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BRICS समिट में बड़ा झटका! दो दिग्गज नेताओं की गैरमौजूदगी से बढ़ी हलचल

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Big setback in BRICS summit! Absence of two big leaders created commotion

नई दिल्ली, 5 जुलाई 2025: BRICS, यानी ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका का संगठन, जो कभी दुनिया की उभरती अर्थव्यवस्थाओं की आवाज माना जाता था, क्या अब उसका असर कम हो रहा है? इस बार ब्राजील में होने वाले BRICS समिट से दो बड़े नेता, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की गैरमौजूदगी ने इस सवाल को और हवा दे दी है। आइए जानते हैं कि आखिर क्या है इसकी वजह और BRICS का भविष्य क्या है।

शी जिनपिंग और पुतिन की गैरमौजूदगी की वजह

इस बार BRICS समिट में शी जिनपिंग पहली बार हिस्सा नहीं लेंगे। चीन ने इसका कारण ‘शेड्यूलिंग कॉन्फ्लिक्ट’ बताया है, लेकिन कुछ खबरों के मुताबिक, ब्राजील द्वारा भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए स्टेट डिनर आयोजित करने से चीन नाराज हो सकता है। दूसरी तरफ, पुतिन ने अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) के गिरफ्तारी वारंट के डर से ब्राजील जाने से मना कर दिया है। ICC ने पुतिन पर यूक्रेन के बच्चों के जबरन प्रत्यर्पण का आरोप लगाया है। पुतिन इस बार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए समिट में शामिल होंगे।

क्या BRICS का महत्व कम हो रहा है?

BRICS की स्थापना 2009 में वैश्विक शासन में सुधार और पश्चिमी देशों के दबदबे को चुनौती देने के लिए हुई थी। लेकिन हाल के वर्षों में संगठन में नए सदस्यों के शामिल होने और अलग-अलग देशों के अपने हितों ने इसकी एकजुटता पर सवाल उठाए हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि नए सदस्यों के शामिल होने से BRICS का मूल उद्देश्य कमजोर पड़ा है। वहीं, ब्राजील इस समिट को वैश्विक सहयोग और सुधार की दिशा में ले जाना चाहता है, न कि सिर्फ पश्चिम विरोधी मंच के रूप में।

BRICS का भविष्य क्या है?

शी और पुतिन की गैरमौजूदगी से समिट में भारत, ब्राजील और अन्य देशों को ज्यादा जिम्मेदारी लेने का मौका मिल सकता है। यह समिट वैश्विक व्यापार, जलवायु परिवर्तन और आर्थिक सहयोग जैसे मुद्दों पर चर्चा का मंच बन सकता है। लेकिन अगर बड़े नेता इस तरह की बैठकों से दूरी बनाएंगे, तो BRICS की विश्वसनीयता पर असर पड़ सकता है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

विशेषज्ञों का कहना है कि BRICS को अपने मूल लक्ष्यों पर ध्यान देना होगा। अगर यह संगठन सिर्फ पश्चिम विरोधी मंच बनकर रह गया, तो इसका वैश्विक प्रभाव कम हो सकता है। ब्राजील जैसे देश इस समिट को एक नई दिशा देना चाहते हैं, जो सभी के लिए फायदेमंद हो सकता है।

सलोनी यादव एक अनुभवी पत्रकार है जिन्होंने अपने 10 साल के कैरियर में कई अलग अलग विषयों को अच्छे से कवर किया है। कई बड़े पब्लिकेशन के साथ काम किया है और अब एनएफएल स्पाइस पर अपनी सेवाएं दे रही है। सलोनी यादव हमेशा प्रमाणिक स्रोतों और अपने अनुभव के आधार पर ही जानकारी साझा करते हैं, जिससे पाठकों को सही और भरोसेमंद सलाह मिलती है।

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