सरसों की फसल में शुरू हुआ कीटों के प्रकोप, जाने कैसे करें बचाव, कृषि विशेषज्ञों ने बताया चिंताजनक
रबी का सीजन चल रहा है और इस सीजन में किसान भाई सरसों की खेती करते है .ये एक ऐसा समय होता है जब सरसों की फसल में कीट और रोगों से सबसे अधिक नुकसान होने का खतरा हमेशा बना रहता है। किसान भाई अगर इनका समय पर उपचार नहीं करते है तो उनकी पूरी फसल को ये बर्बाद कर देते है। इस समय देश के कई राज्यों में सरसों की फसल लहलहा रही है और सभी राज्यों में किसानों को सचेत रहने की जरुरत है।
इस सप्ताह की शुरुआत से ही सर्दी का प्रकोप काफी अधिक हो गया है और इसके कारन ही सरसों में इन कीटों के हमले का खतरा मंडराने लगा है। इस समय भारत के उत्तरी राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान के अलावा बिहार, गुजरात और मध्यप्रदेश में सरसों की खेती किसान ने लगाई हुई है और इसमें लगने वाले दो प्रमुख रोग बहुत ही खतरनाक इस समय साबित हो रहे है। चलिए जानते है की कैसे किसान इन रोगों की पहचान कर सकते है और कैसे इनसे बचाव किया जा सकता है।
कौन से कीटों से हो रहा है नुकसान?
इस समय किसानों की सरसों की फसल में दो कीटों का प्रकोप बढ़ने लगा है और ये कोई पहली बार नहीं है बल्कि हर साल इस रबी के सीजन में इनका प्रकोप देखने को मिलता है। सरसों में लाटी कीट (Lathi Insect) और आरा मक्खी (Sawfly) का प्रकोप इस समय काफी तेजी के साथ में बढ़ने लग रहा है। इन दोनों ही कीटों के चलते फसल में भरी नुकसान होता है और किसान इस समय ऐसी चिंता में है की आखिर कैसे अपनी फसल को इनसे बचाया जा सकते।
क्यों बढ़ रहा है इनका प्रकोप
रबी के सीजन में सर्दी रहती है और सर्दी के चलते ही इनका प्रकोप बढ़ जाता है. ऐसा हर साल होता है और हर साल किसानों की तरफ से इसका उपचार भी किया जाता है। ये समय सरसों की फसल के लिए बहुत ख़ास होता है क्योंकि इस समय फूलों से फलियों के आने का समय होता है और अगर कीटों का प्रकोप अधिक रहा तो फलियां बनने की प्रक्रिया बाधित हो सकती है।
इसका सबसे ज्यादा प्रकोप राजस्थान, पंजाब, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, और गुजरात में देखने को मिलता है और अबकी बार भी इन्ही राज्यों में सबसे अधिक नुकसान होने का खतरा मंडराने लग रहा है। अगर इन कीटों का प्रबंधन सही से नहीं किया जाता है तो आने वाले समय में उत्पादन में भारी गिरावट देखने को मिल सकती है। सरसों भारत की मुख्य तिलहनी फसल है और सरसों के तेल का भारत में सबसे अधिक उपयोग में किया जाता है। फसल के ख़राब होने से किसानो को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है और साथ में उत्पादन का असर बाजार में भाव पर भी आता है।
इन कीटों की पहचान कैसे होती है?
किसान भाई अपने खेतों में इन दोनों ही कीटों की आसानी के साथ में पहचान कर सकते है। जो लाही कीट होता है वह काफी छोटा सा होआ है और गौर से देखने पर आपको इसका हल्का भूरा रंग दिखाई दे जायेगा। ये कीट सरसों के पौधे की पत्तियों पर हमला करता है। ये पत्तियों का रस चूस लेता है जिसके चलते पौधे की पत्तियां मुरझाने लग जाती है और फिर धीरे धीरे कुछ ही दिन में वो पौधा भी सुख जाता है।
इसके अलावा जो आरा मक्खी है उसकी पहचान भी आसानी से की जा सकती है। इस मक्खी के जो लारवा होते है वो भरे रंग के होते है और ये भी सरसों के पौधे की पत्तियों को खाकर के ख़त्म कर देते है। इससे भी पत्तियां ख़त्म होने के बाद में पौधे अपना प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया को पूरी नहीं कर पाता है तथा पौधा धीरे धीरे करके सूखने लगता है।
इनका इलाज कैसे करेंगे?
अब किसान भाइयों बात आती है क इनका इलाज कैसे किया जा सकता है क्योंकि इनकी पहचान कैसे की जाएगी ये तो आपको पता चल ही चूका है। देखिये जो लाही किट होता है उसको आपको खेत में अलग अलग जहाज पर ट्रैप लगाकर फंसना होगा और इसके अलावा आपको अपनी सरसों की फसल में क्लोरोपायरीफॉस 100 मिलीलीटर 100 लीटर पानी में घोलकर पूरी फसल पर छिड़काव भी करना होगा। ये छिड़काव आप 30 से 40 दिन के अंतराल पर अपनी फसल में करेंगे तो लाही कीट का फसल में प्रकोप होने से आसानी से बचाव कर सकते है।
इसके अलावा आरा मक्खी से पानी फसल का बचाव करने के लिए आपको मैलाथियान 50 ईसी या फिर इसके अलावा क्विनालफॉस 25 ईसी का घोल बनाकर अपनी फसल में छिड़काव करना होगा। मैलाथियान 50 ईसी 400 मिलीलीटर पार्टी एकड़ में पर्याप्त होती है और अगर आप क्विनालफॉस 25 ईसी का घोल बनाकर छिड़काव कर रहे है तो ये पार्टी एकड़ में 250 मिलीलीटर पर्याप्त होती है। इसके अलावा सिंचाई करने से भी आपकी फसल में पनप रहे आरा मक्खी के लार्वा ख़त्म हो जाते है इसलिए फवारें से सिंचाई करके भी आप इस समस्या से छुटकारा पा सकते है।
सभी किसान भाइयों को एक बात का और भी ख्याल रखना होगा की अपनी फसल में दवाओं का प्रयोग करने से पहले कृषि विषेशज्ञों से सलाह जरुरी लेनी चाहिए और जैसा वे आपको बताते है वैसे ही दवाओं का प्रयोग करना चाहिए। दवाओं का प्रयोग हमेशा उचित मात्रा में करना ही सही रहता है नहीं तो इससे फसल में नुकसान होने का खतरा रहता है। आपको ऐसे ही आर्टिकल रोजाना पड़ने है तो आप हमें WhatsApp पर भी फोलोव कर सकते है जहाँ पर रोजाना ऐसे ही आर्टिकल आप सभी के लिए शेयर किये जाते है।