कीवी की खेती की सम्पूर्ण जानकारी :उन्नत किस्मे ,पैदावार और लाभ

by Saloni Yadav
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kivi ki kheti

Kiwi Cultivation : कीवी की खेती व्यापारिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी जाती है। बाजार में कीवी की अच्छी कीमत होने के कारण इसकी खेती करने वाले किसानो को अच्छी पैदावार प्राप्त होती है। कीवी एक विदेशी फल है। कीवी हमारे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करती है। और इस फल में इम्युनिटी बढ़ाने की क्षमता होती है। कीवी देखने में भूरी और काटने पर अंदर से कुछ सफेद और कुछ हरी होती है ,यह एक प्रकार का औषधीय फल है। कीवी कई बीमारियों में भी फायदेमंद होती है। सेहत के लिए कीवी अत्यधिक लाभकारी होती है ,जिस कारण से भारत में कीवी की मांग बढ़ रही है।

कीवी को मूलरूप से चीन में उगाया जाता है इसलिए इसे चाइनीज गुजबेरी भी कहा जाता है विश्व में कीवी के मांग बढ़ रही है। भारत में कीवी की खेती उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, सिक्किम, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश,नागालैंड, मणिपुर और केरल में बड़े पैमाने पर की जाती है। न्यूजीलैंड को वर्तमान समय में सबसे बड़ा उत्पादक देश माना जाता है।
विदेशी में कीवी की खेती न्यूजीलैंड, इटली, अमेरिका, चीन, जापान, आस्ट्रेलिया, फ्रांस, चिली और स्पेन में की जाती है।

चीन को कीवी फल का जन्मदाता कहा जाता है। कीवी में विटामिन C की अधिक मात्रा पाई जाती है ,इसके अलावा पोटेशियम, विटामिन ई, सोडियम, फाइबर, कॉपर और एंटी ऑक्सीडेंट की मात्रा भी कीवी में पाई जाती है। कीवी का फल ऊपरी भाग से चमकीला होता है। जिसको देखने में काफी सुन्दर होता है ,इसका भाव भी अधिक पाया जाता है। अगर आप भी कीवी की खेती करने का मन बना रहे है तो आज हम आप को कीवी की खेती की सम्पूर्ण जानकारी देंगे।

कीवी खाने के फायदे

  • कीवी में विटामिन C ,और E ,फाइबर, पोटेशियम, कॉपर, सोडियम और एंटी ऑक्सीडेंट अच्छी मात्रा में पाई जाती है ,जो मानव शरीर के लिए उपयोगी है।
  • कीवी में विटामिन के मात्रा अधिक पाई जाती है।
  • डेंगू बुखार में इस फल को खाने से लाभ होता है।
  • कीवी का सेवन करने से त्वचा में चमक बढ़ती है।
  • कीवी के सेवन से बालो का झड़ना कम होता है और चमक भी बढ़ती है।

कीवी की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और तापमान

कीवी की खेती के लिए जनवरी का महीना सबसे अच्छा होता है। कीवी की खेती में ठंडी जलवायु लाभदायक होती है। और गर्म व् तेज हवा कीवी की खेती के लिए नुकसानदायक होती है। कीवी की खेती के लिए उसकी रोपाई के 6 महीने बाद का तापमान 15 से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है ,उस जगह पर कीवी की खेती अच्छी पैदावार देती है। जिसमे वार्षिक वर्षा 150 cm और सर्दियों में तापमान लगभग 7 डिग्री सेल्सियस रहता है।

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कीवी की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी

कीवी की खेती के लिए उचित जल निकास वाली मिट्टी की आवश्यकता होती है। इसमें हल्की अम्लीय और गहरी दोमट मिट्टी सबसे ज्यादा उपयुक्त होती है ,और भूमि का PH मान 5 से 6 के मध्य होना चाहिए। कीवी के लिए जैविक और कार्बनिक खाद युक्त मिट्टी लाभदायक होती है।

कीवी के पौधे की सिचाई

कीवी की खेती में सिचाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इसके लिए पौध लगाने के बाद इसकी सिचाई की जननी चाहिए। गर्मी के मौसम में 3 से 4 दिन में पानी देना चाहिए और सर्दियों के मौसम में 8 से 10 दिनों के अंतराल पर पानी देना चाहिए। बारिश के मौसम में जरूरत के अनुसार पानी देना चाहिए। एक वर्ष में 18 से 20 सिचाई की जाती है

कीवी की उन्नत किस्मे

विश्व में कीवी के अनेक किस्मे पाई जाती है ,लेकिन भारत में कीवी की कुछ ही किस्मो का उत्पादन किया जाता है। जिन किस्मो को कलम या ग्राफ्टिंग विधि से तैयार करते है ,जो से प्रकार है –

एलिसन

कीवी की इस किस्म को पककर तैयार होने में 160 से 170 दिन का समय लगता है इसकी लम्बाई सामान्य होती है। इनके पौधे 8 मीटर तक बढ़ती है इस किस्म में फल का आकार मध्यम होता है। इस किस्म के एक पौधे से 80 से 90 KG फल का उत्पादन होता है।

मोन्टी

इस किस्म के पौधे की लम्बाई 8 मीटर होती है ,जिससे निकलने वाले फल मध्यम आकार के होते है। कीवी की यह किस्म पौध रोपाई के 180 से 190 दिनों के बाद फल देती है। इस किस्म का एक पौधा 80 से 90 KG फल का उत्पादन करता है

एबाट

कीवी की इस किस्म के फल अधिक मीठे होते है इस किस्म को ठंडी जलवायु में उगाया जाता है। इस किस्म का एक पौध 60 से 80 KG का उत्पादन प्राप्त होता है कीवी की यह किस्म कम समय में पैदावार देना शुरू कर देती है। इसके फल मीठे होते है।

ब्रूनो

इस किस्म के पौधे की लम्बाई सामान्य होती है इसमें विटामिन C की सबसे अधिक मात्रा पाई जाती है। इस किस्म का एक पेड़ 90 से 100 KG तक का होता है। यह किस्म पौधे रोपाई के बाद जल्द ही पैदावार देना प्रारम्भ करती है।

कीवी की पौध कैसे तैयार करे ?

