16 जुलाई को यमन में फांसी पर लटकेंगी निमिषा? क्या मृतक का परिवार स्वीकार करेगा बल्ड मनी

नई दिल्ली, 14 जुलाई 2025: केरल की नर्स निमिषा प्रिया की जिंदगी अब चंद घंटों की मेहमान है। यमन में 16 जुलाई को उन्हें फांसी दी जानी है। भारत सरकार और उनका परिवार उन्हें बचाने की आखिरी कोशिश में जुटा है लेकिन क्या ये कोशिशें रंग लाएंगी? सुप्रीम कोर्ट में आज इस मामले की सुनवाई हुई लेकिन उम्मीदें धूमिल होती दिख रही हैं और अभी तक निमिषा को बचाया जायेगा इसको इलाके कुछ भी समाधान नहीं निकला है।
सुप्रीम कोर्ट में आज क्या क्या हुआ?
आज सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में निमिषा को बचाने की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में भारत सरकार से कूटनीतिक रास्तों के जरिए निमिषा की फांसी रोकने की गुहार लगाई गई थी। वकील सुभाष चंद्रन ने कोर्ट से कहा कि यमन के कानून में ‘ब्लड मनी’ का रास्ता है यानी मृतक के परिवार को मुआवजा देकर सजा माफ करवाई जा सकती है।
केंद्र सरकार ने कोर्ट में साफ कहा कि यमन सरकार फांसी टालने को तैयार नहीं है। अटॉर्नी जनरल ने बताया कि सरकार ने हर मुमकिन कोशिश की लेकिन अब कोई रास्ता नहीं बचा। कोर्ट ने सुनवाई को 18 जुलाई तक टाल दिया, जो फांसी की तारीख से दो दिन बाद है।
निमिषा की कहानी जो सपने से सजा तक पहुंची
केरल के पलक्कड़ की रहने वाली 38 साल की निमिषा 2008 में बेहतर जिंदगी के लिए यमन गई थीं। वहां उन्होंने नर्सिंग का काम शुरू किया और 2015 में तलाल अब्दो महदी नाम के यमनी नागरिक के साथ मिलकर क्लीनिक खोला। लेकिन महदी ने निमिषा का पासपोर्ट जब्त कर लिया और उन्हें परेशान करने लगा। 2017 में पासपोर्ट वापस पाने की कोशिश में निमिषा ने महदी को बेहोशी का इंजेक्शन दिया जिसकी ओवरडोज से उनकी मौत हो गई। इसके बाद निमिषा ने शव को टुकड़ों में काटकर टैंक में फेंक दिया। यमन की कोर्ट ने इसे हत्या माना और 2020 में निमिषा को फांसी की सजा सुनाई।
‘ब्लड मनी’ की आखिरी उम्मीद अभी बाकी है?
यमन के कानून में मृतक का परिवार ब्लड मनी लेकर दोषी को माफ कर सकता है। निमिषा के परिवार और ‘सेव निमिषा प्रिया एक्शन काउंसिल’ ने मृतक के परिवार को 10 लाख डॉलर की पेशकश की है। लेकिन अभी तक कोई सहमति नहीं बनी। निमिषा की मां प्रेमा कुमारी पिछले साल यमन गईं लेकिन बात नहीं बनी।
विदेश मंत्रालय का कहना है कि वह लगातार यमन सरकार से बात कर रहा है। केरल के मुख्यमंत्री ने भी पीएम को चिट्ठी लिखकर हस्तक्षेप की मांग की है। लेकिन यमन में हूती विद्रोहियों का कब्जा और वहां की जटिल कानूनी प्रक्रिया ने रास्ते मुश्किल कर दिए हैं।
क्या बचेगी निमिषा की जान?
समय तेजी से निकल रहा है। अगर मृतक का परिवार ब्लड मनी स्वीकार नहीं करता तो 16 जुलाई को निमिषा को फांसी हो सकती है। क्या भारत सरकार आखिरी मौके पर कोई चमत्कार कर पाएगी? यह सवाल हर किसी के मन में है। मृतक के परिवार ने बल्ड मनी लेने से इंकार कर दिया है ओर अब कुछ चन्द घंटे बाकी है जिसमें अगर बल्ड मनी स्वीकार कर ली जाती है तो एक उम्मीद है कि निमिषा की जान बच सकती है।