मटर की 5 उन्नत किस्में, किसानो को कर देगी मालामाल, जानिए विशेषताएं

नई दिल्ली: Improved Varieties of Pea – किसान भाइयों को अगर कम समय में अधिक मुनाफा कमाना है तो फिर मटर की खेती की और रुख करना उनके लिए बहुत फायदे का सौदा होने वाला है। मटर की खेती में उन्नत किस्मों का चुनाव करना भी बेहद जरुरी होता है। इसलिए मटर की खेती करने से पहले आपको इस आर्टिकल को जरूर पढ़ना चाहिए क्योंकि इसमें हम आपको मटर की 5 ऐसी उन्नत किस्मों के बारे में बताने वाले हैं जिनकी खेती करके आपको मालामाल होने से कोई नहीं रोक सकता है।
मटर की जिन किस्मो (Improved Varieties of Pea) के बारे में हम आपको यहाँ बताने वाले है उनसे किसान भाइयों को प्रति हेक्टेयर में आसानी से 45 से 50 क्विंटल की पैदावार मिल जाती है और सबसे बड़ी बात ये है की ये सभी किस्मे 50 से लेकर 60 दिन में तैयार भी हो जाती है। यानि की लगभग डेढ़ महीने में ही आपकी इनकम शुरू हो जाती है।
मटर की जिन किस्मों (Improved Varieties of Pea) के बारे में हम आपको बताने वाले है वो सभी किस्मे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के भारतीय पादप अनुसंधान संस्थान के कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा तैयार की गई है ताकि देश के किसानो को मटर की खेती में अधिक से अधिक फायदा मिल सके।
Improved Varieties of Pea – काशी उदय
मटर की काशी उदय किस्म से किसान भाई प्रति हेक्टेयर में 40 क्विंटल की पैदावार आसानी से ले सकते है। काशी उदय किस्म के मटर के दानों का रंग गहरा हरा होता है और इस किस्म के पौधों पर फलियों में दानो की संख्या भी अधिक होती है जिससे पैदावार भी अधिक मिलती है। काशी उदय किस्म में किसानो को फसल की कटाई करने का तीन बार मौका मिलता है यानि की इससे फायदा अधिक होता है।
Improved Varieties of Pea – काशी नंदनी
मटर की काशी नंदनी किस्म (Improved Varieties of Pea) भी किसानो के लिए वरदान है और इस किस्म से किसान भाइयों को प्रति हेक्टेयर में आसानी के साथ में 45 क्विंटल की पैसवार मिल जाती है। इस किस्म के बुवाई के 55 से 60 दिन के बाद में किसानो को पैदावार मिलनी शुरू हो जाती है। इस किस्मों को भारत के जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तरांचल, पंजाब, उत्तर प्रदेश, झारखंड और कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल आदि राज्यों के लिए सबसे बेहतरीन माना जाता है। हालाँकि देश के बाकि हिस्सों में भी इससे काफी अधिक पैदावार देखने को मिली है।
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Improved Varieties of Pea – काशी अगेती
मटर की ये किस्म 55 से 60 दिन में किसान भाइयों को पैदावार देने लगती है और इस किस्म को खाने के लिहाज से सबसे मीठा माना जाता है। किसान भाई इस किस्म से आसानी से 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार ले सकते है। मटर के दानो का वजन भी काफी ज्यादा होता है और इसलिए पैदावार किसानो को इस किस्म के मटर से अधिक मिलती है।
Improved Varieties of Pea – काशी मुक्ति
मटर की काशी मुक्ति किस्म (Improved Varieties of Pea) से किसानो को प्रति हेक्टेयर में 50 क्विंटल की पैदावार आसानी से मिल जाती है और इसकी कटाई भी किसान भाई 2 से 3 बार कर सकते है। बाजार की अगर बात करें तो ये किस्म सबसे जायदा डिमांड में रहती है। बाकि मटर की किस्मों के मुकाबले में ये किस्म थोड़ा देरी से पकने वाली किस्म है। लेकिन पैदावार के मामले में ये बाकि किस्मों से कहीं आगे है।
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Improved Varieties of Pea – अरकेल
मटर की इस किस्म से भी किसान भाई प्रति हेक्टेयर में आसानी से 50 क्विंटल की पैदावार ले सकते है। मटर की इस किस्म को बुवाई के बाद तैयार होने में लगभग 65 दिन का समय लगता है लेकिन खाने में बहुत ही स्वादिस्ट और मीठी होती है ये किस्म। मटर की बाकि किस्मे स्वदेशी किस्म है लेकिन ये किस्म एक विदेशी किस्म है और इसकी भी बाजार में बहुत अधिक डिमांड रहती है।
किसान भाई अगर मटर की खेती करना चाहते है तो ऊपर दी गई इन किस्मों में से चुनाव (Improved Varieties of Pea) करके मटर की खेती में काफी अधिक मुनाफा कमाई कर सकते है। मटर की ये सभी किस्मे भारत में सबसे अधिक बोई जाने वाली किस्मे है। बाजार में भी आपको सबसे अधिक मटर इन्ही किस्मों में से ही देखने को मिलेगा और खाने में ये सभी किस्मे काफी मोठी होती है।