आईएनएस अर्णाला (INS Arnala): भारतीय नौसेना की नई ताकत, जानिए क्यों है यह खास
आईएनएस अर्णाला (INS Arnala) भारतीय नौसेना का नया स्वदेशी एंटी सबमरीन वॉरशिप है, जो 80% से अधिक indigenous तकनीक से लैस है। इसे गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) ने तैयार किया है। यह हल-माउंटेड सोनार और 30 मिमी नेवल सरफेस गन से सुसज्जित है, जो दुश्मन पनडुब्बियों और जहाजों को ट्रैक और नष्ट करने में सक्षम है। अरब सागर और तटीय क्षेत्रों में रणनीतिक महत्व रखता है

भारतीय नौसेना (Indian Navy) ने हाल ही में आईएनएस अर्णाला (INS Arnala) को अपने बेड़े में शामिल किया है। यह एक स्वदेशी एंटी सबमरीन वॉरशिप (Anti-Submarine Warfare Ship) है, जो समुद्र में दुश्मनों के लिए मुश्किलें खड़ी करने की क्षमता रखता है। बीबीसी की टीम ने आईएनएस अर्णाला के अंदर जाकर इसकी खासियतों और तकनीकों को करीब से समझा। आइए जानते हैं कि यह युद्धपोत क्यों भारतीय नौसेना के लिए अहम है और इसमें क्या-क्या खूबियां हैं।
स्वदेशी तकनीक का गर्व
आईएनएस अर्णाला 80% से अधिक स्वदेशी तकनीक (Indigenous Technology) से लैस है, जो ‘आत्मनिर्भर भारत’ (Aatmanirbhar Bharat) पहल के तहत एक बड़ी उपलब्धि है। इस युद्धपोत को गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) ने तैयार किया है। इसे एंटी सबमरीन वारफेयर (ASW) के लिए डिजाइन किया गया है, जिसका मतलब है कि यह दुश्मन की पनडुब्बियों (Submarines) को ट्रैक करने और उन्हें नष्ट करने में सक्षम है। इसकी मदद से भारतीय नौसेना की तटीय सुरक्षा (Coastal Security) और मजबूत होगी।
अत्याधुनिक हथियार और सेंसर
आईएनएस अर्णाला में अत्याधुनिक हथियार और सेंसर सिस्टम (Advanced Sensors and Ordnance) लगे हैं। इसमें हल-माउंटेड सोनार (Hull-Mounted Sonar) और टो किए गए लो-फ्रीक्वेंसी वेरिएबल-डेथ सोनार (Towed Low-Frequency Variable-Depth Sonar) जैसे उपकरण शामिल हैं। इन सेंसरों की मदद से यह युद्धपोत समुद्र की गहराइयों में दुश्मन की पनडुब्बियों को आसानी से डिटेक्ट कर सकता है। साथ ही, इसमें 30 मिमी की नेवल सरफेस गन (Naval Surface Gun) भी लगी है, जो दुश्मन के जहाजों पर हमला करने में सक्षम है।
आईएनएस अर्णाला अरब सागर (Arabian Sea) और भारतीय समुद्री क्षेत्र (Indian Maritime Zone) में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। यह जहाज न सिर्फ पनडुब्बियों से लड़ने में सक्षम है, बल्कि लो-इंटेंसिटी मैरीटाइम ऑपरेशंस (Low-Intensity Maritime Operations) में भी कारगर साबित हो सकता है। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, इस युद्धपोत की मदद से भारतीय नौसेना की ताकत में और इजाफा होगा, खासकर चीन (China) और अन्य पड़ोसी देशों के साथ समुद्री सीमाओं (Maritime Boundaries) को सुरक्षित रखने में।