मध्य प्रदेश में मानसून ने इस बार अपना रौद्र रूप दिखाया है। आसमान से बरसती बौछारें अब आफत बन चुकी हैं। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने प्रदेश के 36 जिलों में भारी से अति भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया है। सड़कें जलमग्न, नदियाँ उफान पर, और कई गाँवों का संपर्क टूट चुका है। यह बारिश राहत के साथ-साथ मुसीबत का सबब भी बन रही है . पिछले 24 घंटों में मध्य प्रदेश के कई हिस्सों में मूसलाधार बारिश ने तबाही मचाई है। मंडला में 190 मिलीमीटर से अधिक बारिश दर्ज की गई, जिसने सड़कों को नदियों में बदल दिया। मनेरी में सड़क बह गई, कई गाँवों का संपर्क टूट गया, और डिंडोरी में स्कूलों को बंद करना पड़ा। जबलपुर में तो हालत यह थी कि एक ट्रक नदी में बह गया।
मंडला, सिवनी और बालाघाट में सबसे बुरा हाल
पूर्वी मध्य प्रदेश के सिवनी, मंडला, और बालाघाट जैसे जिलों में रेड अलर्ट है, जहाँ 21 सेंटीमीटर से अधिक बारिश की आशंका जताई गई है। छतरपुर में 333 मिलीमीटर और टीकमगढ़ में 146 मिलीमीटर बारिश ने बान सुजारा बांध के 11 गेट खोलने पर मजबूर कर दिया, जिससे धसान नदी में उफान आ गया। नदी किनारे बसे 37 गाँवों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है।
मौसम विभाग ने भोपाल, रायसेन, राजगढ़, विदिशा, ग्वालियर, शिवपुरी, गुना, दतिया, अशोकनगर, भिंड, मुरैना, श्योपुर, सागर, छतरपुर, दमोह, पन्ना, टीकमगढ़, निवाड़ी, रीवा, सतना, सीधी, सिंगरौली, मऊगंज, मैहर, जबलपुर, कटनी, नरसिंहपुर, सिवनी, छिंदवाड़ा, बालाघाट, मंडला, डिंडोरी, शहडोल, उमरिया, और अनूपपुर सहित 36 जिलों में भारी बारिश की चेतावनी दी है। कुछ जिलों में हल्की बारिश का अनुमान है, जैसे इंदौर, उज्जैन, और बुरहानपुर, लेकिन अधिकांश क्षेत्रों में स्थिति गंभीर है।
प्रशासन ने बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिए हैं। नदियों के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जा रहा है। मंडला और डिंडोरी में बाढ़ के कारण कई परिवारों को अस्थायी आश्रयों में शरण लेनी पड़ी। सागर और छतरपुर में जलभराव ने सड़कों को जाम कर दिया, और स्थानीय लोग घरों में कैद हो गए।
❖छत्तीसगढ़, पूर्वी मध्य प्रदेश और विदर्भ में कुछ स्थानों पर भारी से बहुत भारी वर्षा और कुछ स्थानों पर अत्यंत भारी वर्षा की संभावना है।
❖हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली, झारखंड, त्रिपुरा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल और सिक्किम और पश्चिमी मध्य प्रदेश में कुछ स्थानों… pic.twitter.com/N2OGATaOPw— India Meteorological Department (@Indiametdept) July 9, 2025
मौसम का मिजाज
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि एक कम दबाव का क्षेत्र पश्चिम बंगाल और गांगेय क्षेत्र से होते हुए उत्तरी छत्तीसगढ़ की ओर बढ़ रहा है। इसके साथ ही, दक्षिणी गुजरात और उत्तरी मध्य महाराष्ट्र से होकर एक मानसून द्रोणिका सक्रिय है। इन मौसमी प्रणालियों ने मध्य प्रदेश में नमी की मात्रा बढ़ा दी है, जिसके चलते बारिश का यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा।
पिछले कुछ दिनों में अलीराजपुर के काठीवाड़ा में 211 मिलीमीटर और मंडला में 131 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई। यह आँकड़े सामान्य से कहीं अधिक हैं, और प्रदेश में इस मानसून सीजन में अब तक 74% अधिक बारिश हो चुकी है। ग्वालियर में तापमान 35 डिग्री सेल्सियस तक दर्ज हुआ, लेकिन बारिश ने गर्मी से राहत दी। फिर भी, जलभराव और यातायात की समस्याएँ बढ़ गई हैं।
जनजीवन पर असर
बारिश ने जहाँ गर्मी से राहत दी है, वहीं कई जगहों पर आफत भी ला दी है। बालाघाट में 163 मिलीमीटर बारिश ने कई मार्गों को बंद कर दिया, और हाइवे तक क्षतिग्रस्त हो गए। नरसिंहपुर में 154 मिलीमीटर बारिश ने गाँवों में पानी भर दिया। किसानों के लिए यह बारिश वरदान और अभिशाप दोनों साबित हो रही है। खेतों में पानी भरने से फसलों को नुकसान हुआ है, लेकिन जलाशयों और बांधों में पानी का स्तर बढ़ने से भविष्य में सिंचाई के लिए राहत मिल सकती है।
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— Mausam Bhopal (@BhopalMausam) July 10, 2025
क्या करें, क्या न करें?
प्रशासन ने लोगों से नदियों और नालों से दूर रहने की अपील की है। बिजली गिरने की आशंका को देखते हुए खुले मैदानों में न जाने की सलाह दी गई है। मौसम विभाग ने अगले 24-48 घंटों में स्थिति और गंभीर होने की चेतावनी दी है, इसलिए सतर्कता बरतना जरूरी है। मौसम विभाग का अनुमान है कि अगले 4-5 दिनों तक बारिश का यह दौर जारी रहेगा। कुछ जिलों में 8 जुलाई तक अति भारी बारिश की संभावना है। हालाँकि, 10 जुलाई के बाद बारिश की तीव्रता में कमी आ सकती है। तब तक, मध्य प्रदेश के लोगों को इस प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए तैयार रहना होगा।