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गुलाब की उन्नत खेती कैसे करे ,जानिए कैसे कमाए मुनाफ

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Rose Cultivation : भारत में अनेक प्रकार के रंग -बिरंगे फूलो की खेती की जाती है जैसे -कमल,गेंदा,लिल्ली ,सूरजमुखी और गुड़हल आदि फूलो की खेती की जाती है। गुलाब इन फूलो में एक ऐसा फूल है ,जिसको लोग काफी पसंद करते है ,ज्यादातर लोग इसके रंग से प्रभावित होते है। गुलाब अनेक रंगो का होता है। गुलाब का मूल स्थान एशिया को माना जाता है ग्रीन हाउस में खेती करना ज्यादा प्रसिद्ध है और गुलाब की खेती ग्रीन हाउस द्वारा करने से इसके फूलों की गुणवत्ता, खुले खेत की गई खेती करने से ज्यादा बढ़िया होती है। गुलाब की पत्तियों से कई प्रकार की दवाइया बनाई जाती है। जिससे तनाव और त्वचा के रोगो को खत्म किया जा सकता है। गुलाब की कई प्रजातिया यूरोप, अमरीका और अफ्रीका की भी है। गुलाब रंग और आकार में सबसे अलग दिखाई देता है।

गुलाब को सभी फूलो का राजा कहा जाता है। फूलो का प्रयोग किसी भी प्रोग्राम होने पर या फिर स्वागत करने पर सबसे पहले फूल देखने को मिलते है। वैसे तो घरो में भी होने वाले छोटे -छोटे प्रोग्रामो में भी फूल का उपयोग किया जाता है। इस तरह बाजारों में भी फूलो की मांग अधिक होती है। सबसे ज्यादा गुलाब के फूलो को पसंद किया जाता है। शादी -विवाह में तो इसकी मांग ज्यादा ही हो जाती है। आजकल गुलाब के फूलो का उपयोग सभी जगह पर किया जाता है। गुलाब का रंग गुलाबी होता है वैसे तो गुलाबी फूल तो कई बार देखते है और पीले ,सफेद ,नारंगी ,लाल ,काले ,नीले आदि फूल भी अब देखने के लिए मिल जाए है। फूलो का प्रतीक गुलाब के फूल को ही कहा जाता है। गुलाब का उपयोग गुलाब जल, गुलाब इत्र, गुलकंद और कई तरह की औषधीय बनाने के लिए भी किया जाता है।

गुलाब की सुंदरता के कारण कई लोग इस अपने पास रखना पसंद करते है इसका प्रयोग ओसधिय कार्यो में भी किया जाता है। गुलाब का मानव जीवन में बहुत महत्व होता है। अगर आप भी गुलाब की खेती करने का मन बना रहे है तो आज हम आपको इसकी खेती के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दी जाएगी।

गुलाब की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और तापमान

गुलाब की खेती समशीतोष्ण जलवायु में अधीक पैदावार देती ही। इसके लिए ज्यादा गर्म जलवायु की आवश्यकता नहीं होती है। ठंडी जलवायु में इसकी खेती अच्छी उपज देती है। भारत में गुलाब की खेती लगभग सभी राज्यों में की जाती है। ग्रीनहाउस और पालीहाउस में गुलाब की खेती वर्ष भर की जाती है।

गुलाब की खेती के लिए अधिकतम 30 डिग्री और न्यूनतम 15 डिग्री तापमान उचित माना जाता है इसकी खेती ज्यादा ठन्डे प्रदेशो में नहीं की जा सकती है ,क्योकि इसकी खेती को सामान्य तापमान की आवश्यकता होती है। लेकिन भारत के कुछ उत्तरी क्षेत्रों में इसकी खेती सर्दियों के मौसम में की जा सकती है। और गर्मियों के मौसम में वहा तेज हवा चलती है इस कारण वहा गुलाब की खेती को नुकसान होता है। इसलिए भारत में गुलाब की खेती को सर्दियों के मौसम में करना चाहिए। रजस्तम जैसे क्षेत्रों में इसकी खेती नहीं की जा सकती है।

