिससे पौधा कमजोर हो जाता है। अगर पौधे में ऐसा कीट दिखे को उसकी उस शाखा को अलग कर देना चाहिए .
  • इसके रोकथाम के लिए पत्तियों की कोपल में सेविडॉल 8 जी की 25 GM की मात्रा को 200 GM बालू में मिलाकर उसमे भर देना चाहिए।

कली सड़न

  • यह रोग अधिक ख़तरनाक होता है जो पौधे को पूरी तरह नष्ट कर देता है। यह रोग पौधे की कलियो पर आक्रमण करता है इससे कलिया मुरझने लगती है। यह रोग लगने पर पौधा सड़ने लगता है।
  • इसके बचाव के लिए बोर्डो मिश्रण का छिड़काव पौधों पर सप्ताह में दो बार करना होता है।

फल सड़न रोग

  • यह रोग नारियल की पैदावार को प्रभावित करता है यह फल को पूरी तरह सड़ा देता है जिससे फल विकास के समय ही नष्ट हो जाते है इसके साथ पेड़ में फलो की कम पैदावार होती है।
  • इसके बचाव के लिए बोर्डो मिश्रण या फाइटोलॉन की उचित मात्रा में छिड़काव करना चाहिए।

नारियल के फलो की तुड़ाई

 

नारियल के फलो की तुड़ाई करना कठिन कार्य होता है। क्योकि इसका फल पेड़ के शीर्ष पर लगता है और पेड़ की लम्बाई भी अधिक होती है जिसे तोडना कठिन है इसलिए पेड़ पर चढकरफलो की तुड़ाई करे। और फलो को तैयार होने में 15 दिनों का समय लगता है ,आप उनको पहले भी तोड़ सकते है। जब फल हरा हो जाये तब तुड़ाई करे। इसके अलावा आप उसकी तुड़ाई पकने पर भी कर सकते है जब वह पीला हो जाये। पूर्ण रूप से पके फल से रेशे और तेल प्राप्त होता है।

नारियल की पैदावार

 

एक हेक्टैयर के क्षेत्र में एक बार से 50 किवंटल की पैदावार होती है नारियल के पेड़ 80 वर्षो तक फल देता है। नारियल का बाजारी भाव काफी अच्छा होता है इससे किसान अच्छी पैदावार कर अच्छी कमाई कर सकता है। नारियल को कच्चा और पका भी बेच सकते है। इसकी अच्छी पैदावार से किसान अधिक लाभ कमा सकते है।