नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद ने अखिलेश यादव पर लगाया दलित विरोधी होने का आरोप, सपा सरकार पर साधा निशाना

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Nagina MP Chandrashekhar Azad accused Akhilesh Yadav of being anti-Dalit, targeted the SP government
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लखनऊ, 04 मई 2025: उत्तर प्रदेश की सियासत में एक बार फिर से दलित वोट बैंक को लेकर हलचल तेज हो गई है। नगीना से सांसद और आजाद समाज पार्टी के नेता चंद्रशेखर आजाद ने समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव पर दलित विरोधी होने का गंभीर आरोप लगाया है। चंद्रशेखर ने सपा और अखिलेश पर दलितों के हितों की अनदेखी करने का दावा किया है।

सपा सरकार पर चंद्रशेखर का हमला

चंद्रशेखर आजाद ने अपने बयान में कहा कि अखिलेश यादव ने अपनी सरकार के दौरान (2012-2017) अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के 78 सहायक समीक्षा अधिकारियों (ARO) की नियुक्ति को रोक दिया था। उन्होंने आरोप लगाया कि यह फैसला अखिलेश यादव की दलित विरोधी सोच, जातिवादी द्वेष और संकीर्ण मानसिकता को दर्शाता है। चंद्रशेखर ने कहा, “सपा और अखिलेश यादव ने दलितों के हक को कुचला। उनकी सरकार में SC-ST वर्ग के लोगों को उनके अधिकारों से वंचित रखा गया।”

पहले भी लग चुके हैं दलित विरोधी होने के आरोप

यह पहली बार नहीं है जब चंद्रशेखर आजाद ने अखिलेश यादव पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाया है। इससे पहले भी वह सपा पर दलित वोट बैंक का इस्तेमाल करने, लेकिन उनके हितों की अनदेखी करने का इल्जाम लगा चुके हैं। चंद्रशेखर ने हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर भी इस मुद्दे को उठाया था और सपा सरकार की कथित दलित विरोधी नीतियों की जांच की मांग की थी।

सियासी घमासान के आसार

चंद्रशेखर आजाद के इस बयान से उत्तर प्रदेश की सियासत में एक बार फिर से हलचल मचने की संभावना है। सपा और अखिलेश यादव पहले से ही विपक्षी दलों के निशाने पर हैं, और अब दलित वोट बैंक को लेकर यह नया विवाद उनके लिए चुनौती बन सकता है। हालांकि, सपा की ओर से अभी तक इस बयान पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।

क्या है पूरा मामला?

चंद्रशेखर आजाद ने अपने आरोप में कहा कि 2012 से 2017 के बीच सपा सरकार ने उत्तर प्रदेश सचिवालय में SC-ST वर्ग के 78 सहायक समीक्षा अधिकारियों की नियुक्ति को जानबूझकर रोका। उनका दावा है कि यह कदम दलित समुदाय के प्रति सपा की संकीर्ण सोच को दर्शाता है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब दलित वोट बैंक को लेकर सभी राजनीतिक दल अपनी रणनीति मजबूत करने में जुटे हैं।

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