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अनार की खेती कैसे करें? How to cultivate pomegranate? अनार की बागबानी का सही तरीका

Written By Vinod Yadav
How to cultivate pomegranate
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How To Cultivate Pomegranate: “एक अनार और सौ बीमार” वाली कहावत तो आपने जरूर सुनी होगी और यह कहावत 100% सच भी है। अनार खाने से शरीर में उपस्थित कई बीमारियां खत्म हो जाती है। इसलिए लोग कहते हैं कि, एक अनार सौ बीमारों को ठीक कर सकता है। गर्मियों के मौसम में सिंचाई की बहुत ज्यादा समस्या होने के कारण कई फसलों पर बुरा असर पड़ता है। इससे लागत में कमी आती है, लेकिन यदि आप गर्मियों के मौसम में अनार की खेती (Anar ki Kheti) करते हो, तो आपको बहुत अधिक फायदा होगा। क्योंकि अनार की खेती में ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है और अनार की खेती गर्मीयों के मौसम में अच्छे से कर पाते हैं।।

भारत में अनार की खेती (pomegranate farming) सबसे ज्यादा महाराष्ट्र राज्य में की जाती है। इसके अलावा राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक आदि ऐसे राज्य हैं। जहां पर भी अनार की खेती (Anar ki Kheti) अधिक मात्रा में होती है। अनार (पोमेग्रेनेट) स्वाद में जितना अच्छा होता है‌। उतना ही गुणों में भी होता है। अनार में कई पोषक तत्व और स्वास्थ्यवर्धक पाएं जाते हैं। इसके अलावा अनार में भरपूर मात्रा में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, विटामिन एंटी-ऑक्सीडेंट और खनिज पाएं जाते हैं। जो हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद होते हैं। अनार का फल शरीर में खून की कमी कब्ज की शिकायत और त्वचा संबंधी रोगों के उपचार हेतु बहुत ज्यादा उपयोगी है। अनार खाने से शरीर में स्फूर्ति आती है‌।।

अनार की खेती के लिए खेत की तैयारी – Field preparation for pomegranate cultivation

खेती करने के लिए खेत तैयार करना बहुत आवश्यक है। किसान भाइयों यदि आप अनार (पोमेग्रेनेट) की खेती करना चाहते हो, तो सबसे पहले अच्छी पीएच मान वाली भूमिका चुनाव करें और अनार की खेती (pomegranate farming) के लिए रेतीली दोमट मिट्टी सबसे उचित रहती है। उसके बाद नीचे दिए गए बिंदुओं को पढ़ें।।

  • पुरानी फसल के अवशेषों को हटा दें
  • 1 साल पुरानी साड़ी हुई गोबर खाद को डालकर खेत में जुताई करें।
  • पाटा लगाकर खेत को समतल बनाएं।
  • बुवाई करने के लिए क्यारियां बनाएं।
  • उसके बाद पौध रोपण के लिए गड्ढों को तैयार करें।।

पौध रोपण के 1 महीने पहले आपको 60 X 60 X 60 सेंटीमीटर आकार वाले गड्ढे करने हैं। उसके बाद इन गड्ढों में 20 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद, 1 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट,  50 किलोग्राम क्लोरो पायरीफास चूर्ण, को आपस में मिलाकर गड्ढों में लगभग 15 सेंटीमीटर तक भर दें।।‌

  • उसके बाद हल्की सी सिंचाई कर दें और फिर पौध रोपण करें।

 Anar ki Kheti जलवायु और मृदा – Climate and Soil

अनार की खेती (Anar ki Kheti) के लिए सबसे पहले मिट्टी की जांच करवाना बहुत आवश्यक है। अनार की बागवानी करने हेतु मिट्टी का पीएच मान 6.5 से 7.5 के मध्य होना चाहिए और यदि पीएच मान कम है। तो खेत में बेकिंग सोडा का उपयोग करके पीएच मान को बढ़ाएं। अनार के पौधों में लवणता और क्षारीयता सहन करने के गुण होते हैं।

अनार की खेती (pomegranate farming) करने के लिए अच्छी जल निकास वाली भूमि का चुनाव करना चाहिए, इसके लिए रेतीली दोमट मिट्‌टी सबसे उचित रहती है। जिसके कारण फलों की गुणवत्ता और रंग में सुधार आता है।

