तम्बाकू की खेती की सम्पूर्ण जानकारी : उन्नत किस्मे ,और पैदावार
Jul 5, 2023, 16:36 IST
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Tobacco farming : तम्बाकू की खेती नशीले पदार्थ के रूप में की जाती है। इसकी खेती में कम खर्च और अधिक बचत होती है। तम्बाकू का सेवन मानव स्वास्थ के लिए हानिकारक माना जाता है। तम्बाकू का दूसरा नाम धीमा जहर है। तम्बाकू का प्रयोग सिगरेट, बीडी, सिगार, पान मसालों, जर्दा और खैनी जैसी बहुत सारी चीज़ो को बनाने में किया जाता है। इन सभी का प्रयोग वर्तमान समय में अधिक किया जाता है ,चूकि लोगो को पता ही की इसके सेवन से स्वास्थ पर काफी प्रभाव पड़ता है। इसकी खेती करके किसानो को काफी लाभ मिलता है। तम्बाकू को सुखाकर धुआं एवं धुंए रहित नशे की चीजों के सेवन में इस्तेमाल किया जाता है। तम्बाकू की खेती किसानो को कम लागत में अधिक मुनाफा देती है। यह नगदी फसल होती है। यह सोलेनेसी (Solanaceae) परिवार से सम्बन्ध रखता है। इसका वैज्ञानिक नाम निकोटियाना टैबैकम (Nicotiana tabacum) और साधारण नाम खैनी, सुरती, मीठा जहर है। तम्बाकू में निकोटिन की मात्रा ज्यादा होने से इसका इस्तेमाल एंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगल दवाएं बनाने में भी किया जाता है। तम्बाकू को उपयोग अधिक मात्रा में होने लगा है ,इस कारण दुनिया में कई घर उजड़ चुके हैं और कई घर की महिलाएं विधवा हो चुकी है। हम आपको बता दे की तम्बाकू की खेती से जुडी जानकारी का पता होने जरूरी है ताकि आपको फसल को उगने में कोई समस्या नहीं हो। अगर आप भी तम्बाकू की खेती करना चाहते है तो हम आपको इसकी खेती से जुडी सम्पूर्ण जानकारी देंगे।
तम्बाकू की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और तापमान
तम्बाकू की खेती के लिए ठंडी और शुष्क जलवायु की आवश्यकता होती है। इसकी खेती के लिए 100 cm वर्षा की आवश्यकता है इसके पौधे को अच्छे से विकसित होने के लिए ठंडी जलवायु की आवश्यकता होती है इसकी खेती के लिए पौधे को पकने के समय अधिक धूप की आवश्यकता होती है। इसकी खेती को समुद्र तल से तक़रीबन 1800 मीटर की ऊंचाई पर करना उचित माना जाता है। तम्बाकू की खेती के लिए बीजो को अंकुरित होने के लिए 15 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है। और पौधे के विकास के लिए 20 डिग्री के आसपास होना चाहिए। इसकी खेती के लिए पौधे में पत्तियों को पकने के लिए उच्च तापमान और अधिक धूप की आवश्यकता होती है। ज्यादा अधिक तापमान इसकी खेती के लिए हानिकारक होता है।तम्बाकू की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी
तम्बाकू की खेती के लिए हल्की और भुरभुरी तथा लाल दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है। इसकी खेती के लिए भूमि में जलभराव की समस्या नहीं होनी चाहिए। इसकी खेती के लिए भूमि का PH मान 6 से 8 के मध्य होना चाहिए ,जल भराव होने से अक्सर पौधों के ख़राब होने की स्थिति बन जाती है। जिससे पैदावार भी प्रभावित होती है।तम्बाकू की खेती के लिए उपयुक्त सिचाई