गुलाब की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी

इसकी खेती अच्छे जलनिकास वाली दोमट मिट्टी में की जाती है। इसकी खेत की मिट्टी का तापमान 6 से 8 होना माना जाता है यह खेती जलजमाव वाली भूमि में नहीं की जा सकती है। गुलाब की खेती के लिए जैविक तत्वों से भरपूर मिट्टी अच्छी पैदावार देती है। गुलाब के पौधे उच्च कार्बनिक पदार्थों वाली रेतीली दोमट मिट्टी में अच्छी तरह विकास करते है।

गुलाब की खेती के लिए उपयुक्त सिचाई

आजकल सिचाई के अनेक विधिया अपनायी जाती है और फसल पर भी इनका प्रयोग अधिक होने लगा है। ड्रिप और स्प्रिकलर सिचाई गुलाब के पौधे के लिए अधिक उपयुक्त होती है। गुलाब के पौधे को 2 दिन में सिचाई की आवश्यकता होती ही। गुलाब के पोधो को खेत में रोपाई के बाद तुरंत सिचाई करनी चाहिए ,उसके बाद कुछ दिनों तक प्रतिदिन दो दिनों में एक बार खेती करनी चाहिए।

गुलाब की पौध को तैयार करना

गुलाब की पौध तैयार करने की विधि टी बॉन्डिंग कहलाती है ,इस विधि से तैयार पौध को जून जुलाई के महीने में लगाया जाता है । पहले क्यारिया बना ले फिर क्यारियों में गुलाब की कलमों को 15 से 16 cm की दूरी पर लगाया जाना चाहिए। अच्छी किस्म की कलम को पोलोथिन से बांधकर पोलोथिन में उर्वरक मिली हुई मिट्टी डालनी चाहिए। कुछ दिनों के बाद उनमे से टहनिया निकल आती है। उसके बाद आप पौध को खेत में रोपाई के लिए तैयार कर सकते है।

गुलाब की खेती के लिए खेत की तैयारी

गुलाब की खेती के लिए खेत में गहरी जुताई करनी चाहिए ,उसके बाद खेत की मिट्टी में उर्वरक शक्ति को बढ़ा देना चाहिए। मिटटी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के लिए खेत में गोबर की खाद डाल सकते हो ,उसके अलावा रासायनिक खाद का प्रयोग भी कर सकते है। उसके बाद खेत की मिट्टी को अच्छे से जुताई करके उपजाऊ बना देनी चाहिए। किसी भी फसल को बोन से पहले खेत में गहरी और अच्छी जुताई आवश्यक होती है। उसके बाद खेत में क्यारियों को तैयार किया जाता है।

गुलाब की पौध रोपाई और सही समय

गुलाब के पौधे भूमि से 15 cm ऊपर लगाए जाने चाहिए ,ध्यान दे की पौधे की रोपाई के समय पौधे में लिपटी पॉलीथिन को हटाकर उसको खेत की मिट्टी में अच्छे से दबा देना चाहिए। इसी प्रकार पौधे की सभी कलम को क्यारियों में लगा देना चाहिए। पौध रोपाई करके पौध की तुरंत सिचाई की जानी चाहिए।

किसी भी फसल की अच्छे पैदावार के लिए सबसे पहले खेत में पौध को लगाना आवश्यक होता है। पोधो को सही समय पर नहीं लगाया गया तो फसल की पैदावार काफी प्रभावित होती है। इसकी खेत के लिए सही समय का बहुत महत्व होता है गुलाब के फूलो की मांग हर जगह पर होती है। छोटे फूलो को अप्रैल और मई के महीने में तैयार कर लेना चाहिए। और बड़े पोधो को अगस्त और सितम्बर तक लगाना चाहिए। यह फूल अच्छे मोके पर तैयार हो जाते है जिससे इनका दाम अधिक होता है।

