How to cultivate garlic: वैसे तो लहसुन की खेती भारत के हर एक राज्य में होती है। लेकिन मध्य प्रदेश राज्य लहसुन उत्पादन में पहला स्थान रखता है। उसके बाद दूसरे नंबर पर राजस्थान है जहां पर भारत के कुल लहसुन उत्पादन का 16.5% लहसुन उत्पादित किया जाता है और तीसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश राज्य है। जो 6.97% लहसुन उत्पादित करता है इसके अलावा उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब, आदि राज्यों में भी लहसुन की खेती की जाती है।
यदि आज के समय में लहसुन ना हो, तो सब्जी का स्वाद फीखा पड़ जाता है। लहसुन पौष्टिक कंदीय सब्जियों में प्रमुख है। लहसुन का उपयोग मसाले के रूप में किया जाता है। यह हमारे शरीर के स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होता है। लहसुन पेट संबंधित रोग, आंखों की जलन, कान दर्द, गले में खराश, सर्दी-जुकाम आदि के लिए बहुत फायदेमंद होती है।
लहसुन की खेती (Lahsun ki Kheti) नगदी फसलों के रूप में की जाती है और इसका उपयोग कंद मसाले के रूप में किया जाता है। जिस तरह सेब और अनार की कहावत है। ठीक उसी तरह लहसुन की भी एक कहावत है की “लहसुन की कली एक, दिन डॉक्टर को दूर” अर्थात लहसुन की एक कली से हम कई बीमारियों से लड़ सकते हैं। यह विशेषकर पेट संबंधित बीमारियों से ईजाद दिलाता है। इसमें पौष्टिक तत्वों की प्रचुर मात्रा होती है। लहसुन का उपयोग चटनी, अचार, सब्जी बनाने आदि में किया जाता है। इसके अलावा यह व्यापार में काफी फायदेमंद है। इसकी खेती (Garlic Crop) करने वाला किसान एक साथ अधिक लाभ प्राप्त कर सकता है।
लहसुन की खेती के लिए जलवायु एवं मृदा – Climate and soil for garlic cultivation
लहसुन की अच्छी फसल हेतु लहसुन की खेती को हमें समशीतोष्ण जलवायु में करना चाहिए। लहसुन की फसल के लिए ज्यादा गर्म और ज्यादा ठंडा मौसम अनुकूल नहीं है। इसके अलावा आप लहसुन की खेती (garlic farming) को यदि अक्टूबर के महीने में करते हो, तो आप अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हो। क्योंकि अक्टूबर के महीने में इसके लिए अनुकूल जलवायु उपलब्ध होती है। और लहसुन की खेती (Lahsun ki Kheti) करने के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त रहती है। अथवा हल्की मिट्टी और चिकनी मिट्टी लहसुन की खेती के लिए उपयुक्त नहीं है।।
लहसुन की खेती के लिए खेत की तैयारी – Field preparation for garlic cultivation
- लहसुन की खेती (Lahsun ki Kheti) के लिए उचित मिट्टी वाली भूमि का चुनाव करें
- लहसुन की खेती के लिए दोमट मिट्टी सर्वोत्तम रहती है।
- भूमि का पीएच मान जांच करने के बाद यदि पीएच मान कम है, तो बेकिंग सोडा डालकर पीएच मान को संतुलित करें।। लहसुन की खेती के लिए पीएच मान 6 – 8 pH के मध्य होना चाहिए।।
- भूमि का चुनाव करने के बाद सड़ी हुई गोबर खाद को डालकर पहली जुताई करें।
- उसके बाद पाटा लगाकर खेत को समतल बनाएं।
- लहसुन की खेती (Lahsun ki Kheti) के लिए क्यारियों का निर्माण करें, क्यारियों की बीच की दूरी लगभग 10 से 20 सेंटीमीटर तक होनी चाहिए।
- उसके बाद पौधों से पौधों की बीच की दूरी 6 से 7 सेंटीमीटर होनी चाहिए, इसके लिए 6 से 7 सेंटीमीटर की दूरी पर कलियों की बिजाई के लिए गड्ढे कर दें।
