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क्या DAP खाद की ज्यादा मात्रा आपके फसलों को पहुंच सकती है नुकसान? डीएपी खाद को इस तरीके से करें इस्तेमाल

डीएपी एक प्रकार का उर्वरक है जो फॉस्फोरस और नाइट्रोजन का एक संयोजन है। यह उर्वरक फसलों के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन इसके अधिक उपयोग से जमीन को नुकसान पहुंच सकता है।
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डीएपी एक प्रकार का उर्वरक है जो फॉस्फोरस और नाइट्रोजन का एक संयोजन है। यह उर्वरक फसलों के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन इसके अधिक उपयोग से जमीन को नुकसान पहुंच सकता है।

डीएपी जमीन को खराब करने के कई तरीके हैं

  • फॉस्फोरस की अधिकता: डीएपी में फॉस्फोरस की अधिकता होती है, जो जमीन में फॉस्फोरस के स्तर को बढ़ा देती है। इससे जमीन की उर्वरता कम हो सकती है और फॉस्फोरस की अधिकता से जमीन के पानी में भी प्रदूषण हो सकता है।
  • नाइट्रोजन की अधिकता: डीएपी में नाइट्रोजन की भी अधिकता होती है, जो जमीन में नाइट्रोजन के स्तर को बढ़ा देती है। इससे जमीन की उर्वरता कम हो सकती है और नाइट्रोजन की अधिकता से जमीन के पानी में भी प्रदूषण हो सकता है।
  • जमीन का अम्लीकरण: डीएपी के अधिक उपयोग से जमीन का पीएच स्तर कम हो सकता है, जिससे जमीन अम्लीय हो जाती है। इससे जमीन की उर्वरता कम हो सकती है और फसलों के विकास में भी परेशानी हो सकती है।
  • माइक्रोबियल गतिविधि का नुकसान: डीएपी के अधिक उपयोग से जमीन में माइक्रोबियल गतिविधि कम हो सकती है, जिससे जमीन की उर्वरता कम हो सकती है और फसलों के विकास में भी परेशानी हो सकती है।

डीएपी के नुकसान को कम करने के लिए कुछ समाधान हैं

  • उर्वरक का संतुलित उपयोग: डीएपी का उपयोग संतुलित तरीके से करना चाहिए, ताकि जमीन को नुकसान न हो।
  • जमीन की जांच: जमीन की जांच करनी चाहिए, ताकि जमीन की उर्वरता और पीएच स्तर का पता लगाया जा सके।
  • माइक्रोबियल गतिविधि को बढ़ावा देना: जमीन में माइक्रोबियल गतिविधि को बढ़ावा देने के लिए कुछ तरीके हैं, जैसे कि जैविक उर्वरक का उपयोग करना और जमीन में जैविक पदार्थ मिलाना।
  • जमीन को संरक्षित करना: जमीन को संरक्षित करने के लिए कुछ तरीके हैं, जैसे कि मिट्टी को कवर करना और जमीन में पानी का संचयन करना।


इन समाधानों को अपनाकर, हम डीएपी के नुकसान को कम कर सकते हैं और जमीन की उर्वरता को बढ़ा सकते हैं।

DAP खाद की मात्रा फसल की आवश्यकता और जमीन की उर्वरता पर निर्भर करती है। 

  • धान: 100-150 किलोग्राम प्रति एकड़
  • गेहूं: 120-180 किलोग्राम प्रति एकड़
  • मक्का: 150-200 किलोग्राम प्रति एकड़
  • सोयाबीन: 100-150 किलोग्राम प्रति एकड़
  • मूंगफली: 80-120 किलोग्राम प्रति एकड़

हालांकि, यह मात्रा जमीन की उर्वरता और फसल की आवश्यकता पर निर्भर करती है। इसलिए, यह सलाह दी जाती है कि जमीन की जांच करें और फसल की आवश्यकता के अनुसार डीएपी खाद की मात्रा तय करें। इसके अलावा, डीएपी खाद को निम्नलिखित तरीके से डालना चाहिए

  • बीज बोने से पहले डीएपी खाद को जमीन में मिला लेना चाहिए।
  • डीएपी खाद को जमीन की सतह पर न डालें, बल्कि इसे जमीन में 5-10 सेंटीमीटर गहराई पर डालें।
  • डीएपी खाद को समान रूप से जमीन में फैला देना चाहिए।
  • यह ध्यान रखें कि डीएपी खाद की अधिक मात्रा जमीन को नुकसान पहुंचा सकती है, इसलिए इसका उपयोग संतुलित तरीके से करना चाहिए।
     
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