गुलाब की खेती के लिए खरपतवार नियंत्रण

फूलो की अच्छी पैदावार के लिए खेत में खरपतवार को नष्ट करना आवश्यक होता है। खरपतवार को नष्ट करने के दो तरीके होते है एक तो प्राकृतिक और दूसरा रासायनिक तरीका गुलाब की खेती में प्राकृतिक तरीके का प्रयोग किया जाता है। प्राकृतिक तरीके से खेत की निराई -गुड़ाई करनी चाहिए ,फसल में गुड़ाई करने से नई शाखाए बनती है। इससे हवा भी पौधे की जड़ तक अच्छे से पहुंच जाती है। और पौधे विकास भी करते है और अच्छी पैदावार होती है।

गुलाब के फूल की उन्नत किस्मे

किसी भी फसल को बोन से पहले किस्मो को चयन जरूरी होता होता है क्यकि अलग अलग स्थानों पर जलवायु के हिसाब से उगाई जाती है। गुलाब की अलग -अलग किस्मे देश में उगाई जाती है। विश्व भर में गुलाब की 20 हजार किस्मे पाई जाती है। हम आपको उन्नत किस्मो के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दी गयी है जो इस प्रकार है –

हाईब्रिड टी वर्ग किस्म के पौधे

यह किस्म कम समय में ही अधिक पैदावार देती है। यह किस्म एक हेक्टैयर के क्षेत्र में अधिक पैदावार देती है। इस किस्म पौध रोपाई के 2 महीने बाद फुल देना आरम्भ कर देती है। इस किस्म के फुक टहनियों पर निकलते है इस किस्म में अन्य किस्मे शामिल होती है -डा. बैंजमन पाल, डा.होमी भाभा, चितवन ,चंद्बंदीकली, गुलजार, मिलिंद, मृणालिनी, रक्त्गंधा, सोमा आदि किस्म होती है

क्लैंग्बिंग एंड रैंबलिंग रोज (Rambling Rose)

गुलाब की यह किस्म लता की तरह होती है ,जिसको दीवार पर चढ़ाया जाता है। यह ऊपर की ओर वृद्धि कर बढती जाती है। इस किस्मे में फूल वर्ष में एक बार लगते है। इसलिए इनको किसी सहारे की आवश्यकता नहीं होती है । इस किस्म में भी अनेक किस्मे पाई जाती है -सदाबहार, समर स्नो, मार्शल नील, दिल्ली वाईट पर्ल, गोल्डन शावर, कॉकटेल, रायल गोल्ड, एलवटाइन, एक्सेलसा और डोराथी पार्किंस आदि किस्मे होती है।

पॉलिएन्था (Polyantha Rose)

इस किस्म में फूल अधिक और काफी दिनों तक आते है और यह किस्म घरो में सजावट के लिए अधिक बोई जाती है,इसमें भी अनेक किस्मे होती है -स्वाति, इको, अंजनी मुख्य किस्मे है।

ग्रेन्डीफ्लोरा किस्म के फूल (Grandiflora Rose)

इस किस्म को छोटी डंडी का गुलाब भी कहा जाता है। यह पौधा एक वर्ग मीटर में 350 से 400 फूल प्रति वर्ष देता है। इस किस्म की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। इस किस्म की दो किस्मे होती है फ्लोरीबंडा और हाईब्रिड। इसका प्रयोग बड़ी मात्रा में किया जाता है।

टी रोजेज (T Roses)

गुलाब की इस किस्म की पखुड़िया मोती और छोड़ी होती है। यह किस्म तेजी से विकास करती है। इसकी उत्पति चीन में मणि जाती है। इसकी दो किस्मे है -अलैक्जेण्डर, दी ब्रिज।