लहसुन की खेती के लिए बीज तैयार करना – Preparing seeds for garlic cultivation
लहसुन की खेती के लिए बीज तैयार करना बहुत आवश्यक है इसके लिए आपको सितंबर महीने से ही 20 तैयार करना शुरू कर देना चाहिए। लहसुन की खेती (Lahsun ki Kheti) के लिए बीज तैयार करने हेतु निम्न बिंदुओं को पढ़ें।
- सबसे पहले आप जितने एकड़ खेत में लहसुन की खेती करना चाहते है। उसे हिसाब से लहसुन को खरीदना है। यदि आप 1 एकड़ क्षेत्र में लहसुन की खेती (garlic farming) करते हो, तो आपको लगभग 2-3 क्विंटल लहसुन की आवश्यकता होगी।।
- और फिर 2-3 दिनों के लिए लहसुन को धूप में सुख दें।।
- जब लहसुन अच्छे से कुरकुरा हो जाए तो एक-एक लहसुन की गांठ को हाथ से या मशीन की सहायता से फोड़ लेना है। हर एक लहसुन की गांठ में लगभग 15 से 20 कलियां पाई जाती है।
- उसके बाद लहसुन में उपस्थित कचरे को साफ करके उसकी कलियों को इकट्ठा कर लेना है।
- अब लहसुन की कलियों की छंटाई की आवश्यकता है। इसके लिए आपको लहसुन की बड़ी-बड़ी और मोटी-मोटी कलियों की छंटाई करके उन्हें अलग से एकत्रित करना है। एवं जो कलियां खराब एवं छोटी है। उनको आप खाने में उपयोग में ले सकते हो।
- इसके अलावा आप लहसुन की कलियों को बाजार से भी ला सकते हैं, परंतु यह अधिक महंगी होती है।।
- अब इन कलियों को आप पानी में भीगने से बचाए और बिजाई के समय पर उनकी बुवाई खेत में करें ।।
- बिजाई के बारे में हम आगे जानेंगे।।
लहसुन की खेती के लिए बिजाई का समय – Sowing time for garlic cultivation
किसान भाइयों यदि आप लहसुन की खेती (Lahsun ki Kheti) करना चाहते हो, तो आपको लहसुन की कलियों की बुवाई सितंबर के आखिरी सप्ताह से अक्टूबर के पहले सप्ताह के मध्य कर देनी चाहिए ।। इस समय लहसुन की खेती के लिए जलवायु उपयुक्त रहती है। और तापमान भी नियमित रहता है।
बिजाई
- लहसुन की खेती के लिए बीज बुवाई करने से पहले क्यारियों को तैयार कर लें और क्यारियों की दूरी लगभग 10 से 20 सेंटीमीटर रखें।।
- लहसुन की कलियों की बुवाई आप मशीन के द्वारा या मजदूरों की सहायता से कर सकते हैं। मजदूरों द्वारा की गई बुवाई में बीज की बचत होती है। एवं फसल भी अच्छी प्राप्त होती है। इसके अलावा मशीन से जब हम बुवाई करते हैं। तो वह कलियों की बहुत ज्यादा बर्बादी करती है।
- यदि आप मजदूरों की सहायता से बिजाई करते हो, तो पौधे से पौधे के बीच की दूरी लगभग 6 से 7 सेंटीमीटर तक होनी चाहिए।
- बिजाई के समय लहसुन की कलियों की गहराई 3 से 5 सेंटीमीटर रखें एवं कलियों की पूंछ को ऊपर रखें।।
लहसुन की खेती के लिए बीज का उपचार – Seed treatment for garlic cultivation
लहसुन के बीज उपचार के लिए 2 ग्राम थीरम और 50 ग्राम बैनोमाईल को प्रति लीटर पानी में घोलकर बीज को उपचारित करें ।। यह फसल को उखेड़ा रोग और कांगियारी रोग से बचाव करता है। इसके अलावा आप रासायनिक उपचार में बायो एजेंट ट्राइकोडरमा विराइड की दो ग्राम मात्रा को प्रति किलो बीज के साथ उपचारित करें, इससे हम फसल को मिट्टी जनित बीमारियों से बचा सकते हैं।
लहसुन की फसल कितने समय में तैयार होती है? – How long does it take for the garlic crop to be ready?
