नई दिल्ली. New Varieties Of Wheat: कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा हर दिन कोशिश की जाती है की इसी किष्मों को विकसित किया जा सके जो आज के मौसम के हिसाब से सही रहे और उससे किसानो को पैदावार अधिक होने के साथ साथ उनमे रोग प्रतिरिधक छमता भी अधिक रहे। रोग प्रतिरोधक छमता अधिक होने से किसानो को कम कीटनाशकों का उपयोग करना होगा जिससे पर्यावरण के साथ साथ में पैदा होने वाले अनाज की क्वालिटी भी अच्छी होगी। लेकिन अब वो दिन आ गया है और वैज्ञानिकों ने गेहूं की कुछ नई किस्मों को ईजाद कर लिया है।
भारत में जिस रफ़्तार के साथ में वातावरण में बदलवाव आ रहे है उसके लिए वैज्ञानिकों के द्वारा ईजाद की गई गेहूं की किसमे किसानो के लिए रामबाण सिद्ध होने वाली है। वैज्ञानिकों के द्वारा तीन गेहूं की नई किस्मों (New Varieties Of Wheat) को विकसित किया गया है जिनमे अधिक तापमान को सहने के साथ साथ में अधिक पैदावार भी देती है। इसके अलावा इन तीनों किस्मों में रोग प्रतिरिधक छमता भी अधिक है।
कौन कौन सी नई किस्मों को विकसित किया है
कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा तीन गेहूं की नई किस्मों (New Varieties Of Wheat) की विकसित किया गया है जिनमे डीबीडब्ल्यू 370 (करण वैदेही), डीबीडब्ल्यू 371 (करण वृंदा), डीबीडब्ल्यू 372 (करण वरुणा) शामिल है। ये किसमे अब किसानो को फायदा देकर उनकी किस्मत को चमकाने वाली है। किसानो को इनकी बुवाई के बाद बम्पर पैदावार मिलने वाली है। गेहूं की ये सभी किस्में अगेती खेती के लिए ईजाद की गई है।
New Varieties Of Wheat
इन किस्मों में डीबीडब्ल्यू 371 (करण वृंदा) किस्म सिंचित क्षेत्रों के लिए है जिसमे किसान भाई प्रति हेक्टेयर के हिसाब से लगभग 80 क्विंटल की पैदावार आसानी से ले पाएंगे। गेहूं की इस किस्म को तैयार होने में लगभग 150 दिन का समय लगता है। गेहूं की इस किस्म में 12.2 फीसदी प्रोटीन की मात्रा होती है।
इसके अलावा अगर बात डीबीडब्ल्यू 370 (करण वैदेही) किस्म की करें तो इसमें भी किसान भाई प्रति हेक्टेयर के हिसाब से लगभग 74 क्विंटल की पैदावार आसानी से ले पाएंगे। गेहूं की ये नई किस्म को तैयार होने में लगभग 151 दिन का समय लगता है और इस किस्म में 12 फीसदी तक प्रोटीन पाया जाता है।
गेहूं की ये किस्में रोग प्रतिरोधक है
किसान भाई अभी तक गेहूं की जिन किस्मों (New Varieties Of Wheat) की बुवाई करते आये हैं उनमे किसानो को बहुत अधिक मात्रा में कीटनाशकों का उपयोग करना होता है। लेकिन वैज्ञानिकों के द्वारा विकसित की गई इन तीनो किस्मों में रोग प्रतिरोधक छमता बहुत अधिक होने के कारण अब किसानो को इसकी चिंता नहीं करनी पड़ेगी। गेहूं की इन किस्मों में पीला और भूरा रतुआ की सभी प्रकार की रोगजनक प्रकारों की रोग प्रतिरोधक छमता मौजूद होने के कारण किसानो को परेशानी का सामना नहीं करना होगा। और इसी कारण से किसानों की इन किस्मों में पैदावार भी अधिक मिलती है।
देश के सभी किसान भाई अगर इन किस्मों (New Varieties Of Wheat) की बुवाई अपने खेतों में करना चाहते है तो उनको इन किस्मों के बीजों को आईसीएआर-भारतीय गेहूँ और जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल, हरियाणा के सीड पोर्टल से खरीदने होंगे। इस पोर्टल पर सभी किसानो के लिए गेहूं की इन किस्मों के बीज उपलब्ध है। किसान भाई यहां से भीजों को लेकर अपने खेतों में इन किस्मों की फसलों की बुवाई कर सकते है।