11 जुलाई, 2025 को सुबह का उजाला जैसे ही धरती पर फैला, मेरे मन में एक अलग ही उत्साह जगा। आज से सावन का पवित्र महीना शुरू हो रहा है, और यह महीना मेरे लिए, और लाखों भक्तों के लिए, भगवान शिव की भक्ति में डूबने का एक सुनहरा अवसर है। सावन का नाम सुनते ही मंदिरों में गूंजती घंटियों की आवाज, शिवलिंग पर चढ़ते बेलपत्र, और “ॐ नमः शिवाय” के जाप की गूंज मेरे कानों में गूंजने लगती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि सावन का यह महीना इतना खास क्यों माना जाता है? और क्यों इसे अबूझ मुहूर्त कहा जाता है? आइए, इसकी गहराई में उतरते हैं।
सावन का आध्यात्मिक और सांस्कृतिक नजरिया
सावन का महीना, हिंदू पंचांग के अनुसार, भगवान शिव को समर्पित है। मान्यता है कि इस दौरान शिवजी अपनी साधना में लीन रहने वाले भक्तों पर विशेष कृपा बरसाते हैं। मेरे एक पुराने मित्र, जो हर साल सावन में कांवड़ यात्रा पर जाते हैं, ने मुझे बताया था, “विवेक, सावन में शिव की पूजा करने का जो सुकून मिलता है, वो साल के बाकी महीनों में कम ही मिलता है।” उनकी बात में सच्चाई है। यह महीना न केवल आध्यात्मिक उन्नति का समय है, बल्कि प्रकृति के साथ भी एक गहरा तालमेल बनाता है। बारिश की फुहारें, हरियाली, और ठंडी हवाएं—यह सब सावन को और भी रहस्यमयी बनाता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, सावन में समुद्र मंथन के दौरान निकला हलाहल विष भगवान शिव ने अपने कंठ में धारण किया था, जिससे उनकी नीली कंठ वाली छवि बनी। यही वजह है कि इस महीने में शिवलिंग पर जल, दूध, और बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा है—यह विष के प्रभाव को शांत करने का प्रतीक है। मैंने कई मंदिरों में देखा है कि सावन के पहले दिन भक्तों की भीड़ सुबह से ही उमड़ पड़ती है। यह दृश्य न केवल श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि एक सामूहिक ऊर्जा का भी अहसास कराता है।
सावन में हर दिन है खास
सावन को अबूझ मुहूर्त इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस महीने में कोई भी दिन शुभ कार्यों के लिए उपयुक्त माना जाता है। चाहे वह पूजा हो, व्रत हो, या कोई नया कार्य शुरू करना हो, सावन का हर दिन अपने आप में एक शुभ मुहूर्त है। मेरे एक पंडित मित्र ने मुझे बताया, “सावन में शिवजी की कृपा इतनी प्रबल होती है कि पंचांग देखने की जरूरत ही नहीं पड़ती।” इस महीने में सोमवार विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं, जिन्हें सावन का सोमवार कहा जाता है। इन दिनों में व्रत रखने और शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से मनोकामनाएं पूरी होने की मान्यता है।
सावन में शिव पूजा कैसे करें?
सावन में शिव पूजा का तरीका सरल लेकिन गहरा है। मैंने पिछले साल हरिद्वार के एक मंदिर में यह अनुष्ठान देखा था, और वह अनुभव आज भी मेरे मन में ताजा है। यहाँ कुछ आसान लेकिन प्रभावी तरीके हैं, जिन्हें आप अपने घर पर आजमा सकते हैं:
- शिवलिंग का अभिषेक: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, शहद, और घी से अभिषेक करें। यह न केवल पवित्रता का प्रतीक है, बल्कि मन को शांति भी देता है।
- बेलपत्र और फूल: शिवजी को बेलपत्र और धतूरा विशेष प्रिय हैं। तीन या पांच बेलपत्र चढ़ाएं और “ॐ नमः शिवाय” का जाप करें।
- सावन सोमवार व्रत: यदि संभव हो, तो सावन के प्रत्येक सोमवार को व्रत रखें। यह व्रत विशेष रूप से अविवाहित लड़कियों के लिए उत्तम माना जाता है, जो मनचाहा वर चाहती हैं।
- रुद्राभिषेक: यदि आपके पास समय और साधन हैं, तो किसी विद्वान पंडित से रुद्राभिषेक करवाएं। यह शिवजी की विशेष पूजा है, जो जीवन में सुख-समृद्धि लाती है।
सावन की सांस्कृतिक झलक
सावन केवल धार्मिक दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं है। यह महीना भारत की सांस्कृतिक और सामाजिक ताने-बाने को भी मजबूत करता है। कांवड़ यात्रा इसका सबसे जीवंत उदाहरण है। हर साल लाखों कांवड़िए गंगा जल लेकर सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा करते हैं, ताकि अपने स्थानीय मंदिरों में शिवलिंग पर जल चढ़ा सकें। मैंने एक बार मेरठ में कांवड़ियों के उत्साह को करीब से देखा था। उनकी भक्ति और समर्पण देखकर यह अहसास हुआ कि सावन का यह उत्सव केवल पूजा तक सीमित नहीं है—यह एक सामूहिक आस्था का उत्सव है।
इसके अलावा, सावन में मेले, भजन-कीर्तन, और सामुदायिक भोज भी आयोजित होते हैं। ये आयोजन लोगों को एक-दूसरे के करीब लाते हैं। यह महीना हमें यह भी सिखाता है कि आस्था और प्रकृति का कितना गहरा रिश्ता है। बारिश का मौसम और शिव की पूजा एक-दूसरे के पूरक हैं।
सावन का संदेश
सावन का महीना हमें यह सिखाता है कि जीवन में संतुलन कितना जरूरी है। जैसे शिवजी ने विष को ग्रहण कर दुनिया को बचाया, वैसे ही हमें भी अपने जीवन में नकारात्मकता को संभालने की कला सीखनी चाहिए। यह महीना केवल पूजा-पाठ का नहीं, बल्कि आत्म-चिंतन और आत्म-विकास का भी है। मैंने अक्सर देखा है कि सावन में लोग न केवल धार्मिक रूप से सक्रिय होते हैं, बल्कि सामाजिक कार्यों में भी हिस्सा लेते हैं। दान, सेवा, और दूसरों की मदद—यह सब सावन की भावना का हिस्सा है।
आज से शुरू करें
तो, आज 11 जुलाई, 2025 से सावन की इस पवित्र यात्रा में शामिल हो जाइए। अपने घर के छोटे से मंदिर में, या नजदीकी शिव मंदिर में, भगवान शिव की पूजा करें। एक छोटा सा बेलपत्र, एक लोटा जल, और सच्ची श्रद्धा—यही वह सामग्री है जो सावन को आपके लिए अविस्मरणीय बना सकती है। जैसा कि मेरे दादाजी कहते थे, “शिव की भक्ति में जो डूब गया, उसका जीवन सार्थक हो गया।”
ॐ नमः शिवाय। सावन की शुभकामनाएं!