सामान्यतः लहसुन की फसल (garlic crop) की बुवाई सितंबर से अक्टूबर महीने के मध्य की जाती है। और लहसुन की फसल बुवाई के 5 से 6 महीने बाद पक्कर तैयार हो जाती है। इसके अलावा आप प्रति हेक्टेयर क्षेत्र से लगभग 130 से 150 क्विंटल लहसुन का उत्पादन कर सकते है। यदि आप लहसुन की कलियों को लगभग 10 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाते हो, तो एक हेक्टर क्षेत्र में 5 क्विंटल लहसुन की आवश्यकता होती है।।
लहसुन की खेती के लिए सिंचाई – Irrigation for garlic cultivation
लहसुन की खेती (Lahsun ki Kheti) सर्दियों के मौसम में की जाती है। इसलिए इसे ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता तो नहीं होती है। फिर भी वातावरण और मिट्टी की किस्म के आधार पर सिंचाई करते रहें। पहली सिंचाई बिजाई के तुरंत बात करें और उसके बाद 10 से 15 दिनों के अंतराल पर आवश्यकता अनुसार सिंचाई करते रहें।।
लहसुन की खेती में खर्चा – Cost of garlic cultivation
लहसुन की खेती (garlic farming) भारत के हर एक प्रदेश में की जाती है। लेकिन उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, राज्य का मौसम और जलवायु लहसुन की खेती के लिए सबसे उचित रहती है। इसकी खेती के लिए प्रति हेक्टेयर लगभग ₹12000 के बीज की आवश्यकता होती है। यह रकम बढ़ भी सकती है क्योंकि अलग-अलग किस्मों के लिए दाम अलग-अलग होते हैं। और आप यदि एक एकड़ क्षेत्र में लहसुन की खेती (Lahsun ki Kheti) करते हो, तो आपको लगभग ₹5000 के बीज की आवश्यकता होगी। और यदि आप एक हेक्टेयर क्षेत्र में लहसुन की खेती करते हो, तो बीज की रकम 12000 से 13000 रूपए और खाद, पानी, मजदूर सबका मिलाकर खेती में खर्चा ₹50,000 से ₹60,000 तक पहुंच जाता है। जिसके बाद आप लाखों में कमाई करते हो।
लहसुन की खेती से होने वाली कमाई – Income from garlic farming
यदि किसान खेती (Lahsun ki Kheti) को बिजनेस की तरह करें, तो वह बहुत अधिक मुनाफा प्राप्त कर सकता है। इसलिए आज के नवयुवक खेती-बाड़ी में अधिक रुचि ले रहे हैं। क्योंकि वह वर्तमान टेक्नोलॉजी और अपनी सूझबूझ से काफी अच्छी खेती कर सकते हैं। लहसुन की खेती अगर हम बिजनेस के नजरिए से देखे तो यह है। सिर्फ 6 महीनों के अन्दर लाखों की इनकम करा सकती है। लहसुन की खेती नगदी फसलों में शामिल होने के कारण यह एक साथ अधिक मुनाफा देती है। इसकी खेती करने के लिए या कहे बिजनेस करने के लिए हमें सिर्फ ₹50 हजार तक का इन्वेस्टमेंट करना है। उसके बाद हम 10 से 12 लाख रुपए कमा सकते हैं।
लहसुन की प्रमुख किस्में – Major varieties of garlic
अभी के टाइम पर सबसे ज्यादा प्रचलित किस्में जी-1 (G-1) और जी-17 (G-17) है। जिसमें से लहसुन की G-17 किस्म की खेती ज्यादातर हरियाणा और उत्तर प्रदेश राज्य में कि जाती है। यह दोनों प्रजातियां लगभग 160 से 180 दिनों के अंदर पक्कर तैयार हो जाती है। और अप्रैल-मई महीने तक हम इसकी खुदाई कर सकते हैं। इन दोनों किस्मों से हम प्रति हेक्टेयर 8 से 9 टन लहसुन का उत्पादन कर सकते हैं। इसके अलावा प्रमुख किस्में नीचे दी गई है।।
