Ekchokho.com 🇮🇳

2025 का मॉनसून कैसा रहेगा: देश में सामान्य से बेहतर बारिश की उम्मीद, देखे क्या है अपडेट

Published on:

monsoon
Follow Us

Monsoon 2025 : भारत में मॉनसून हर साल एक नई उम्मीद लेकर आता है। यह न सिर्फ खेती और अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि आम लोगों की जिंदगी को भी प्रभावित करता है। 2025 का मॉनसून खास होने की उम्मीद है, क्योंकि मौसम विशेषज्ञों ने सामान्य से थोड़ी अधिक बारिश की भविष्यवाणी की है। इस बार मानसून को लेकर एक्सपर्ट की क्या राय है और देश में खेती के लिए मानसून में बारिश कितनी हो सकती है, आइये जानते है।

देश में कब दस्तक देगा मानसून

मॉनसून की शुरुआत केरल के तटों से होती है, और विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2025 में यह 1 जून के आसपास केरल में दस्तक देगा। यह समय भारत में मॉनसून के आगमन का सामान्य समय है। केरल से शुरू होकर, मॉनसून धीरे-धीरे देश के अन्य हिस्सों में फैलेगा। जून के पहले हफ्ते में यह कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश तक पहुँचेगा। जून के मध्य तक उत्तर भारत के राज्य जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में मॉनसून पूरी तरह सक्रिय हो जाएगा। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि इस बार मॉनसून की गति सामान्य रहेगी, जिससे बारिश का वितरण संतुलित होगा। सितंबर तक मॉनसून पूरे देश को कवर करेगा और अक्टूबर की शुरुआत में यह धीरे-धीरे विदा लेना शुरू करेगा। मानसून की दस्तक से लेकर विदा होने तक देश के कुछ हिस्सों को छोड़कर अन्य में अच्छी बारिश की संभावना इस बार जताई जा रही है।

कैसी रहेगी बारिश

इस बार की मानसून खेती के लिए बेहतरीन होने वाली है। जिन क्षेत्रों में पिछले मानसून के दौरान कम बारिश हुई थी इस बार उनमे भी अच्छी बारिश की उम्मीद की जा रही है। मौसम की जानकारी देने वाले मौसम पूर्वानुमान संगठनों ने 2025 के लिए 103% लॉन्ग पीरियड एवरेज (LPA) बारिश की भविष्यवाणी की है। LPA का मतलब 868.6 मिलीमीटर बारिश है, जो 1971-2020 के औसत पर आधारित है। 103% LPA का अर्थ है कि इस साल देश में सामान्य से थोड़ी अधिक बारिश होगी। खास तौर पर, उत्तर भारत के राज्य जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब और हरियाणा में अच्छी बारिश होने की संभावना है। मध्य भारत में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में भी मॉनसून मजबूत रहेगा। दक्षिणी राज्यों जैसे कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में बारिश का स्तर सामान्य से बेहतर रहेगा।

हालांकि, पूर्वोत्तर राज्यों जैसे असम, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश में बारिश औसत से कम रह सकती है। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों में भी कुछ क्षेत्रों में बारिश की कमी देखी जा सकती है। यह जानकारी क्षेत्रीय मौसम पैटर्न और भौगोलिक विविधताओं पर आधारित है। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि मॉनसून की बारिश का वितरण इस बार संतुलित होगा, जिससे बाढ़ या सूखे जैसी चरम स्थितियों की संभावना कम है।

क्या होगा ला लीना का प्रभाव

2025 के मॉनसून को मजबूती देने में ला नीना की भूमिका अहम होगी। ला नीना एक ऐसी मौसमी स्थिति है, जिसमें प्रशांत महासागर का तापमान सामान्य से कम हो जाता है, जो भारत में बारिश को बढ़ावा देता है। मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 2025 की शुरुआत में ला नीना के हालात बनेंगे। इसके अलावा, इंडियन ओशन डायपोल (IOD) भी सकारात्मक रहने की उम्मीद है। सकारात्मक IOD तब होता है, जब हिंद महासागर के पश्चिमी हिस्से का तापमान पूर्वी हिस्से से अधिक होता है, जो मॉनसून के लिए अनुकूल होता है।

इसके साथ ही, ENSO-न्यूट्रल स्थिति (जब न तो एल नीना और न ही ला नीना प्रभावी हो) मॉनसून की शुरुआत में रहेगी, जो धीरे-धीरे ला नीना की ओर बढ़ेगी। ये सभी कारक मिलकर सूखे की संभावना को लगभग खत्म करते हैं और अति बारिश की स्थिति को भी नियंत्रित रखते हैं। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि इन परिस्थितियों के कारण मॉनसून के दौरान अच्छी बारिश दर्ज की जा सकती है। ये कंडीशन बेहतर मानसून की और इशारा करती है।

मानसून में बेहतर होगी खेती

भारत एक कृषि प्रधान देश है और इसकी अर्थव्यस्था भी कृषि पर ही चलती है तो ऐसे में भारत की अर्थव्यवस्था में मॉनसून का योगदान 14-15% है, क्योंकि यह खेती, जल संसाधनों और ग्रामीण रोजगार से सीधे जुड़ा है। 2025 में सामान्य से बेहतर बारिश की भविष्यवाणी किसानों के लिए बड़ी राहत लेकर आई है। धान, गन्ना, कपास, मक्का और दलहन जैसी फसलों की पैदावार बढ़ने की उम्मीद है। खास तौर पर, उत्तर और मध्य भारत के किसान इस बार अच्छी फसल की उम्मीद कर सकते हैं।

इसके अलावा, जलाशयों का जलस्तर बढ़ने से पनबिजली उत्पादन में सुधार होगा। नदियों और तालाबों का जलस्तर बढ़ने से पेयजल की आपूर्ति और सिंचाई की सुविधा भी बेहतर होगी। ग्रामीण अर्थव्यवस्था, जो मॉनसून पर बहुत हद तक निर्भर है, को इस बार मजबूती मिलेगी। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार बारिश का संतुलित वितरण होने से फसलों को नुकसान की आशंका भी कम है।

X