गेहू की उन्नत खेती की सम्पूर्ण जानकारी : उन्नत किस्मे और रोग नियंत्रण के उपाय
Jul 3, 2023, 12:03 IST
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Wheat Farming : विश्व भर में धान्य फसलों में मक्का के बाद गेहू सबसे अधिक उगाई जाने वाली फसल है। उसके बाद धान का तीसरा स्थान आता है ,गेहू में प्रोटीन की मात्रा अन्य धान्य फसलों की तुलना में अधिक पाई जाती है। खाद्य पदार्थ के रूप में यह बहुत ही महत्वपूर्ण फसल मानी जाती है। गेहू की मांग विश्व भर में हर समय बनी रहती है। इस फसल का बाजारी भाव भी अधिक पाया जाता है। गेहू की फसल रबी के मौसम में की जाती है ,और इसकी बुआई 10 अक्टूबर से 15 दिसंबर के बीच अनुकूल मानी जाती है। खरीफ फसल की कटाई के बाद किसान रबी की फसल की तैयारी शुरू कर देते है। गेहू को विश्व में प्रमुख फसल मानी जाती है ,इसलिए गेहू की खेती अधिक की जाती है। हम आपको बता दे की देश में अधिक मात्रा में जनसंख्या पाई जाती है ,इसलिए गेहू की उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि की आवश्यकता होती है। देश में गेहू की उत्पादकता बढ़ाने के लिए किसानो द्वारा उच्च तकनीक का प्रयोग करके खेती की जाती है ,और फसल की अच्छे पैदावार के लिए किसानो द्वारा उत्तम उन्नत किस्मो का प्रयोग की जा रहा है। गेहू उत्पादन में चीन के बाद भारत का दूसरा स्थान है। और भारी मात्रा में इसका निर्यात भी किया जाता है ,गेहू में मुख्य रूप से प्रोटीन, विटामिन और कार्बोहाइड्रेटस पाया जाता है। भारत ने 4 दशकों में गेहू उत्पादन में महारत हासिल किया है हम आपको बता दे की 1964 -65 में भारत में गेहू का उत्पादन 12.26 मिलियन टन था, और 2019 -20 की बात करे तो उत्पादन बढ़कर 107.18 मिलियन टन हो गया है। गेहू की खेती से किसानो को अधिक मात्रा में मुनाफा प्राप्त होता है ,अगर आप भी गेहू की खेती करना चाहते है तो आज हम आपको गेहू की खेती कैसे की जाती है तथा उसकी उन्नत किस्मो की सम्पूर्ण जानकारी के बारे में बतायेगे।
गेहू की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु ,तापमान और मिट्टी
गेहू की खेती समशीतोष्ण वाली जलवायु में की जाती है गेहू की खेती के लिए समशीतोष्ण जलवायु उपयुक्त मानी जाती है ,इस जलवायु में खेती में पैदावार अधिक मात्रा में होती है। गेहू की खेती में अगर तापमान की बात करे तो 10° से 25° सेल्सियस तापमान उपयुक्त माना जाता है। इसकी खेती के लिए मौसम साफ़ होना चाहिए। ठंडी हवा ,कोहरा ,पाला ,और ओले इसकी खेती के लिए नुकसानदायक होते है। गेहू की खेती के लिए हल्की दोमट मिट्टी व् बलुई दोमट मिट्टी अच्छी होती है गेहू क खेती के लिए मिट्टी का भुरभुरी होना आवश्यक होता है अगर मिट्टी में चूना और नाइट्रोजन की मात्रा हो तो खेती में अच्छी पैदावार होती है। गेहू की अच्छी उपज के लिए मिट्टी में यूरिया ,अमोनिया सल्फेट ,और रासायनिक उर्वरको का प्रयोग करना चाहिए ,ताकि अच्छी उपज हो सके।गेहू की खेती के लिए खेत की तैयारी और सही समय