लहसुन की प्रमुख किस्म:- टाइप 56-4
लहसुन की टाइप 56-4 किस्म का विकास पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (Punjab Agricultural University) के द्वारा किया गया है। इस किस्म के लहसुन की गांठे आकार में छोटी और सफेद रंग की होती है। इसकी प्रत्येक गांठ में 25 से 34 कलियां (फोत्यां/फुत्तियां) होती है। इस किस्म के द्वारा किसान 15 से 20 टन प्रति हेक्टेयर लहसुन उत्पादन कर सकता है।।
लहसुन की प्रमुख किस्म:- आईसी 49381
लहसुन की यह किस्म (garlic varieties) 160 से 180 दिनों के अंदर पक्कर तैयार हो जाती है। इस किस्म से किसान अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकता है। लहसुन की इस किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (Indian Agricultural Research Institute) के द्वारा विकसित किया गया है।
लहसुन की प्रमुख किस्म:- सोलन
लहसुन की सोलन किस्म का विकास हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय (Himachal Pradesh Agricultural University) के द्वारा किया गया है। इस किस्म के लहसुन की गांठ मोटी होती है। और इसकी प्रत्येक गांठ में चार से पांच कलियां पाई जाती है। लहसुन की इस किस्म (garlic varieties) के लहसुन की पत्तियां चौड़ी और लंबी होती है और यह किस्म अधिक उपज प्रदान करने वाली किस्म है।।
लहसुन की प्रमुख किस्म:- एग्री फाउंड व्हाईट (41 जी)
लहसुन कि इस किस्म से हम प्रति हेक्टेयर 130 से 140 क्विंटल लहसुन उत्पादन कर सकते हैं। यह किस्म सबसे ज्यादा गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक में उगाई जाती है। इस किस्म को पकने में 150 से 160 दोनों का समय लगता है।
लहसुन की प्रमुख किस्म:- यमुना (-1 जी) सफेद
लहसुन की यमुना (-1 जी) सफेद किस्म प्रति हेक्टेयर 150 से 175 क्विंटल लहसुन का उत्पादन करती है। इस किस्म को संपूर्ण भारत में उगाया जाता है। इसकी संस्तुति अखिल भारतीय सब्जी सुधार परियोजना के द्वारा भी दी जा चुकी है। यह किस्म 150-180 दिनों के अंदर पक्कर तैयार हो जाती है।।
लहसुन की प्रमुख किस्म:- यमुना सफेद 2 (जी 50)
इस किस्म (garlic varieties) की खेती सबसे ज्यादा मध्य प्रदेश में की जाती है। क्योंकि वहां की जलवायु और मृदा इस किस्म के लिए उपयुक्त है। यह किस्म पकने में 160 से 170 दोनों का समय लेती है। और इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 150 से 155 क्विंटल लहसुन उत्पादित किए जा सकते हैं। यह रोग प्रतिरोधी क्षमता वाली किस्म होती है। यह किस्म बैंगनी धब्बा और झुलसा रोग के प्रभाव को कम करती है।।
लहसुन की प्रमुख किस्म:- जी 282
यह किस्म एक हेक्टर क्षेत्र में लगभग 200 क्विंटल लहसुन उत्पादित कर सकती है और यह 150 दिनों के अंदर पक्कर तैयार हो जाती है। इस किस्म के लहसुन सफेद रंग और बड़े आकार वाले होते हैं।