कीवी के पौध को तैयार करने में तीन विधि का प्रयोग किया जाता है। जो इस प्रकार है –

बडिंग विधि

यह विधि सबसे उत्तम होती है ,इस विधि में कीवी से बीज निकलकर उसे साफ़ कर सूखा लिया जाता है। बीजो को सूखने के एक सप्ताह बाद बोना चाहिए।। मई या जून के महीने में इसे नर्सरी में लगाया जाता है।

कटिंग विधि

कीवी की एक साल पुरानी टहनी को जनवरी की महीने में काट ली जाती है इस कटी कली पर रूट ग्रोथ हार्मोन लगाकर मिट्टी में गाड़ देना चाहिए। इस तरह से तैयार पौध को अगली साल लगाना चाहिए।

लेयरिंग विधि

कीवी की एक वर्ष पुरानी शाखा को काट लेनी चाहिए ,और उसके छाल को हटा देना चाहिए ,एक बात का ध्यान रहे की उसमे हवा नहीं जनि चाहिए।

कीवी की खेती के लिए खेत को तैयार करना

कीवी की खेती के लिए सबसे पहले खेत को अच्छे से तैयार करना चाहिए ,जिससे खेत की जुताई करनी चाहिए फिर खेत में पानी देनी चाहिए और फिर उसमे जुताई करे ,जिससे मिट्टी भुरभुरी हो जाये और फिर से उसमे पाटा लगवाकर खेत को समतल कर देना चाहिए ताकि जलभराव की समस्या नहीं हो सके। उसके बाद उसमे पोधकि रोपाई कर देनी चाहिए।
जुताई से पहले आप खेत में गोबर की खाद भी डाल सकते हो। जिससे होने वाली खेत में फलो की अच्छी पैदावार हो सके।

कीवी के पौध को रोपना

कीवी की खेती के लिए पौध का रोपण जनवरी में किया जाता है इसकी खेती में पौध से पौधे के दुरी 6 मीटर होनी चाहिए और पक्ति से पक्ति के दुरी 4 मीटर होनी चाहिए .इसके बाद गड्डे में इसकी पौध को लगानी चाहिए ,उसमे आप गोबर की खाद भी डाल सकते है फिर आप पौधे को उसमे लगानी चाहिए।

पौधे की रोपाई ठन्डे मौसम में की जाती है ,इसके लिए दिसंबर में भी पौध को लगा सकते है कीवी को सर्दियों में गिरने वाले पीला से बचाना चाहिए। इसके लिए पौधे को पुलाव से धक् देना चाहिए।

खरपतवार नियंत्रण

कीवी की खेती में खरपतवार नियंत्रण में विशेष ध्यान देना चाहिए ,इसके लिए प्राकृतिक तरीके का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। सबसे पहले निराई -गुड़ाई पौध रोपाई के 20 से 25 दिनों के बाद की जाती है। इसके बाद पोधो के हर महीने गुड़ाई की जाती है जिससे पोधो के विकास के साथ -साथ फल की पैदावार भी अच्छी होती है।

कीवी के खेत में उर्वरक की मात्रा

कीवी के खेती में गड्डो में प्राकृतिक और रासायनिक खाद की उचित मात्रा देनी चाहिए ,जिससे पोधो का विकास अच्छे से हो सके। गोबर की खाद को मिट्टी में मिलकर गड्डो को भर देना चाहिए। और पौध को लगा देना चाहिए। पौध रोपाई के बाद उसकी सिचाई की जानी चाहिए। पौध की रोपाई के बाद खाद की मात्रा भी बढ़ा देनी चाहिए।

कीवी की फसल में लगने वाले रोग व् रोकथाम के उपाय

हम आप को बता दे की कीवी की फसल में अभी तक कोई रोग देखने को नहीं मिला है ,परन्तु जलभराव के कारण जड़ गलन रोग हो सकता है इसके रोकथाम के लिए सबसे पहले जलभराव होने ही नहीं दे। अगर हो भी जाये तो बाविस्टिन का छिड़काव पौधों की जड़ो पर करना चाहिए।

कीवी के फलो की तुड़ाई कैसे करे ?

कीवी के फसल को तैयार होने में 4 वर्ष का समय लगता है ,जब इसके फूल आने लगे उसके 8 से 9 मीनो के बाद फल पककर तैयार हो जाते है। उसके बाद फलो की तुड़ाई की जा सकते है। कीवी के फलो को तोड़कर एक जगह पर इक्क्ठा कर ले और उसके बाद आप उसे बाजार में भी भेज सकते है।

कीवी के पौधे से प्राप्त पैदावार और लाभ

कीवी की खेती के लिए एक हेक्टैयर के क्षेत्र में लगभग 400 के आस -पास पौधे लगाए जाते है ,जिनसे 90 से 100 KG फलो का उत्पादन होता है। इस हिसाब से एक हेक्टैयर के क्षेत्र में 50,000 KG की पैदावार हो सकते है

कीवी के बाजारी भाव की बात करे तो कीवी का भाव 100 से 250 रुपए किओ होता है ,जिससे किसानो को एक बार में 20 लाख तक की कमाई हो सकती है। अच्छी पैदावार से किसानो को अच्छी कमाई प्राप्त होती है।

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