यदि हम बात करें अनार की खेती में जलवायु की, तो अनार के लिए शुष्क और अर्ध शुष्क जलवायु उपयुक्त रहती है। अनार (पोमेग्रेनेट) के पौधे सुखा सहन करने की शक्ति रखते हैं। और जब अनार के पौधे पर फूल आने लगे, तो आपको खेत में नमी रखना आवश्यक है।

Anar ki Kheti:- अनार के पौधे तैयार करने का तरीका

अनार की खेती (pomegranate farming) करने के लिए पौधों को सबसे पहले नर्सरी में तैयार किया जाता है। इसके अलावा अनार के पौधों को कलम विधि द्वारा भी तैयार किया जा सकता है। कलम विधि द्वारा यदि पौधे को तैयार किया जाए, तो यह सिर्फ तीन वर्षों के अंदर ही फल देना प्रारंभ कर देते हैं। कलम विधि द्वारा पौधे तैयार करने के लिए भी कमल को तैयार करना आवश्यक है और अनार की कलम को तैयार करने के लिए मुख्यतः कास्ठ कलम विधि, ग्राफ्टिंग विधि, गूटी बांधना आदि का प्रयोग किया जाता है। आईए जानते हैं इन सभी विधियों के बारे में।।

गूंटी बांधना (Gunati banadhana)

इस विधि में अनार के पौधों की कलम को बारिश के मौसम में तैयार किया जाता है। क्योंकि इस समय  अनार के पौधे बहुत कम खराब होते हैं। इस विधि में पौधों की शाखाओं पर ही तैयार किया जा सकता है। इसलिए इस विधि में शाखाओं पर छल्ले बना दिए जाते हैं। उसके बाद कठोर भाग पर गोबर की खाद और मिट्टी को मिलाकर लगा दिया जाता है और उसे पॉलिथीन से ढक दिया जाता है। बाद में जब कलम की जड़े बनने लगती है। तो उन्हें शाखाओं से निकालकर खेत में रोपाई कर दी जाती है। यह विधि कायिक प्रवर्धन की विधि का उदाहरण है।

ग्राफ्टिंग विधि/कलम बांधना (grafting method/graftage)

यह विधि उद्यानिकी की एक तकनीक है। जिसमें किसी एक पौधे के उत्तकों को दूसरे पौधे के ऊतकों में प्रविष्ट कराए जाते हैं। जिसके कारण दोनों की वाहिकाओं के उत्तक आपस में मिल जाते हैं और अलैंगिक प्रजनन द्वारा पोध तैयार करते हैं।

इस विधि में हम अनार के पौधों (pomegranate plants) को उत्पन्न करने के लिए किसी भी जंगली पौधे की शाखाओं का उपयोग कर सकते हैं। इसमें अनार की कमलों को किसी जंगली पौधे की कमल के साथ काटकर आपस में जोड़ दिया जाता है।

Anar ki Kheti:- अनार के पौधों की रोपाई

अनार के पौध की रोपाई करने के लिए वर्षा ऋतु सबसे अच्छी रहती है। इसलिए बारिश के मौसम में बुवाई करने से पौधों में तापमान और जलवायु संतुलन बना रहता है। इसलिए अनार की बुवाई हमें अगस्त से सितंबर या फरवरी से मार्च के महीने में करनी चाहिए इस समय तापमान 25 है 30 डिग्री सेल्सियस तक रहता है। सिंचित इलाकों में हम अनार की रोपाई वर्षा से पहले भी कर सकते हैं। अनार के पौधों की रोपाई पौध के रूप में की जाती है जिसे हम बाजार से खरीद कर ला सकते हैं या फिर नर्सरी में तैयार कर सकते हैं।

अनार (पोमेग्रेनेट) के पौधों (pomegranate plants) को खेत में लगाने से पहले पौधों को क्लोरपाइरीफोस से उपचारित करना चाहिए, उसके बाद हम खेत में तैयार किए गए 6X6X6 सेंटीमीटर के गड्ढों में सड़ी हुई गोबर का खाद डालकर, उसमें पौधों की रोपाई कर सकते हैं। और फिर गड्ढों को चारों तरफ से मिट्टी से ढक देना चाहिए।