लहसुन की प्रमुख किस्म:- आईसी 42891
लहसुन की इस किस्म को विकसित करने का श्रेय भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली को दिया जाता है। यह अधिक उपज देने वाली किस्म है। और यह किस्म लगभग 6 महीनों के अंदर पक्कर तैयार हो जाती है।
लहसुन की अन्य उन्नत किस्में – Other improved varieties of garlic
लहसुन की यह किस्में (garlic varieties) ऊपर दी गई किस्मों से कम उत्पादन देने वाली किस्में है। परंतु यह कम समय में पक्कर तैयार होने वाली किस्म भी है।। यदि इन किस्मों की खेती बड़े क्षेत्र में की जाए, तो किसान कम समय में अधिक लाभ प्राप्त कर सकता है।।
लहसुन की उन्नत किस्म:- Bhima Purple
लहसुन की यह किस्म प्रति एकड़ 24 से 28 क्विंटल लहसुन उत्पादित करती है। इसके अलावा यह किस्म 120 से 130 दिनों के अंदर पक्कर तैयार हो जाती है। इस किस्म के लहसुन हल्के जामुनी रंग के होते है।
लहसुन की उन्नत किस्म:- VL Garlic 1
लहसुन की इस किस्म की खेती अधिकतर पहाड़ी क्षेत्रों में की जाती है और पहाड़ी क्षेत्रों में यह किस्म प्रति एकड़ 50 से 60 क्विंटल लहसुन उत्पादित करती है। और समतल क्षेत्र में औसतन 36 से 40 क्विंटल लहसुन उत्पादन करती है। यह किस्म लगभग 6 महीनों के अंदर पक्कर तैयार हो जाती है। इस किस्म के लहसुन सफेद रंग के होते हैं।
लहसुन की खेती में खाद एवं उर्वरक – Manure and fertilizer in garlic cultivation
बिज बुवाई से 10 दिन पहले खेत में प्रति एकड़ लगभग 2 टन सड़ी हुई गोबर खाद डालें, उसके बाद 50 किलो नाइट्रोजन और 25 किलो फास्फोरस की मात्रा को प्रति एकड़ क्षेत्र में डालें। संपूर्ण एस एस पी को बीज बुवाई से पहले और नाइट्रोजन खाद को तीन हिस्सों में बीज बुवाई के 30, 45 और 60 दिन बाद डालें। बीज बुवाई के 10 से 15 दिनों बाद WSF की 19:19:19 और 2.5 से 3 ग्राम सूक्ष्म तत्वों की मात्रा को प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
लहसुन की खेती में खरपतवार नियंत्रण – Weed control in garlic cultivation
लहसुन की फसल (garlic crop) में खरपतवार नियंत्रित करना बहुत आवश्यक होता है। यदि खरपतवार ज्यादा बढ़ जाए तो यह फसल को खराब कर सकता हैं एवं खरपतवार के ज्यादा बढ़ने पर लहसुन के पत्ते पीले पड़ जाते हैं। इसलिए खरपतवार को समय पर नियंत्रित करना आवश्यक है। खरपतवार नियंत्रण के लिए निम्न दो विधियों को काम में ले सकते हैं।।
निराई गुड़ाई द्वारा खरपतवार नियंत्रण
लहसुन की फसल में नियमित दूरी पर क्यारियां होती है। इसलिए आप लहसुन की फसल (garlic crop) को निराई-गुड़ाई द्वारा खरपतवार मुक्त कर सकते हो। इसके लिए मजदूरों की सहायता से जिस-जिस जगह पर खरपतवार होते हैं। विशेष कर पौधे की तने के आसपास, उन जगहों पर कुदाल की सहायता से खरपतवार को उखाड़ दीजिए।।
रसायनों द्वारा खरपतवार नियंत्रण
