पिंक बॉल टेस्ट, जिसे गुलाबी गेंद से खेला जाता है, क्रिकेट का एक विशेष प्रारूप है, जो हाल के वर्षों में अधिक लोकप्रिय हुआ है। इसकी शुरुआत 2015 में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच हुई थी। भारत ने इस प्रारूप में 2019 में कदम रखा था, जब बांग्लादेश के खिलाफ कोलकाता के ईडन गार्डेंस में पहला पिंक बॉल टेस्ट खेला गया था। अब, 6 दिसंबर से भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच एडिलेड में होने वाला टेस्ट भी पिंक बॉल टेस्ट होगा, जो भारतीय टीम के लिए एक महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण मुकाबला साबित हो सकता है।
भारत की पिंक बॉल टेस्ट में उपलब्धियां और चुनौतियां
भारत ने अब तक कुल चार पिंक बॉल टेस्ट खेले हैं, जिसमें से उसे तीन मैचों में जीत और एक में हार का सामना करना पड़ा है। भारत ने सभी तीन जीत घरेलू मैदान पर दर्ज की हैं, जबकि पहली पिंक बॉल टेस्ट हार उसे ऑस्ट्रेलिया में मिली थी। इसका मतलब यह है कि भारत को विदेश में पहली पिंक बॉल टेस्ट जीत की तलाश है, जो आसान नहीं होगा क्योंकि ऑस्ट्रेलिया पिंक बॉल टेस्ट की चैंपियन टीम मानी जाती है। ऑस्ट्रेलिया ने अब तक 12 पिंक बॉल टेस्ट खेले हैं, जिसमें से 11 मैचों में जीत हासिल की है। ऐसे में, भारत के लिए ऑस्ट्रेलिया की धरती पर यह टेस्ट एक बड़ा संकट हो सकता है।
रोहित शर्मा और शुभमन गिल की वापसी
भारत के कप्तान रोहित शर्मा और स्टार बल्लेबाज शुभमन गिल पिंक बॉल टेस्ट का हिस्सा बनने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। दोनों ही खिलाड़ी अब तक इस प्रारूप का हिस्सा बन चुके हैं, और उनकी वापसी से टीम को मजबूती मिल सकती है। इसके साथ ही, खबर है कि देवदत्त पडिक्कल और ध्रुव जुरेल को प्लेइंग इलेवन से बाहर किया जा सकता है। अगर ये बदलाव होते हैं, तो भारत के पास पिंक बॉल टेस्ट में पांच खिलाड़ी होंगे, जो ओपनिंग करेंगे।
नए चेहरों की पहली पिंक बॉल टेस्ट में एंट्री
इस बार भारत के कुछ खिलाड़ी पहली बार पिंक बॉल टेस्ट में अपना हाथ आजमा सकते हैं। इनमें केएल राहुल और मोहम्मद सिराज शामिल हैं, जिन्होंने अभी तक इस प्रारूप में कदम नहीं रखा है। इसके अलावा, यशस्वी जयसवाल, नितीश कुमार रेड्डी और हर्षित राणा भी पिंक बॉल टेस्ट में डेब्यू करने वाले हैं। इन खिलाड़ियों के लिए यह बड़ा अवसर होगा, जहां वे अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही इस चुनौतीपूर्ण प्रारूप का सामना करेंगे।