नए साल पर लगेगा अन्नदाताओं को बड़ा झटका, महंगा हो सकता है DAP खाद
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साल 2024 को खत्म होने में 1 दिन का समय रह गया है l वहीं 1 दिन के बाद साल 2025 की शुरुआत हो जाएगी l मगर नया वर्ष गरीब मजदूर व अन्नदाताओं के लिए एक अच्छी खबर लेकर नहीं आएगा l ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि नए साल में डीएपी का मूल्य बढ़ने की संभावना है, यहां पर किसानों को जो 50 किलो का डीएपी का बोरा 1350 रुपये में मिल रहा है, इसमें 200 रु तक की बढ़ोतरी हो सकती है l
डीएपी क्या है और क्यों बढ़ेंगे इसके दाम
डीएपी (डायमोनियम फॉस्फेट) एक प्रकार का उर्वरक है जो खाद्यान्न उत्पादन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह उर्वरक फॉस्फोरस और नाइट्रोजन का एक संयोजन है, जो पौधों के विकास और उत्पादन के लिए आवश्यक होता है। डीएपी का उपयोग विभिन्न प्रकार की फसलों में किया जाता है, जैसे कि गेहूं, चावल, मक्का, और कपास। डीएपी के दाम बढ़ रहे हैं, जो किसानों और कृषि उद्योग के लिए एक बड़ी चुनौती है।
- पहला, डीएपी के उत्पादन में उपयोग होने वाले कच्चे माल की कीमतें बढ़ रही हैं। डीएपी के उत्पादन में फॉस्फोरिक एसिड और अमोनिया का उपयोग किया जाता है, जिनकी कीमतें हाल के दिनों में बढ़ रही हैं।
- दूसरा, डीएपी की मांग बढ़ रही है, जो इसके दाम को बढ़ावा दे रही है। विश्वभर में खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि हो रही है, जो डीएपी की मांग को बढ़ावा दे रही है।
- तीसरा, डीएपी के उत्पादन में उपयोग होने वाले ऊर्जा संसाधनों की कीमतें बढ़ रही हैं। डीएपी के उत्पादन में उपयोग होने वाले ऊर्जा संसाधनों की कीमतें हाल के दिनों में बढ़ रही हैं, जो डीएपी के दाम को बढ़ावा दे रही हैं।
- चौथा, डीएपी के निर्यात पर लगन वाले निर्यात शुल्क की दरें बढ़ रही हैं। डीएपी के निर्यात पर लगने वाले निर्यात शुल्क की दरें हाल के दिनों में बढ़ रही हैं, जो डीएपी के दाम को बढ़ावा दे रही हैं।आने वाले दिनों में विशेष सब्सिडी को जारी रखा गया तो इसका बोझ उद्योग के क्षेत्र को उठाना पड़ेगा l पिछले कुछ समय से डॉलर की तुलना में रुपये का मूल्य घट रहा है. वैश्विक बाजार में अभी डीएपी का मूल्य 630 डॉलर प्रति टन है l
यही कारण है कि रुपये के कमजोर होने से आयात लागत में करीब 1200 रुपये प्रति टन की बढ़ोत्तरी हो रही है l ऐसे में अगर सब्सिडी भी बंद हो गई तो प्रति टन लगभग 4700 रुपये की लागत बढ़ अधिक हो जाएगी l जिससे प्रति बैग करीब 200 रुपये महंगा हो जाएगा l
केंद्र सरकार क्या कर देगी सब्सिडी बंद
फास्फेट और पोटाश युक्त यानि पीएंडके उर्वरकों के लिए केंद्र सरकार की अप्रैल 2010 से पोषक- तत्व आधारित सब्सिडी योजना जारी है l यह सब्सिडी खाद का निर्माण करने वाली कंपनियों को दी जाती है,पीएंडके क्षेत्र नियंत्रणमुक्त है और एनबीएस के तहत कंपनियां बाजार के अनुसार उर्वरकों का उत्पादन और आयात कर सकती हैं l इसके अलावा किसानों को कम दाम पर डीएपी उपलब्ध कराने को विशेष अनुदान उपलब्ध कराया जाता है, जिसकी समय सीमा में बढ़ोत्तरी नहीं हुई तो एक जनवरी से डीएपी के दामों में वृद्धि होना लगभग तय है l देश में डीएपी की कुल मांग का करीब 90 फीसदी आयात से पूरा किया जाता है l
किसानों पर पड़ेगा अतिरिक्त बोझ
डीएपी की कीमतों में वृद्धि से किसानों पर अतिरिक्त बोझ पड़ने की संभावना है। डीएपी एक महत्वपूर्ण उर्वरक है जो खाद्यान्न उत्पादन में उपयोग किया जाता है, और इसकी कीमतों में वृद्धि से किसानों की उत्पादन लागत बढ़ सकती है l डीएपी की कीमतों में लगभग 12 से 15 प्रतिशत की वृद्धि होने की संभावना है, जिससे इसकी कीमतें 1350 रुपये प्रति बोरी से बढ़कर 1590 रुपये प्रति बोरी हो सकती हैं l यह वृद्धि किसानों के लिए एक बड़ा बोझ हो सकती है, खासकर उन किसानों के लिए जो पहले से ही आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं।
इसके अलावा, डीएपी की कीमतों में वृद्धि से खाद्यान्न की कीमतें भी बढ़ सकती हैं, जो उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है। हालांकि, सरकार ने किसानों को राहत देते हुए उर्वरकों पर सब्सिडी जारी रखने का फैसला किया है, जो किसानों के लिए एक बड़ी राहत हो सकती है l
हालांकि, सरकार ने किसानों को राहत देने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिनमें उर्वरकों पर सब्सिडी जारी रखना, किसानों को कम दरों पर उर्वरक उपलब्ध कराना, और किसानों को डीएपी की कीमतों में वृद्धि के प्रभाव से निपटने में मदद करना शामिल है l इन कदमों से किसानों को डीएपी की कीमतों में वृद्धि के प्रभाव से निपटने में मदद मिल सकती है।