Anar ki Kheti:- खाद एवं उर्वरक

यदि आप अनार की खेती सामान्य मृदा में करते हो तो उसके लिए प्रति पौधा 10 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद और 250 ग्राम नाइट्रोजन की मात्रा, 125 ग्राम फास्फोरस तथा 125 ग्राम पोटेशियम की मात्रा को हर साल देना चाहिए। धीरे-धीरे मात्रा को बढ़ा दें और 5 वर्षों बाद मात्रा बढ़ाकर नाइट्रोजन की 625 ग्राम, फास्फोरस की 250 ग्राम, पोटेशियम की 250 ग्राम कर दें।।

Anar ki Kheti:- अनार के पौधों की सिंचाई

यदि आप बारिश के मौसम में अनार के पौधों का रोपण (Planting of pomegranate plants) करते हो, तो इन्हें अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। फिर भी इसकी पहली सिंचाई रोपण (Planting) के चार से पांच दिनों के अंतराल पर करनी चाहिए । इसके अलावा यदि आप वर्षा ऋतु से पहले पौध रोपण (Planting) करते हो, तो रोपण के तुरंत बाद पहली सिंचाई करें, उसके बाद 10 से 15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें।।

जब अनार के पौधों (pomegranate plants) के फूल आने लगे तभी सिंचाई की आवश्यकता होती है। इसलिए डेढ़ महीने तक इनको सिंचाई करनी चाहिए। इसके लिए आप ड्रिप विधि का भी प्रयोग कर सकते हैं। बागनी फसलों में ड्रिप विधि द्वारा सिंचाई करना पौधों के लिए सबसे उचित रहता है। इससे पौधों (pomegranate plants) की वृद्धि अधिक होती है।

Anar ki Kheti:- अनार की प्रमुख किस्में

अनार की खेती (Anar ki Kheti) के लिए अलग-अलग जलवायु के लिए अलग-अलग किस्में होती है। यदि आप अनार की किस्म (pomegranate variety) का पता लगाए बिना खेती करते हो, तो आप उत्पादन में नुकसान झेल सकते हो।। अनार की खेती के लिए प्रमुख किस्में (varieties for pomegranate cultivation) निम्न प्रकार हैं।।

अनार की प्रमुख किस्म:— गणेश

अनार की गणेश किस्म (pomegranate variety) को साल 1936 में विकसित किया गया था और 1970 में एनएलडी से इसका नाम बदलकर गणेश कर दिया गया । अनार की इस किस्म के फलों का वजन 200 से 300 ग्राम होता है। और इसके फल मीठे, रसदार और स्वादिष्ट होते हैं। इस किस्म के फलों का रंग हल्का गुलाबी होता है। अनार की गणेश किस्म से हम प्रति पौधा 8 से 12 किलोग्राम फलों की प्राप्ति कर सकते हैं।

अनार के फलों में सबसे प्रमुख इसके बीज होते हैं। क्योंकि इसके बीजों से ही रस बनाया जाता है और इन्हें खाया भी जाता है। अनार की इस किस्म के बीज कोमल और गुलाबी रंग के होते हैं। यह किस्म महाराष्ट्र की सबसे प्रमुख किस्म है। और भारत में सबसे ज्यादा अनार उत्पादन करने वाला राज्य भी महाराष्ट्र ही है।।

अनार की प्रमुख किस्म:— ज्योति

अनार की प्रमुख किस्मों में एक ज्योति किस्म को य़ूएस धारवाड कृषि विश्वविद्यालय (US Dharwad Agricultural University) के द्वारा सन 1985 में विकसित किया गया था। अनार की ज्योति किस्म के फलों का आकार मध्यम होता है। ज्योति के बीज लाल रंग के होते हैं। ज्योति किस्म के एक पौधे से हम 10 से 12 किलोग्राम तक अनार प्राप्त कर सकते हैं।

अनार की प्रमुख किस्म:— मृदुला

अनार की प्रमुख किस्म (pomegranate variety) मृदुला को महात्मा फुले कृषी विद्यापीठ राहुरी, महाराष्ट्र (Mahatma Phule Agricultural University Rahuri, Maharashtra) के द्वारा विकसित किया गया है। इस किस्म के अनार चिकनी सतह वाले और गहरे लाल रंग के होते हैं। इस किस्म के बीज मुलायम और रसदार मीठे होते हैं। मृदुला किस्म के फलों का वजन औसतन 250 से 300 ग्राम तक होता है। अनार की इस किस्म को गणेश एवं गुल-ए-शाहू किस्म के संकरण के द्वारा f1 संतति के चयन द्वारा विकसित किया गया था।

