नरेगा में बढ़ेगी निगरानी, 15 लाख नरेगा जॉब कार्ड रद्द
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इसमें बिहार, उत्तर प्रदेश राज्य में संख्या सर्वाधिक है। इसके साथ ही असम सहित अन्य राज्यों में भी इस योजना के तहत लोगो को रोजगार की सुविधा मिल रही है। फ़िलहाल सरकार इस मामले में सख्ताई के मूड में नजर आ रही है। क्योकि नरेगा में होने वाले फर्जीवाड़े को रोकने के लिए कड़े कदम जरुरी है। और इसके लिए नरेगा कार्यस्थल पर जिओ टैगिंग से लेकर NMMS एप्लीकेशन के जरिये रोजगार पाने वाले नरेगा श्रमिक की अटैंडन्स दर्ज होना आदि को लागु किया गया है। जिससे फर्जी तरीके से लाभ लेने वाले लोगो पर नकेल कसी जा रही है।
लाखो जॉब कार्ड रद्द
नरेगा योजना में श्रमिक को जॉब कार्ड दिया जाता है। जिसमे उसकी सभी जानकारी एवं वर्किंग डिटेल्स होती है। और ये डाटा ऑनलाइन भी होता है। देश में नरेगा योजना वित्तवर्ष 2024-25 के दौरान 15 लाख से अधिक जॉब कार्ड रद्द किये गए है। इनमे बिहार एवं ओडिसा राज्य में सर्वाधिक जॉब कार्ड रद्द हुए है। जॉब कार्ड को रद्द करने के पीछे कई कारण शामिल है। इसमें डुप्लीकेट जॉब कार्ड, गलत जानकारी के साथ बनाये गए जॉब कार्ड, पारिवारिक स्थानांतरण के साथ किसी पंचायत को शहरी क्षेत्र में परिवर्तन के कारण और भी अन्य कारण है जिससे नरेगा जॉब कार्ड बड़ी संख्या में रद्द हो चुके है।
क्या है मनरेगा योजना
ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा के तहत कम से कम 100 दिन का रोजगार केंद्र सरकार आर्थिक रूप से कमजोर एवं बेरोजगार लोगो को मुहया करवाती है जो की नरेगा योजना के तहत होता है। हालाँकि ये रोजगार अस्थाई होता है। इसमें ग्राम पंचायत स्तर के कार्य जैसे की जोहड़ खुदाई, पंचायत या ब्लॉक स्तर पर निर्माण कार्य या अन्य प्रकार के कार्यो में रोजगार के अवसर दिए जाते है। इसमें महिला एवं पुरुष दोनों को रोजगार की सुविधा दी जाती है। और एक तय वेतन इसमें प्रतदिन के हिसाब से लागु होता है। जो सरकार द्वारा तय होता है। मनरेगा केवल एक रोजगार योजना नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने, गरीबी कम करने और बुनियादी ढांचे के विकास में भी सहायक है। इससे लोगों को रोजगार के साथ-साथ आर्थिक सुरक्षा और सामाजिक सशक्तिकरण भी मिलता है।