फसल के शुरुआती दौर में खरपतवार धीरे-धीरे बढ़ता है। इसलिए हमें निराई गुड़ाई में ज्यादा समय व्यर्थ ना करके, रसायनों द्वारा खरपतवार को नष्ट करना चाहिए। इसके लिए आपको पैंडीमैथालीन की 1 लीटर मात्रा को प्रति 200 लीटर पानी के साथ मिलाकर प्रति एकड़ क्षेत्र में बिजाई के 3 दिन के अंदर स्प्रे करना चाहिए।। इससे फसल में छोटे-छोटे खरपतवार उत्पन्न नहीं होते हैं।
इसके अलावा नदीन नाशक ऑक्सीफ्लोरफेन की 425 मिलीलीटर 200 लीटर पानी की मात्रा के साथ बिजाई के 7 दिन बाद garlic crop में छिड़काव करें ।। नदीनों की रोकथाम के लिए कम से कम दो निराई गुड़ाई आवश्यक है ।। पहली निराई गुड़ाई बीजाई के 1 महीने बाद करें और दूसरी दो महीने बाद।
लहसुन की खुदाई – digging garlic
- लहसुन की खुदाई के 10 से 15 दिन पहले सिंचाई कर दें।
- लहसुन की खुदाई करने के लिए सबसे पहले लहसुन के एक पौधे को उखाड़ कर देखें, यदि लहसुन की गांठ कठोर हो गई है। तो लहसुन खुदाई के लिए तैयार है।
- यदि आप आसानी से खुदाई करना चाहते हो, तो फसल में कुली चलाकर लहसुन की खुदाई करें या फिर बिना कुली चलाएं मजदूरों की सहायता से लहसुन को उखाड़े।
- बिना कुली चलाई लहसुन को उखाड़ने में कठिनाई होगी परंतु लहसुन की चमक बनी रहेगी।। परंतु इसमें लहसुन के जमीन में रहने की संभावना बढ़ जाती है।
- लहसुन की खुदाई करके उसे छांव में रखें
- खुदाई होने के बाद या तो आप उसे खेत में ही काट कर बोरियों में भर लेवे या फिर घर पर लाकर आराम से कटाई करें।।
लहसुन की फसल में होने वाले प्रमुख रोग – Major diseases occurring in garlic crop
लहसुन की फसल (garlic crop) में होने वाले प्रमुख रोग एवं उनके उपचार नीचे दिए गए हैं। यदि आपकी फसल में भी नीचे दिए गए रोगों में से किसी के भी लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत उपचार करें।।
लहसुन की फसल में रोग:- थ्रिप्स
यह एक किट जनित रोग है। यह किट लहसुन की पत्तियों को खरोच और छेदकर उनका रस चूस जाता है। जिसकी वजह से लहसुन की पत्तियां मुड़ जाती है। और सुखकर गिरने लगती है। जिसके कारण लहसुन की गांठे छोटी रह जाती है। यह किट सारी फसल को बर्बाद कर देता है।
रोकथाम
फसल को इस रोग से बचने के लिए 30 इसी डाइमिथोएट, 50 इसी मैलाथियान या फिर 25 ईसी मिथाइल डिमेटान की एक मिलीलीटर मात्रा को प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें
लहसुन की फसल में रोग:- झुलसा व अंगमारी
इस रोग के कारण लहसुन की पत्तियों पर सफेद धब्बे पड़ने लगते हैं। जिसके कारण लहसुन की पत्तियों का रंग बैंगनी हो जाता है और पत्तियां जुलस जाती है। इस वजह से लहसुन का पौधा सूखकर नष्ट हो जाता है और यह फसल की पैदावार को बहुत ज्यादा प्रभावित करता है।
रोकथाम
- इस रोग से बचाव हेतु आप फसल चक्र का प्रयोग कर सकते हैं। जिसमें लहसुन और प्याज न लगाएं
- लहसुन के पौधों की संख्या कम रखें
- फसल में सिंचाई के उचित प्रबंधन और ज्यादा सिंचाई न करें
- बुवाई करने के लिए अच्छी किस्म और रोग रहित लहसुन के बीज का चुनाव करें