अनार की प्रमुख किस्म:— भगवा

अनार की प्रमुख किस्म भगवा सबसे अधिक उपज प्रदान करने वाली किस्म है। इस किस्म की खेती हर एक किसान करता है। यह किस्म प्रति हैक्टर 18000 किलोग्राम तक अनार पैदा कर सकती है। इस किस्म के 600 पौधे एक हेक्टेयर क्षेत्र में पर्याप्त रहते हैं। और यदि किसान इसे थोक भाव में व्यापार करे, तो वह प्रति किलो ₹50 से ₹60 तक कमा सकता है।।

इस किस्म के फल चमकदार और चिकने होते हैं। इसके बीज मुलायम होते हैं। भगवा किस्म के एक पौधे से हम 30 से 40 किलोग्राम फल प्राप्त कर सकते हैं। इस किस्म की सर्वाधिक खेती राजस्थान और महाराष्ट्र में की जाती है।

अनार की प्रमुख किस्म:— अरक्ता

अनार की अरक्ता किस्म को भी महाराष्ट्र के महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ (Mahatma Phule Agricultural University) के द्वारा ही विकसित किया गया है। यह किस्म प्रति पौधा 25-30 किलोग्राम तक फल पैदा करती है। इस किस्म के फल स्वाद में काफी मीठे होते हैं।

अनार की प्रमुख किस्म:— कंधारी

इस किस्म के फल स्वाद में मीठे और बीज कठोर होते हैं। अनार की प्रमुख किस्म कंधारी के फलों का आकार बड़ा और इसके फल स्वाद में रसीले होते हैं। यह सभी किस्में अनार की प्रमुख किस्म (pomegranate variety) है। अनार की प्रमुख किस्मों की खेती करके आप अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा अन्य किस्म जैसे रूबी, करकई , गुलेशाह , बेदाना , खोग और बीजरहित जालोर आदि की खेती भी आप कर सकते हैं।

Anar ki Kheti:- अनार के पेड़ों की छटाई

अनार की अच्छी फसल के लिए हमें समय-समय पर अनार के पेड़ों की छटाई करना आवश्यक है। अनार के पेड़ों की छटाई हम दो प्रकार से कर सकते हैं। पहला एक तना पद्धति द्वारा और दूसरा बहु तना पद्धति के द्वारा।

अनार के पेड़ों की छटाई:- एक तना पद्धति द्वारा

इस पद्धति में अनार के एक तने को छोड़कर बाकी सभी टहनियों को काट दिया जाता है। एक तना पद्धति में जमीन की सतह से अधिक सकर निकलते हैं, जिससे अनार का पौधा झाड़ी नुमा आकृति ले लेता है। इस विधि में तना छेदक का अधिक प्रभाव होता है और इसलिए यह पद्धति व्यवसाय कार्य के लिए उपयुक्त नहीं है।।

अनार के पेड़ों की छटाई:- बहु तना पद्धति द्वारा

इस पद्धति में अनार के पौधे को छंटाई के दौरान इस तरह से सधा जाता है। जिसमें तीन से चार तने को छोड़कर बाकी सभी टहनियों को काट दिया जाता है। इस प्रकार साधे हुए पौधे पर प्रकाश की किरणें अच्छी तरह से पड़ती है। जिससे फूल एवं फल अच्छी तरह से ग्रोथ करते हैं। इस विधि का उपयोग ज्यादातर व्यवसाय कार्यों के लिए किया जाता है।

Anar ki Kheti:- अनार की तुड़ाई

अनार की फसल न्यूनतम 3 सालों के अन्दर पक्कर तैयार हो जाती है उसके बाद अनार के फलों की तुड़ाई की जाती है। जब अनार के पौधे पर फल पूरी तरह से पक जाए तभी फलों को तोड़ना चाहिए पौधे पर फल आने के पश्चात 120 से 130 दिनों के बाद फलों को तोड़ना चाहिए।

अनार की फसल में होने वाले रोग – Diseases occurring in pomegranate crop

बागवानी खेती में यदि समय पर रोगों का उपचार नहीं किया जाए, तो यह पूरी फसल को नष्ट कर सकते हैं। इसी तरह अनार की खेती (pomegranate farming) में भी कई प्रकार के रोग होते हैं। जिनका उपचार आपको समय पर करना चाहिए, निम्न हमने अनार की फसल में होने वाले प्रमुख रोगों एवं उनके उपचार के बारे में बताया है।।

