झेलम नदी में 20 फीट की वृद्धि से पाकिस्तान में हड़कंप, सामान्य जनजीवन प्रभावित

मुजफ्फराबाद (पाकिस्तान), 04 मई 2025: जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुए पहलगाम नरसंहार के बाद अब प्राकृतिक आपदा ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में स्थिति को और गंभीर बना दिया है। झेलम नदी के जल स्तर में अचानक 20 फीट तक की वृद्धि होने से क्षेत्र में सामान्य जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
नदी के बढ़ते जल स्तर से बढ़ी मुश्किलें
सोशल मीडिया पर वायरल एक तस्वीर में झेलम नदी के किनारे राहत कार्यों में लगे ट्रक और मशीनें दिखाई दे रही हैं। तस्वीर में एक ट्रक पर लोड हो रही जेसीबी मशीन नजर आ रही है, जो बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत कार्यों के लिए इस्तेमाल की जा रही है।
स्थानीय प्रशासन ने नदी के आसपास के इलाकों में आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी है। मुजफ्फराबाद के पास हट्टियां बाला में पानी का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ गया है, जिससे वहां रहने वाले लोगों में दहशत का माहौल है।
पहलगाम हमले के बाद बिगड़े हालात
पिछले महीने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें ज्यादातर हिंदू पर्यटक शामिल थे। भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान समर्थित आतंकियों को जिम्मेदार ठहराया था।
पहलगाम नरसंहार उपरांत प्राकृतिक आपदा के कारण झेलम नदी के जल स्तर में 20 फिट तक की वृद्धि हो गई है।
अचानक हुई इस वृद्धि के कारण कांग्रेस का प्यारा बच्चा पाकिस्तान में सामान्य जनजीवन की वाट लग गई है।😂😂 pic.twitter.com/VNEDoOL8pX
— Ocean Jain (@ocjain4) May 4, 2025
इसके जवाब में भारत ने 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया, जिसके बाद पाकिस्तान ने भारत पर झेलम नदी में पानी छोड़ने का आरोप लगाया। पाकिस्तानी अधिकारियों ने इसे अंतरराष्ट्रीय नियमों और जल समझौतों का उल्लंघन बताया है।
तनाव के बीच प्राकृतिक आपदा ने बढ़ाई चिंता
बाढ़ की स्थिति को देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिए हैं। नदी किनारे बसे गांवों को खाली करवाया जा रहा है और प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। प्रशासन ने लोगों से नदी के किनारे न जाने की अपील की है।
पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। दोनों देशों के बीच नियंत्रण रेखा पर तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है।
ऐसे में झेलम नदी में जल स्तर की वृद्धि ने पाकिस्तान के सामने एक नई चुनौती खड़ी कर दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थिति क्षेत्र में मानवीय संकट को और गहरा सकती है।