मुंबई, 5 जुलाई 2025: ठाकरे परिवार में 20 साल बाद एक बार फिर से एकजुटता देखने को मिली है। शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के नेता राज ठाकरे ने एक साथ मंच साझा किया। यह मौका था मुंबई में आयोजित एक विजय रैली का, जहां दोनों भाइयों ने महाराष्ट्र और मराठी मानुष के हितों के लिए एकजुट होने का संदेश दिया। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह केवल मराठी गौरव का प्रदर्शन है या फिर आगामी नगर निगम चुनावों से पहले कोई बड़ा राजनीतिक गठबंधन होने की तैयारी?
पिछले कुछ महीनों से दोनों भाइयों के बीच नजदीकियां बढ़ने की खबरें थीं। अप्रैल 2025 में राज ठाकरे ने कहा था कि वह महाराष्ट्र के हितों के लिए अपने अहंकार को दरकिनार करने को तैयार हैं। उद्धव ने भी इसका सकारात्मक जवाब दिया था। अब दोनों का एक साथ मंच पर आना और मराठी अस्मिता के लिए आवाज उठाना चर्चा का विषय बन गया है। कुछ लोग इसे महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा बदलाव मान रहे हैं, तो कुछ का कहना है कि यह सिर्फ खोया हुआ जनाधार वापस पाने की कोशिश है।
2006 में राज ठाकरे ने शिवसेना छोड़कर एमएनएस बनाई थी, जिसके बाद दोनों भाइयों के रास्ते अलग हो गए थे। लेकिन अब, दोनों ने एक साथ आकर मराठी भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने की बात कही। राज ठाकरे ने रैली में कहा, “महाराष्ट्र मेरे लिए किसी भी राजनीति से बड़ा है।” वहीं, उद्धव ने भी इसे एक नई शुरुआत बताया।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह एकजुटता आगामी नगर निगम चुनावों को ध्यान में रखकर हो सकती है। कुछ लोग इसे बीजेपी और अन्य पार्टियों के खिलाफ एक रणनीति के तौर पर देख रहे हैं। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने इसे “स्वार्थी मकसद” करार दिया, लेकिन शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने इसे महाराष्ट्र के लिए उत्सव जैसा पल बताया।
क्या यह एकता सिर्फ मराठी मुद्दों तक सीमित रहेगी, या दोनों भाई एक बड़ा राजनीतिक गठबंधन बनाएंगे? यह सवाल हर किसी के मन में है। फिलहाल, यह मुलाकात महाराष्ट्र की राजनीति में नई हलचल पैदा कर रही है।