वजीरिस्तान में तालिबान का हमला: 50 पाकिस्तानी सैनिकों को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर किया गया

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Taliban attack in Waziristan: 50 Pakistani soldiers forced to surrender
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इस्लामाबाद, 03 मई 2025: पाकिस्तान के उत्तरी वजीरिस्तान क्षेत्र में तालिबान ने एक बड़े हमले को अंजाम दिया है, जिसमें 50 पाकिस्तानी सैनिकों को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर होना पड़ा। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरों और रिपोर्ट्स के अनुसार, इस घटना में सैनिकों की वर्दी और पतलून तक उतार ली गई, जिसके बाद क्षेत्र में तनाव और हलचल तेज हो गई है।

क्या है पूरा मामला?

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में दावा किया गया कि यह घटना शुक्रवार को उत्तरी वजीरिस्तान के एक गांव में हुई। तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि कई सैनिक हथियार डाले हुए हैं, जबकि तालिबान लड़ाके उनके आसपास मौजूद हैं। स्थानीय लोगों की भीड़ भी घटनास्थल पर जमा दिखाई दे रही है, जिसमें कुछ लोग इस घटना को अपने कैमरों में कैद करते नजर आ रहे हैं। इस हमले ने पाकिस्तानी सेना की तैयारियों और क्षेत्र में उनकी स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

ऐतिहासिक संदर्भ में पाकिस्तानी सेना की स्थिति

पाकिस्तानी सेना का वजीरिस्तान जैसे अशांत क्षेत्रों में संघर्ष का लंबा इतिहास रहा है। इससे पहले 2007 में भी दक्षिण वजीरिस्तान में भारी लड़ाई की खबरें सामने आई थीं, जिसमें दर्जनों विदेशी लड़ाकों और स्थानीय आतंकियों को मार गिराया गया था। इसके अलावा, 1971 के भारत-पाक युद्ध में भी पाकिस्तानी सेना को पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में 93,000 सैनिकों के साथ आत्मसमर्पण करना पड़ा था, जो इतिहास की सबसे बड़ी सैन्य हार में से एक मानी जाती है।

क्षेत्र में बढ़ता तनाव

उत्तरी वजीरिस्तान में तालिबान और अन्य आतंकी संगठनों की मौजूदगी लंबे समय से पाकिस्तान के लिए चुनौती बनी हुई है। 2014 में पाकिस्तानी सेना ने ऑपरेशन जर्ब-ए-अज्ब शुरू किया था, जिसमें तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) और अन्य आतंकी संगठनों को निशाना बनाया गया था। हालांकि, इस ऑपरेशन के बावजूद क्षेत्र में आतंकी गतिविधियां पूरी तरह खत्म नहीं हुईं। हाल की घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि इस क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति अभी भी नाजुक बनी हुई है।

स्थानीय लोगों का क्या कहना है?

घटनास्थल की तस्वीरों में स्थानीय लोग भी मौजूद दिख रहे हैं, जो इस हमले के बाद इलाके में फैले डर और अस्थिरता को दर्शाता है। कुछ जानकारों का मानना है कि तालिबान ने इस हमले के जरिए अपनी ताकत दिखाने की कोशिश की है, ताकि क्षेत्र में अपनी पकड़ को मजबूत किया जा सके।

पाकिस्तानी सेना की प्रतिक्रिया का इंतजार

अभी तक पाकिस्तानी सेना की ओर से इस घटना पर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। हालांकि, सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कई यूजर्स ने इसे पाकिस्तानी सेना की विफलता करार दिया है, जबकि कुछ ने इस घटना को 1971 की हार से जोड़कर सेना की रणनीति पर सवाल उठाए हैं।