Farmers News: Improved Variety of Wheat – खरीफ की फसल (kharif crop) की कटाई हो चुकी है और अब सभी किसान भाई रबी की फसलों की बुवाई की तैयारी कर रहे है। ऐसे में सभी किसान भाइयों को अपनी रबी की फसल में गेहूं की खेती (wheat cultivation) के लिए उन्नत किस्मों के बारे में भी जानकारी होनी बहुत जरुरी होती है।
किसानो के खेत में अगर उन्नत किस्म के गेहूं की किस्म की बुवाई की जाए तो किसानो को अपने खेतों में पैदावार भी अधिक मिलती है जिससे उनकी कमाई भी अधिक होती है। कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा अब ऐसी किस्मों को खीजने पर जोर दिया जा रहा है जिसमे किसानो को पैदावार अधिक मिल सके और बचार भी अधिक हो।
गेहूं की खेती (wheat cultivation) रबी की फसल की सबसे प्रमुख खेती होती है और ज्यादातर राज्यों में किसान भाई बहुतयात मात्रा में इसकी खेती करते है। उत्तर भारत में तो आपको चारों और रबी की फसल में गेहूं ही गेहूं देखने को मिलेगा। गेहूं की फसल से किसान भाई काफी अच्छा मुनाफा भी कमाई करते है।
इस आर्टिकल में देखिये गेहूं की तीन ऐसी उन्नत किस्मे जो की किसानो के लिए वरदान साबित हो रही है। किसान भाई इन किस्मों की खेती करके बम्पर पैदावार ले सकते है। अगर आपको ये आर्टिकल पसंद आया हो तो इसको शेयर जरूर करें।
पूसा गौतमी एचडी 3086 (Wheat Pusa Gautami HD 3086) गेहूं की उन्नत किस्म
गेहूं की इस किस्म को पूसा संसथान दिल्ली के द्वारा विकसित किया गया है और ये किस्म गेहूं की फसल में लगने वाले रोगों के पर बहुत अधिक रोग प्रतिरोधी छमता के साथ आती है। गेहूं की पूसा गौतमी एचडी 3086 (Wheat Pusa Gautami HD 3086) लगभग 121 दिनों में पककर तैयार हो जाती है और इस किस्म से किसानो को प्रति हेक्टेयर लगभग 80 क्विंटल तक पैदावार आसानी से मिल जाती है।
गेहूं की पूसा गौतमी एचडी 3086 (Wheat Pusa Gautami HD 3086) किस्म को भारत के मैदानी इलाकों में बुवाई करके अधिक पैदावार ली जा सकती है। हरियाणा, राजस्थान, पंजाब और उत्तर प्रदेश के अलकों में इस किस्म की खेती बहुत अच्छी होती है और पैदावार भी अधिक मिलती है। इसके साथ साथ इस किस्म को उड़ीसा, असम, बिहार आदि राज्यों में भी बोया जा सकता है और वहां पर भी इसमें अच्छी पैदावार देखने को मिलती है।
गेहूं की इस किस्म में किसानो को फसल में लगने वाले रतुआ रोग का खतरा ना के बराबर हो जाता है। ये किस्म भूरा और पीला रतुआ रोग के लिए रोग प्रतिरोधी है। पैदावार के मामले में इससे मैदानी इलाकों में 80 क्विंटल तक तो वहीं बाकि इलाकों में आसानी से 65 क्विंटल तक की पैदावार मिल जाती है।
गेहूं की उन्नत किस्म डीबीडब्ल्यू 296 करण ऐश्वर्या (Wheat DBW 296 Karan Aishwarya)
गेहूं की इस किस्म को भारतीय गेहूं और जौ अनुसन्धान संसथान करनाल के द्वारा विकसित किया गया है और किसान भाइयों को इस किस्म से 55 क्विंटल तक की पैदावार आसानी से मिल जाती है। इसके साथ ही गेहूं की डीबीडब्ल्यू 296 करण ऐश्वर्या (Wheat DBW 296 Karan Aishwarya) किस्म सूखे के प्रति भी काफी सहनशील होती है इसलिए किसानो को अगर बीच में कुछ दिन किसी भी कारण से पानी देने का मौका नहीं मिलता है तो भी फसल ख़राब नहीं होती।
गेहूं की इस किस्म को हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तरप्रदेश के किसान आसानी से बुवाई करके फसल में तगड़ी पैदावार ले सकते है और इसके साथ जम्मू और कश्मीर के कुछ हिस्सों में इसकी बुवाई की जा सकती है। इसके साथ में बिहार के कुछ जिलों में भी किसान भाई इस किस्म से अच्छी पैदावार लेकर मुनाफा कमाई कर सकते है।
गेहूं की उन्नत किस्म डीबीडब्ल्यू 327 (Improved Variety of Wheat DBW 327)
गेहूं की उन्नत किस्म डीबीडब्ल्यू 327 (Improved Variety of Wheat DBW 327) भी पूसा गौतमी एचडी 3086 (Wheat Pusa Gautami HD 3086) की तरफ ही रोग प्रतिरोधी छमता के साथ में आती है और इस किस्म में स्ट्राइप और लीफ रस्ट रोग की समस्या का खतरा नहीं के बराबर होता है।
किसान भाई गेहूं की इस किस्म की बुवाई करके आसानी से प्रति हेक्टेयर में 85 क्विंटल के आसपास पैदावार ले सकते है। किसान भाई इस किस्म की बुवाई हरियाणा, पंजाब, उत्तरप्रदेश और राजस्थान में आसानी से कर सकते है। इसके साथ बिहार में और जम्मू कश्मीर के कुछ हिस्सों में भी इस किस्म को बोया जा सकता है जहाँ भी आसानी से अच्छी पैदावार मिलती है।