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देश की सर्वाधिक दूध देने वाली भैंस की नस्ले, पशुपालन में होगा अधिक मुनाफा

पशुपालन आज के समय में आमदनी का अच्छा स्रोत बन रहा है। युवाओ के सवरोजगार के मौके के साथ साथ रोजगार के अवसर भी इस क्षेत्र में बढ़ रहे है। पशुपालन के क्षेत्र में मुनाफा कमाने के लिए सबसे जरुरी है की आपको पशुओ की नस्ल का चुनाव सोच समझ कर करना होगा। अधिक दूध देने वाली नस्लों के साथ साथ वातावरण के प्रति अनुकूल नस्लों पर अधिक फोकस करना होगा। देश में गाय एवं भैंस की कई नस्ल है जो अच्छा दूध उत्पादन के साथ साथ वातावरण के प्रति सहनशील भी होती है। 
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भारत में पशुपालन बड़े पैमाने पर होता है। और सरकार की तरफ से भी पशुपालन क्षेत्र को विस्तार देने के लिए कई योजनाओ का सञ्चालन किया जाता है। सरकार समय समय पर पशुपालन करने वाले लोगो को ट्रेनिंग एवं लोन आदि की सुविधा प्रदान करती है। लेकिन जो लोग पशुपालन करते है उनके लिए जरुरी है की सभी जानकारी उनको मिले और दूध उत्पादन के क्षेत्र में वो लोग अधिक मुनाफा कमा सके। और इसके लिए पशुपालन में सबसे महत्वपूर्ण पहलु होता है की पशुओ की नस्ल का चुनाव क्षेत्र के हिसाब से करना। 

बहुत से पशुपालक बिना जानकारी के ऐसे पशुओ को डेयरी में रखते है जो क्षेत्र के हिसाब से वातावरण के प्रति सहनशील नहीं होती है और उनका दूध उत्पादन भी प्रभावित होता है। जिससे उनको पशु पालन में दिक्क़ते होती है। नुकसान की संभावना भी बढ़ जाती है। ऐसे में पशुओ की नस्ल की जानकारी होना बेहद जरुरी होता है। आइये जानते है देश में कौन कौन सी गाय एवं भैंस की नस्ले होती है जो बेहतर दूध उत्पादन के लिए जानी जाती है। ताकि पशुपालन करने वाले लोगो को और जानकारी मिले, जिससे उनका मुनाफा हो सके। 


देश में अधिक दूध देने वाली भैंस की नस्ले 

मुर्रा भैंस - देश में भैंस की नस्लों में जब सर्वाधिक दूध देने वाली नस्ल की बात होती है तो मुर्रा का नाम सबसे पहले आता है। इस भैंस का शरीर मजबूत एवं भारी होता है। सींग छोटे होते है।  जबकि इनका सिर छोटा एवं चौड़ा होता है । ये मुर्रा नस्ल दिन में 25 लीटर तक अधिकतम दूध देने की क्षमता रखती है। और इसके दूध में वसा की मात्रा काफी अधिक होती है। इस नस्ल की भैंस चारा कम खाती है लेकिन इनकी दूध देने की क्षमता काफी अधिक होती है। और बीमारियों के प्रति इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता जबरदस्त होती है। ठण्ड और गर्मी के प्रति भी इनमे काफी सहनशीलता होती है। अन्य नस्ल की तुलना में इनके रखरखाव एवं पालन पोषण आसान होता है। ये नस्ले खासकर रोहतक, हिसार, भिवानी जिले में पाली जाती है। हालांकि देश के अन्य हिस्सों में भी इनका पालन पोषण होता है उत्तर भारत के अधिकांश हिस्सों में इस नस्ल को दूध उत्पादन के लिए रखा जाता है। 

जाफराबादी नस्ल : ये नस्ल खासकर गुजरात क्षेत्र में पाई जाती है और इनका शरीर विशालकाय होता है। इनकी दूध देने की क्षमता भी काफी अच्छी होती है। गुजरात के जूनागढ़, भावनगर, राजकोट, जामनगर एवं महाराष्ट्र राज्य, राजस्थान राज्य में भी अधिकांश हिस्सों में इनका पालन होता है। मुर्रा की तुलना में इनकी दूध देने की क्षमता थोड़ी से कम होती है लेकिन ये 18 लीटर तक दूध प्रतिदिन दे सकती है। औसत दूध देने की क्षमता इनकी 10 से 14 लीटर तक होती है। ये नस्ल देश में भैंसो की सबसे मजबूत एवं भारी भरकम नस्ल मानी जाती है। बीमारियों के प्रति सहनशील होती है। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात के कुछ राज्यों में इनका बड़ी तादाद में पालन होता है। 

मेहसाणा नस्ल : ये नस्ल मुर्रा एवं सुरती नस्ल का मिश्रण मानी जाती है। खासकर गुजरात के मेहसाणा, साबरकांठा और बनासकांठा क्षेत्र में इसका पालन होता है। हालाँकि भारत के पश्चिमी राज्यों में भी इसका बड़ी तादाद में पालन होता है। इसके साथ साथ राजस्थान , उत्तर प्रदेश एवं महाराष्ट्र राज्य में भी इनका पालन होता है। इस नस्ल में शरीर मजबूत एवं मध्यम आकार का होता है। सींग लम्बी एवं घुमावदार होती है। इनमे प्रतिदिन दूध देने की क्षमता 8 से 12 लीटर तक होती है लेकिन अच्छी देख रेख के चलते इनका दूध उत्पादन 15 लीटर तक हो सकता है। ये नस्ल गर्मी एवं ठंड के मौसम में सहनशील होती है। अधिक ठण्ड एवं उच्च तापमान में भी ये नस्ल सहनशील होती है। बीमारियों में भी इनकी रोगप्रतिरोधक क्षमता काफी अच्छी होती है। 

भारत में अधिक दूध देने वाली गाय की नस्ले 

डेयरी फार्मिंग में गायो को अधिक तव्वजो दी जाती है। क्योकि इनके दूध देने की क्षमता काफी अच्छी होने के साथ साथ ये वातावरण के प्रति सहनशील भी होती है। देश में राठी, साहीवाल, गिर नस्ल, थारपारकर, लाल सिंधी गाय प्रमुख है। 

गिर नस्ल की गाय : इस गाय में रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी अच्छी होती है और ये गर्मी के प्रति अधिक सहनशील होती है। इनके दूध में वसा भी काफी होती है।  ये खासकर गुजरात क्षेत्र में अधिक पाई जाती है। इनमे रोजाना 12 से 15 लीटर और यदि देखे रेख अच्छी होती है तो 18 से 20 लीटर तक दूध देने की क्षमता हो सकती है। 

साहीवाल गाय की नस्ल : देश के पंजाब, उत्तर प्रदेश एवं हरियाणा राज्य के अलग अलग हिस्सों में इस नस्ल का पालन होता है। ये रोजाना 15 से 20 लीटर तक दूध देने की क्षमता रखती है। ये नस्ल चारा कम खाती है लेकिन दूध के मामले में बेहतर है। भारतीय जलवायु के प्रति सहनशील होती है। 

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