नई दिल्ली: Gyanvapi Case Report – आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया (ASI) की तरफ से गुरुवार को ज्ञानवापी की सर्वे रिपोर्ट सार्जनिक कर दी गई है। आपको बता दें की सर्वे रिपोर्ट में ये खुलासा आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया (ASI) की तरफ से किया गया है की ज्ञानवापी एक हिन्दू मंदिर हैं और इसको 1669 में तोड़कर इसके कुछ भाग पर मस्जिद का निर्माण किया गया है।

आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया (ASI) की रिपोर्ट आने के बाद में हिन्दू पक्ष में ख़ुशी की लहर दौड़ रही है और अब सबने मिलकर ये मांग कर दी है की ज्ञानवापी में अब नमाज को बंद करवा दिया जाए। ज्ञानवापी शृंगार गौरी की वादिनी महिलाओं में भी इस ASI की रिपोर्ट आने के बाद में काफी प्रसन्नता दिखाई दे रही है।

सर्वे में मिली टूटी मूर्तियां

आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया (ASI) की तरफ से अपनी रिपोर्ट में कहा गया है की पुरे परिसर में कहीं पर टूटी हुई मूर्तियां है तो कहीं पर टूटे हुए शिवलिंग मिले है। ASI की तरफ से 830 पन्नों की रिपोर्ट बनाई गई है जिसमे उन्होंने ज्ञानवापी के मंदिर होने के तमाम सबूत पेश किये है।

ASI की तरफ से रिपोर्ट में कहा गया है की परिसर में ताम्बे के छोटे और बड़े काफी सिक्के भी मिले हैं और साथ में कई शिलालेख भी यहाँ पर मिले हैं जिनसे भी इस बात की पुष्टि हो रही है की यहाँ पहले 1669 से पहले एक विशाल हिन्दू मंदिर हुआ करता था जिसको तोड़ दिया गया और वहां मस्जिद बना दी गई।

हिन्दू पक्ष के अनुसार वे जो चाहते थे की साड़ी रिपोर्ट मीडिया के सामने आये तो अब सबकुछ सामने आ चूका है और मुस्लिम पक्ष को अब ये जगह हिन्दुओं को सौंप देनी चाहिए ताकि आपसी भाईचारा बरक़रार रहे। उनका कहना है की हम बहुत सालों से मंदिर के लिए लड़ाई लड़ रहे थे लेकिन इस रिपोर्ट के आने के बाद में ये तो सबसे सामने आ गया की ये हमारा हिन्दू मंदिर था।

ज्ञानवापी परिसर में नमाज हो बंद

आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया (ASI) की जैसे ही रिपोर्ट सामने आई है तभी से ज्ञानवापी शृंगार गौरी वादिनी महिलाओं की तरफ से कहा गया है की अब ज्ञानवापी परिसर में नमाज को बंद किया जाना चाहिए।

रिपोर्ट में ये भी साफ़ लिखा गया है की जो खम्भे वहां मौजूद हैं वे सभी मंदिर के खम्बे है और मंदिर की खाबो को तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया गया है। इसके साथ ही रिपोर्ट में ये भी कहा गया है की कई जगह ऐसी भी है जिनको निशान मिटने के प्रयास भी किये गए है लेकिन वे लोग सफल नहीं हुए।

मंदिर होने के सबूत आये सामने

खम्भों पर से मूर्तियों को नस्ट करने की भी काफी कोशिश की हुई नजर आती है लेकिन फिर भी मूर्तियों के अवशेष खम्भों पर नजर आ रहे है। 839 पेज की इस रिपोर्ट के लिए 92 दिन तक आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया (ASI) ने अपना सर्वे किया था और उसके बाद में ये रिपोर्ट सामने आई है।

अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी की तरफ से कहा गया की मुस्लिमों आक्रांताओं के द्वारा मंदिर के सबूत मिटने के काफी प्रयास किये गए लेकिन वे लोग इसमें सफल नहीं हो पाये। सर्वे में कई देवनागरी की लिपि भी पाई गई है जिन पर भगवन शंकर के नामों का उल्लेख किया गया है और ऐसी के साथ में एक लेख तो टुटा हुआ मिला है जिसका दूसरा भाग पहले से ही ASI के पास में मौजूद था। उस टूटे हुए लेख को जोड़कर उस लेख को पढ़ने से ये साफ पता चलता है की ये एक बहुत ही विशाल हिन्दू मंदिर हुआ करता था और जुस्को तोड़कर इसको मस्जिद की शक्ल देने की कोशिश की गई थी।

ज्ञानवापी शृंगार गौरी मामले की वादिनी सीता साहू ने भी अपने बयान में कहा है की हम वहां बहुत बार गए है और वहां पर मौजूद मूर्तियों के अवशेष और शिलालेख हमने बहुत बार देखें हैं और उन शिलालेखों पर संस्कृत में कुछ लिखा हुआ है। उन्होंने आगे कहा की आक्रांताओं ने हमारी संस्कृति को नष्ट करने की भरपूर कोशिश की है लेकिन वे इसमें पूरी तरह से सफल नहीं हो पाये।

मैं शुभम मौर्या पिछले 2 सालों से न्यूज़ कंटेंट लेखन...

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