फतेहाबाद में गेहू के अवशेष जलाने पर प्रतिबंध, पर्यावरण प्रदूषण को लेकर कड़े प्रयास

गेहू की फसल की कटाई पुरे प्रदेश में चल रही है। और कई जगहों पर गेहू के अवशेष जलाने के मामले भी देखे जा रहे है। जिससे पर्यावरण प्रदूषण बढ़ रहा है। फतेहाबाद गेहू के अवशेष जलाने को लेकर उपमंडलाधीश राजेश कुमार ने अपडेट जारी किया है। 30 जून 2025 तक फतेहाबाद उपमंडल क्षेत्र में गेहू के अवशेष जलाने को लेकर पूर्ण प्रतिबंध रहने वाला है। गेहू के साथ साथ अन्य प्रकार के अवशेष के जलाने पर भी पूर्ण प्रतिबंध लागु रहने वाला है। आपको बता दे की ये आदेश धारा 163 के तहत जारी किया गया है।
आमतौर पर देखा जाता है की गेहू या अन्य फसलों की कटाई के बाद किसानो खेतो में इसके अवशेष को जला देते है। लेकिन इसका प्रतिकूल प्रभाव वातावरण पर देखने को मिलता है । पराली या फिर गेहू के अवशेष जलाने पर कई जहरीली जैसे वातावरण में फैलती है। जो की हवा की गुणवव्ता को खराब करती है। इससे साँस सम्बंधित दिक्क़ते बढ़ने लगती है। अस्थमा, ब्रॉंकइटिस जैसी बीमारयों के बढ़ने की संभावना होती है। इसके साथ आँखों से सम्बंधित दिक्क़ते भी बढ़ने लगती है।
जमीन की उर्वरा क्षमता भी होती है खत्म
पराली एवं अन्य प्रकार के फसली अवशेष जलाने से खेतो में भी नुकसान होता है। जमीन की उर्वरा क्षमता इससे प्रभावित होती है। अवशेष जलाने से खेतो में फसलों के लिए फायदेमंद बैक्टीरिया, कीड़े और अन्य जीव खत्म हो जाते है। इसके साथ साथ पोषक तत्व भी खेतो में अवशेष जलाने से खत्म होते है। इसके साथ साथ फसलों के उत्पादन पर भी इसका असर होता है। फतेहाबाद उपमंडल में लागु इस आदेश के बाद किसी भी प्रकार के फसली अवशेष जलाने पर किसानो को क़ानूनी कार्रवाई/ जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है।