Bihar News: बिहार वोटर लिस्ट में सनसनीखेज खुलासा: बांग्लादेश, म्यांमार और नेपाल के नागरिकों के नाम शामिल!

पटना, 13 जुलाई 2025: बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। चुनाव आयोग के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान के दौरान वोटर लिस्ट में बांग्लादेश, म्यांमार और नेपाल के नागरिकों के नाम पाए गए हैं। डोर-टू-डोर सत्यापन में बूथ लेवल अधिकारियों (BLO) ने पाया कि इन विदेशी नागरिकों के पास न सिर्फ वोटर कार्ड, बल्कि आधार कार्ड और राशन कार्ड जैसे दस्तावेज भी हैं। इस खबर ने बिहार की सियासत में हलचल मचा दी है।
क्या है पूरा मामला?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि चुनाव आयोग ने बिहार में मतदाता सूची को शुद्ध करने के लिए 24 जून 2025 से SIR अभियान शुरू किया था। इस दौरान घर-घर जाकर जांच करने वाले अधिकारियों को सीमांचल और कोशी जैसे इलाकों में बड़ी संख्या में ऐसे लोग मिले, जो नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार से हैं। सूत्रों के मुताबिक इनमें से कई लोग फर्जी दस्तावेजों के जरिए लंबे समय से भारत में रह रहे थे। यह खुलासा तब हुआ जब बूथ लेवल अधिकारियों ने मतदाताओं के जन्म स्थान और नागरिकता की जांच शुरू की।
चुनाव आयोग का सख्त रुख
चुनाव आयोग ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। आयोग ने साफ कर दिया है कि 30 सितंबर 2025 को जारी होने वाली अंतिम मतदाता सूची में किसी भी गैर-भारतीय नागरिक का नाम शामिल नहीं होगा। इसके लिए 1 से 30 अगस्त तक गहन जांच अभियान चलाया जाएगा। अगर कोई व्यक्ति अपनी भारतीय नागरिकता साबित नहीं कर पाया तो उसका नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया जाएगा। आयोग ने गृह मंत्रालय को भी इस बारे में पत्र लिखने की तैयारी शुरू कर दी है।
सियासी हलचल और विवाद
मौजूदा समय में इस खुलासे ने बिहार की सियासत को गरमा दिया है। विपक्षी दल खासकर कांग्रेस और राजद ने इस अभियान को “राजनीति से प्रेरित” बताते हुए इसका विरोध किया है। कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने इसे “वैध मतदाताओं को परेशान करने की साजिश” बताया। वहीं बीजेपी और एनडीए नेताओं का कहना है कि यह कदम अवैध घुसपैठियों को रोकने के लिए जरूरी है। बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा, “हमारी सरकार किसी भी घुसपैठिए को वोटर लिस्ट में जगह नहीं देगी।”
चुनाव आयोग ने बताया कि बिहार में 80% से ज्यादा मतदाताओं ने अपने फॉर्म जमा कर दिए हैं। 25 जुलाई तक यह प्रक्रिया पूरी हो सकती है। इसके बाद पूरे देश में ऐसी ही जांच शुरू करने की योजना है ताकि मतदाता सूची में सिर्फ भारतीय नागरिकों का ही नाम रहे। यह मामला न सिर्फ बिहार बल्कि असम ओर पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में भी चर्चा का विषय बन गया है जहां 2026 में चुनाव होने हैं।