तम्बाकू की खेती के लिए खेत में पौध रोपाई के तुरंत बाद सिचाई की जानी चाहिए ,उसके बाद सिचाई 15 दिन के अंतराल पर की जानी चाहिए। इससे पौधे अच्छे से वृद्धि कर पाते है। पौधे की कटाई से 15 से 20 दिन पहले इसकी सिचाई नहीं करनी चाहिए। तम्बाकू की खेती के लिए खेत को अधिक मात्रा में उर्वरक की आवश्यकता होती है।तम्बाकू की खेती के लिए उर्वरक की मात्रा
तम्बाकू की खेती के लिए खेत की मिट्टी में पोषक तत्व की मात्रा अधिक होनी चाहिए। उसके लिए खेत में गोबर की खाद का प्रयोग भी कर सकते है। उसके बाद इसको मिट्टी में अच्छे से मिला देना चाहिए। इसके आलावा आप खेत में रासायनिक तरीका का प्रयोग कर सकते है। इसके लिए नाइट्रोजन 80 किलो,फॉस्फेट 150 किलो, पोटाश 45 किलो और कैल्शियम 86 किलो को प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेत में आखरी जुताई के समय स्प्रै करनी चाहिए।तम्बाकू की खेती के लिए खरपतवार नियंत्रण
तम्बाकू की खेती के लिए खेत में रासायनिक तरीके से निराई गुड़ाई करनी चाहिए। खेत की पहले गुड़ाई पौध रोपाई के 20 से 25 दिनों के अंतराल पर करे। उसके बाद दूसरी गुड़ाई भी 20 दिन के अंतराल पर करनी चाहिए। तम्बाकू की खेती को अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है क्योकि इसकी खेती के से बीज और तम्बाकू दोनों प्राप्त होते है। तम्बाकू की अधिक पैदावार के लिए इसकी फूलो की कलियों को तोड़ देना चाहिए। इसकी पैदावार में भी अच्छी वृद्धि होगी। इसकी खेती बीजो के लिए की जाती है इसके लिए डोडो को नहीं तोडना चाहिए।तम्बाकू की उन्नत किस्मे
तम्बाकू की खेती की कई उन्नत किस्मे पाई जाती है। इसकी मुख्य रूप से दो प्रजातिया होती है। तम्बाकू से अनेक पदार्थ प्राप्त होते है - सिगरेट सिगार और हुक्का तम्बाकू आदि है ,इसकी किस्म को निकोटिन की मात्रा के आधार पर तैयार किया जाता है।निकोटिना टुवैकम किस्म
तम्बाकू की यह किस्म अधिक उगाई जाती है ,इस किस्म के पौधे लम्बे तथा आकार में चौड़े होते है। इस किस्म के पोधो पर आने वाले फूल का रंग गुलाबी होता है। इस किस्म की उपज अधिक होती है। इस किस्म के पौधे का प्रयोग सिगरेट, सिगार, हुक्का और बीडी आदि को बनाने में अधिक जाता है। एस्किसम की अन्य किस्म भी होती है जो इस प्रकार है -- एमपी 220
- टाइप 238
- सीटीआरआई स्पेशल
- वर्जिनिया गोल्ड
- फर्रुखाबाद लोकल
- मोतीहारी
- पीएन 28
- एनपीएस 2116
- वर्जिनिया गोल्ड
- हरिसन स्पेशल,
निकोटीन रस्टिका किस्म
यह तम्बाकू की किस्म दूसरी है। इस किस्म की पत्तिया रूखी और भारी होती है। इस किस्म में सुगंध अच्छी आती है। इसकी पत्तिया सूख जाने के बाद काली हो जाती है। इस किस्म के लिए ठंडा मौसम अधिक उपयुक्त होता है। इस किस्म का प्रयोग खाने और सुघने में किया जाता है। इसके अलावा इसका उपयोग हुक्का पीने में किया जाता है। इस किस्म के अन्य किस्मे भी होती है ,जो इस प्रकार है -- हरी बंडी
- भाग्य लक्ष्मी
- कोइनी, सुमित्रा
- डीजी 3
- ह्यइट वर्ले,
- पीएन 70
- गंडक बहार
- रंगपुर,
- पीटी 76