- इस प्रकार के लक्षण दिखाई देने पर फसल में 0.2% मैंकोजेब या फिर 0.2% रिडोमिल एमजेड की मात्रा को घोलकर छिड़काव करें।
लहसुन की फसल में रोग:- ब्लैक मोल्ड
यह रोग फसल के खेत में रहते हुए और फसल कटाई के बाद दोनों तरीके से देखने को मिल सकता है। इस रोग के कारण लहसुन की कलियां और गांठों में काले पाउडर जैसी फफूंद आ जाती है। जिसके कारण लहसुन की कीमत में कमी आती है। रोग ज्यादा बढ़ने पर लहसुन की गांठे खोखली हो जाती है।
रोकथाम
इस रोग से बचाव के लिए रोगग्रस्त पौधे को हटा दें और भंडारण के समय जिन लहसुन की गांठों में यह रोग है। उनको छांटकर अलग कर दें और नष्ट कर दें।।
लहसुन की फसल में रोग:- बल्ब रोट
यदि लहसुन की फसल में उचित हवा, पानी का प्रबंधन ने हो, तो खेत में अधिक पानी भराव के कारण लहसुन की गांठे सड़ने लगती हैं।
रोकथाम
- फसल में संतुलित मात्रा में पानी और खाद दें
- लहसुन के भंडारण के समय गांठों को अच्छे से साफ करके रखें
- भंडारण के समय सिर्फ स्वास्थ्य और ठोस गांठों को रखें बाकी को छांटकर निकाल दें।।
- जिस जगह पर लहसुन का भंडारण कर रहे हो वहां पर नमी और हवा दोनों होनी चाहिए
- लहसुन की गांठों को पानी से बचाए और लहसुन का एक साथ एक ही जगह पर बड़ा ढेर ना करें, लहसुन को अच्छे से फैलाएं
- समय-समय पर लहसुन को साफ करते रहें और सड़े गले गांठों को निकलते रहे।
- भंडारण की अवधि बढ़ाने के लिए लहसुन की फसल की खुदाई के तीन हफ्ते पहले 3000 पीपीएम मैलिक हाइड्रोजाइड का छिड़काव फसल में करें।।
महत्वपूर्ण प्रश्न
- 1 भारत में सबसे ज्यादा लहसुन की खेती कहां होती है?
Ans – भारत में सबसे ज्यादा लहसुन उत्पादन (Highest garlic production in India) मध्य प्रदेश राज्य करता है। उसके बाद दूसरे नंबर पर राजस्थान राज्य आता है, जो भारत के कुल लहसुन उत्पादन का लगभग 16% लहसुन उत्पादित करता है।
- 2 1 एकड़ में लहसुन कितना होता है?
Ans – यदि हम एक एकड़ क्षेत्र में लहसुन की खेती (garlic farming) करते हैं, तो हम लगभग 40 से 45 क्विंटल लहसुन उत्पादन कर सकते हैं। यह आंकड़ा बढ़ भी सकता है फर्क सिर्फ किस्म का पड़ता है।
- 3 लहसुन लगाने का सबसे अच्छा महीना कौन सा है?
Ans – लहसुन की खेती (garlic farming) करने के लिए सबसे अच्छा महीना सितंबर से अक्टूबर का होता है। इस समय मौसम एवं जलवायु लहसुन की खेती के लिए उचित रहती है। दक्षिण भारत में लहसुन की खेती अक्टूबर के समय की जाती है। परंतु कई इलाकों में इसकी खेती नवंबर, दिसंबर या जनवरी में भी की जाती है।
- 4 भारत में लहसुन का रेट क्या है?
Ans – बाजार में अभी तक लहसुन का न्यूनतम मूल्य लगभग ₹2100 प्रति क्विंटल है। और यह आंकड़ा बढ़ाते बढ़ाते कभी-कभी ₹9500 प्रति क्विंटल भी पहुंच जाता है।
- 5 लहसुन की सबसे बड़ी मंडी कौन सी है?
Ans – भारत की सबसे बड़ी लहसुन मंडी (India’s largest garlic market) घिरोर लहसुन मंडी (giror lahsun Mandi) है। जो मणिपुर (Mainpuri) में स्थित है।