दलहनी फसलों पर मंडराया रोग का खतरा, अपनाये इन तरीकों को वरना हो जाएंगे बर्बाद
हरदा रोग क्यों है खतरनाक
आमतौर पर दलहनी फसलों में हरदा रोग के संक्रमण का खतरा बना रहता है l इस संक्रमण में पौधों के पत्तों, तनों, टहनियों और फलियों पर काले रंग के फफोले दिखाई पड़ते है, इस संक्रमण से पौधे धीरे-धीरे सूखने लगते हैं और उत्पादन में भारी गिरावट आ जाती है l
कैसे बचाएं इस रोग से अपनी फसलों को
हरदा रोग से फसलों के बचाव के लिए किसानों को चाहिए कि कार्बेन्डाजिम की 2 ग्राम मात्रा को एक किलो बीज के हिसाब से डालने की सलाह दी जाती है l वहीं, फसल में संक्रमण होने पर किसान कार्बेंडाजिम और मैंकोजेब की एक साथ 1.5 ग्राम मात्रा को एक लीटर पानी में घोलकर फसल पर छिड़काव कर सकते हैं l
जड़ और कॉलर रोट रोग
जड़ और कॉलर रोट रोग मुख्यता चना, मटर और मसूर सहित अन्य फसलों के लिए एक विनाशकारी रोग माना जाता है l इस रोग के लक्षण पौधों के निकलने से लेकर 50 दिनों के अंतराल तक अत्यधिक सबसे दिखाई देते हैं,यह रोग उपयुक्त वातावरण पाकर पौधों के जड़ वाले भाग और इसके ऊपर के वाले भाग में लगता है l इस रोग को लगने पर सबसे पहले जमीन के पास पौधों का तना सड़ने लगता है l
कैसे करें इससे बचाव
आपको बता दे कि इस रोग से बचाव के लिए किसानों को ट्राईकोडर्मा 5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज और कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचार कर बीज की बुवाई करनी चाहिए l रोग की शुरुआती अवस्था में कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50 घुलनशील चूर्ण का 3 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर पौधे के जड़ में डालना चाहिए l