Jaya Ekadashi 2025: कब मनाई जाएगी जया एकादशी, जानिए डेट और शुभ मुहूर्त

हर महीने में शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि पर जया एकादशी मनाई जाती है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है पूरे विधि विधान से उनकी पूजा की जाती है। एकादशी व्रत को करने से मनुष्य को भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है और उनका जीवन सफल हो जाता है। व्यक्ति के जीवन में आने वाले संकट को श्रीहरि हरण कर लेते हैं और जीवन समस्या से मुक्त हो जाता है। जया एकादशी का व्रत कब रखना है और शुभ मुहूर्त क्या है इसके बारे में जान लीजिए। जया एकादशी के व्रत को करने से परिवार में कभी भी दुख नहीं आता है सुख समृद्धि बनी रहती है। अगर आप तंगी का सामना कर रहे होते हैं या बनते काम बिगड़ जाते हैं तो इन चीजों की बाधा भी दूर हो जाती है।
क्या है जया एकादशी की मान्यता
जया एकादशी की मान्यता के बारे में बात करें तो यह दिन विष्णु भगवान और लक्ष्मी माता को समर्पित किया गया है। मान्यता के अनुसार पूजा पाठ करने से रोग दूर हो जाते हैं और पाप से मुक्ति मिलती है। इस दिन पूरे विधि विधान से पूजा करना चाहिए। जया एकादशी का मृत व्यक्ति के जीवन में खुशहाली लाता है इस पूजा पाठ की शुरुआत आपको ब्रह्म मुहूर्त से ही शुरू कर देना चाहिए। इस समय शुभ मुहूर्त होता है जिससे पूजा करने का फल भी मिलता है।
कब है जया एकादशी
जया एकादशी का व्रत 7 फरवरी से सुबह 9:26 से शुरू हो जाएगा और 8 फरवरी रात 8:15 तक रहेगा। हिंदू धर्म में इस व्रत का विशेष महत्व होता है। इस व्रत को 8 फरवरी को किया जाता है।
क्या है पारण का समय
हिंदू पंचांग के अनुसार देखा जाए तो जया एकादशी के पारण का समय 9 फरवरी का है। द्वादशी तिथि को पारण का शुभ मुहूर्त सुबह 7:04 से शुरू होगा और 9:17 तक रहेगा।
जया एकादशी के नियम
- जया एकादशी के दिन पवित्रता का पूरा ध्यान रखना चाहिए। इस दिन व्रत करना महत्वपूर्ण माना जाता है।
- भगवान विष्णु की आरती करनी चाहिए और उनकी मूर्ति को स्थापित करके पूजा करनी चाहिए।
- उपासक को दान दक्षिणा देना चाहिए इसका विशेष विधान होता है। आपको गरीबों और जरूरतमंदों में दक्षिणा देना चाहिए।
- जया एकादशी के दिन शाम के समय भजन किया जाता है और विष्णु भगवान का स्मरण किया जाता है।
- घर में या उपासक को किसी भी प्रकार के अशुद्ध वातावरण में नहीं रहना है।
- मास मदिरा का सेवन करने वाले तामसिक प्रवृति के लोगो से इस दिन दूर रहना चाहिए
- एकादशी के दिन भजन कीर्तन में समय बिताने से मन को शांति मिलती है। जिससे मन अच्छा रहता है।
- इस दिन घर में आये याचक को खाली हाथ नहीं भेजना चाहिए, चाहे तो भोजन ही कर सकते है।
- वैसे तो धर्म शास्त्रों के मुताबिक यदि कोई भी प्राणी आपके दरवाजे पर खाना मांगे तो उसको कभी मना नहीं करना चाहिए।