अल्टरनेरिया फ्रूट एसपीओटी (Alternaria Fruit Spot)

इस रोग के कारण अनार के फल पर छोटे-छोटे भूरे गोलाकार धब्बे आ जाते हैं। जैसे-जैसे रोग बढ़ता है। धब्बे आपस में जुड़कर बड़े हो जाते हैं और यह पूरे फल को खाने अयोग्य बना देते हैं ‌।।

उपचार

इस रोग से बचाव हेतु रोग से प्रभावित सभी फलों को तोड़कर नष्ट कर देना चाहिए ।। इसके अलावा 0.25% मैंकोजेब या फिर कैप्टाफ का छिड़काव पौधों पर करना चाहिए।

एन्थ्रेक्नोज (anthracnose)

इस रोग के कारण पौधे के पत्तों पर बैंगनी या काले रंग के धब्बे दिखाई देते हैं। जिसके कारण पौधे की पत्तियां सूख कर गिरने लगती है और इस रोग के लक्षण फूलों पर भी दिखाई देते हैं। यह रोग फलों को भी प्रभावित करता है और उन पर भी धब्बे विकसित कर देता है। इस रोग के कारण फलों में धीरे-धीरे गड्ढे हो जाते हैं। यह रोग ज्यादातर अगस्त से सितंबर के महीने के दौरान प्रभावित होता है। जिसमें तापमान 20° से 27°C के बीच रहता है।

उपचार

इस रोग के उपचार हेतु कार्बेन्डाजिम/डाइफेनकोनाजोल या थियोफैनेट मिथाइल की 2.5 मिलीलीटर मात्रा को 1 लीटर पानी में मिलाकर पौधों पर छिड़काव करना चाहिए। इसके अलावा 20 दोनों का अंतराल पर आप कवकनाशी जैसे की हेक्साकोनाज़ोल 1 मिली/लीटर, थायोफैनेट मिथाइल की 1 ग्राम मात्रा/लीटर, कार्बेन्डाजिम 1 ग्राम मात्रा/लीटर का छिड़काव फसल में करना चाहिए।

बैक्टीरियल ब्लाइट (bacterial blight)

इस रोग के कारण भी अनार (पोमेग्रेनेट) के पौधों की पत्तियों पर छोटे पानी से भरे हुए गहरे रंग के धब्बे दिखाई देते हैं। जिसके कारण पत्तियां समय से पहले ही झड़ जाती है। यह रोग पौधे के ताने और शाखों को अधिक संक्रमित करता है। जिससे पौधे पर कमरबंद रोग या फिर इसकी शाखाएं टूटने लगती है। यह रोग विशेषकर हवा से होने वाली बारिशों के कारण होता है। जब रुक-रुक कर लंबे समय तक बारिश होती है और तापमान न्यूनतम 19.5 से 27.3 डिग्री सेल्सियस हो जाता है, तो यह रोग प्रभाव प्रकट करता है।

उपचार

इस रोग से बचाव हेतु रोग मुक्त पौध का चयन करें और फलों की नियमित रूप से छंटाई करते रहें तथा छंटाई के दौरान शाखाओं को काटकर उन्हें जला दें। इसके अलावा आप रासायनिक उपचार में एक प्रतिशत बोर्डो मिश्रण का छिड़काव करें। इसके अलावा एथ्रेल या पत्ते गिरने के बाद 0.5 ग्राम स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट, 2.5 ग्राम कॉपर ऑक्सी क्लोराइड और 200 ग्राम लाल ऑक्साइड 1 लीटर पानी के साथ पेस्ट बनाकर छिड़काव करें।

अनार का मुरझाना (Pomegranate withering)

इस रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियां और शाखाएं पीली पड़ जाती हैं। इसके बाद पौधे की पत्तियां झड़ने लगती है और शाखाएं सूख जाती है। उसके कुछ ही महीनों बाद पूरा पेड़ नष्ट हो जाता है। यह काफी गंभीर रोग है। इस रोग के उत्पन्न होने का प्राथमिक स्रोत भारी मिट्टी और द्वितीय स्रोत कोनिडिया, पानी है।  यदि आप बिना मिट्टी की जानकारी के खेती करते हो, तो आप इस रोग का सामना कर सकते हो।