खेती में फसल को बोन से पहले खेत की अच्छे से जुताई की जानी चाहिए ,उसके बाद खेती में अवशेषों को नष्ट करना चाहिए। उसके बाद खेती को कुछ समय के लिए खुल छोड़ देना चाहिए। ताकि खेती को धूप लग सके ,उसके बाद आप खेत पानी से पलेव कर देना चाहिए ,फिर जब खेत की मिट्टी कुछ सूख जाये तब खेत में फिर से जुताई की जानी चाहिए ,उसके बाद खेत में गोबर की खाद डालनी चाहिए ,उसके बाद खेती की अच्छे से जुताई करे ताकि मिट्टी में खाद अच्छे से मिल सके। फिर मिट्टी भुरभुरी हो जाती है उसके बाद खेत में बीज को बो देना चाहिए। गेहू की सिंचित समय में बुआई 25 अक्टूबर से 15 नवम्बर के बीच की जानी चाहिए ,उसके आलावा अधिक देर से बुआई 25 दिसंबर के बाद करनी चाहिएगेहू की खेती में सिचाई की दशा
गेहू की सिचाई हल्की -हल्की और अधिक पानी की आवश्यकता होती है गेहू की सिचाई की सारणी इस प्रकार है -- गेहू की पहली सिचाई : बुआई के 20 -25 दिन बाद करे ,(ताजमुल अवस्था)
- गेहू की दूसरी सिचाई : बुआई के 40-45 दिन बाद करे ,(कल्ले निकलते समय)
- गेहू की तीसरी सिचाई : बुआई के 60 -65 दिन बाद करे,(दीर्घ संधि अथवा गांठे बनते समय)
- गेहू की चौथी सिचाई : बुआई के 80 -85 दिनों के बाद करे , (पुष्पावस्था)
- गेहू की पांचवी सिचाई : बुआई के 100 -105 दिन पर करे ,(दुग्धावस्था)
- गेहू की छठी सिचाई : बुआई के 115 -120 दिनों पर करे ,(दाना भरते समय)
खरपतवार नियंत्रण
खेत में खरपतवार नियंत्रण के लिए खेत की निराई -गुड़ाई करनी चाहिए। खेत की नारे -गुड़ाई समय पर करनी चाहिए। इसके अलावा आप खरपतवार नियंत्रण के लिए रासायनिक तरिके का प्रयोग भी कर सकते है ,नीचे दिए गए किसी एक रसायन को बुआई के 20 से 25 दिन के बाद फसल पर छिड़काव करना चाहिए। सल्फोसल्फ्यूरान का छिड़काव के लिए 300 लीटर से अधिक पानी का उपयोग नहीं करना चाहिए। गेहू में जंगली जई के नियंत्रण हेतु निम्नलिखित खरपतवारनाशी का प्रयोग करना चाहिए।- फिनोक्साप्राप–पी इथाइल 10 प्रतिशत ई.सी. की 1 लीटर प्रति हेक्टैयर
- आइसोप्रोटयूरान 75 प्रतिशत डब्लू.पी. की 25 किग्रा. प्रति हेक्टैयर
- क्लोडीनाफांप प्रोपैर्जिल 15 प्रतिशत डब्लू.पी. की 400 ग्राम प्रति हेक्टैयर
- सल्फोसल्फ्यूरान 75 प्रतिशत डब्लू.जी. की 33 ग्राम (5 यूनिट) प्रति हेक्टैयर
- 2-4डी सोडियम साल्ट 80 प्रतिशत टेकनिकल की 625 ग्राम प्रति हेक्टेयर।
- कर्फेंन्टाजॉन मिथाइल 40 प्रतिशत डी.एफ. की 50 ग्राम प्रति हेक्टेयर।
- 2-4डी मिथाइल एमाइन साल्ट 58 प्रतिशत एस.एल. की 1.25 लीटर प्रति हेक्टेयर।
- मेट सल्फ्यूरान इथाइल 20 प्रतिशत डब्लू.पी. की 20 ग्राम प्रति हेक्टेयर।