गुलाब के पौधे में लगने वाले रोग व् रोकथाम के उपाय

मिलिबग कीट रोग

यह रोग पौधे की पत्तियों के निचले हिस्से पर रस को चूसकर पौधे को हानि पहुँचती है जिससे इसकी पैदावार कम होती है। और इसकी गुणवत्ता पर भी काफी प्रभाव होता है। उसके बाद पौधा नष्ट हो जाता है

रोकथाम
इस रोग के रोकथाम के लिए पौधे पर बुप्रोफेजिन 25 SC का उचित मात्रा में छिड़काव करना चाहिए।

बैक्टीरियल और फंगल रोग

यह रोग पोधो और फूलो दोनों पर मिलता है। इस रोग के हो जाने से पौधे की पत्तिया और टहनिया सूख जाती है ,और यह रोग पौधे को काफी नुकसान पहुँचता है

रोकथाम
इस रोग के रोकथाम के लिए टैगक्सोन नाम के पाउडर की पांच ग्राम की मात्रा पानी में मिलाकर छिड़काव करे।

थ्रिप्स कीट रोग

यह रोग अधिकतर पौधे की पत्तियों में मिलता है। यहॉ रोग फूलो और टहनियों का अच्छे से रस चूस लेते है जिससे पत्तियों पर काले रंग के धब्बे हो जाते है

रोकथाम
इस रोग के रोकथाम के लिए पौधे पर फिप्रोनिल 5 एससी की 30 मिलीलीटर की मात्रा
को पानी में मिलाकर स्प्रै करनी चाहिए।

स्केल किट रोग

यह रोग पौधे के लिए अधिक हानिकारक होता है ,यह सफेद पतले आवरण में खुद को छिपाये रखता है। यह पौधे की पत्तियों का रस चूसकर उसको कमजोर बना देता है। जिससे पौधा पूरी तरह से सूख जाता है।

रोकथाम
इस रोग के रोकथाम के लिए पौधे पर बुप्रोफेजिन 25 एससी के 30 मिलीलीटर को पानी में मिलाकर अच्छे से छिड़काव करना चाहिए |

गुलाब के फूलो की तुड़ाई

इसके फूलो की तुड़ाई सही समय पर करनी चाहिए। जब इसके फूल पर 2 से 4 पंखुडिया आ जाये तब इसकी तुड़ाई करे। फूलो को तोड़ने के तुरंत बाद पानी भरे बर्तन में रख दे ,और फिर इसको छायादार जगह पर रख देना चाहिए। उसके बाद फूलो की ग्रेडिंग करनी चाहिए। फिर फूलो की पेकिंग करके बाजार में बेच देनी चाहिए।

गुलाब की खेती की कमाई

गुलाब की खेती से किसानो को अच्छा मुनाफा प्राप्त होता है। गुलाब की खेती पौध रोपाई के चार महीने बाद फूल की पैदावार देती है। गुलाब का बाजारी भाव 70 से 80 रूपये प्रति किलो तक होता है। जिससे रोजाना 3500 तक की कमाई की जा सकती है ,और यह पुरे वर्ष में 300 किवंटल की पैदावार देता है जिससे एक वर्ष में 21 लाख तक की कमाई हो सकती है।

Saloni Yadav

मीडिया के क्षेत्र में करीब 3 साल का अनुभव प्राप्त है। सरल हिस्ट्री वेबसाइट से करियर की शुरुआत की, जहां 2 साल कंटेंट राइटिंग का काम किया। अब 1 साल से एन एफ एल स्पाइस वेबसाइट में अपनी सेवा दे रही हूँ। शुरू से ही मेरी रूचि खेती से जुड़े आर्टिकल में रही है इसलिए यहां खेती से जुड़े आर्टिकल लिखती हूँ। कोशिश रहती है की हमेशा सही जानकारी आप तक पहुंचाऊं ताकि आपके काम आ सके।

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