उपचार

इस रोग से बचाव हेतु अच्छी जल निकास वाली भूमि का चुनाव करें।। यदि खेत में पानी जमा हो रहा है। तो उसे तुरंत निकाले ।। यदि खेत में नमी है तो सिंचाई न करें। इसके अलावा रासायनिक उपचार में आप प्रारंभिक अवस्था में प्रोपीकोनाज़ोल की 2 मिलीलीटर मात्रा के साथ 4 मिलीलीटर क्लोरोपाइरीफॉस प्रति लीटर पानी में घोलकर प्रति पेड़ 8 से 10 लीटर दवाई के घोल का छिड़काव करें।।

सर्कोस्पोरा फल धब्बा (cercospora fruit spot)

इस रोग के कारण अनार (पोमेग्रेनेट) की पत्तियां एवं फलों पर भूरे रंग के धब्बे आ जाते हैं। पौधे की टहनियों पर काले एवं अंडाकार धब्बे दिखाई देते हैं। इस रोग से संक्रमित टहनियां सूखकर गिर जाती है। और रोग अधिक बढ़ने पर पूरा पौधा नष्ट हो जाता है। यह बीमारी ज्यादातर सितंबर से नवंबर महीने के दौरान प्रभावित होती है।।

उपचार

इस रोग से बचाव हेतु रोग ग्रस्त फलों को तोड़कर नष्ट करें एवं रोग ग्रस्त टहनियों की छंटाई कर दें। रासायनिक उपचार हेतु फसल पर 5 ईसी हेक्साकोनाज़ोल या 25 ईसी प्रोपिकोनाज़ोल या 25 ईसी डिफेनकोनाज़ोल की प्रति 1 मिली लीटर मात्रा को प्रति लीटर पानी के साथ घोलकर छिड़काव करें।

अन्तर की खेती के बारे में पूछे जाने वाले सवाल

अनार का वैज्ञानिक नाम क्या है?

Ans – अनार (पोमेग्रेनेट) का वैज्ञानिक नाम (scientific name of pomegranate), प्यूनिका ग्रेनेटम (Punica granatum) है। अनार लिथ्रेसी परिवार (Lythraceae family) से संबंधित है। अनार को लैटिन भाषा में मालम ग्रेनाटम (Malum Granatum) भी कहा जाता है। जिसका अर्थ होता है ”दानेदार सेब”

अनार का पेड़ कितने दिन में फल देने लगता है?

Ans – यदि आप अनार की फसल की देखभाल अच्छी तरह से करते हो और हमारे बताएं मुताबिक खेती करते हो, तो अनार का पौधा बुवाई के 3 वर्ष बाद फल देने लग जाता है। लेकिन हमें मनचाहा परिणाम लगभग 6 से 7 वर्ष पश्चात ही मिलता है। और हम एक बार बुवाई करने के बाद 25 से 30 वर्षों तक फल प्राप्त कर सकते हैं।।

अनार का पेड़ कब लगाते हैं?

Ans – अनार के पौधे की बुवाई करने के लिए अगस्त से सितंबर और फरवरी से मार्च का महीना उचित रहता है। इस समय अनार की खेती करने के लिए उचित तापमान और जलवायु होती है।

सबसे ज्यादा अनार कहां उगाए जाते हैं?

Ans – भारत में सबसे ज्यादा अनार महाराष्ट्र राज्य में उगाए जाते हैं। इसके अलावा अनार की खेती राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक आदि राज्यों में भी की जाती है।

अनार में फल लगने की दवा?

Ans – यदि आपकी फसल में पौधों पर अच्छी तरह से फूल आ जाते हैं। फिर भी फल नहीं लग रहे हैं, तो आप प्लानोफिक्स की 4 मिलीलीटर मात्रा को 16 लीटर पानी के साथ मिलकर पौधों पर स्प्रे कर सकते हैं। इसके अलावा यदि आपकी फसल अच्छे से उत्पादन नहीं दे रही है, तो आप 3 ग्राम बोरैक्स को प्रति 1 लीटर पानी की मात्रा के साथ मिलकर पौधों पर छिड़काव कर सकते हो।।

 

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Vinod Yadav

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