केनरा बैंक में 538 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के आरोपी जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल जी अदालत के अंदर जज से ‘हाथ जोड़कर’ गुहार लगा रहे हैं, “मैंने जीवन की हर उम्मीद खो दी है’ और अपनी वर्तमान स्थिति में जीने के बजाय जेल में मरना पसंद करेंगे। इसके बाद सलाह यह आता है की एक एयरलाइंस का मालिक इसे हालात तक कैसे पहुंचा? इसकी एक लम्बी कहानी है कैसे महीने में 300 रुपये की सैलरी वाला एक व्यक्ति करोड़ों रुपये की एयरलाइंस का मालिक बन गया और फिर एक झटके में कैसे अर्श से फर्श पर आ गिरा।

साल 1949 में पंजाब के संगरूर में एक आभूषण व्यापारी के घर जन्मे नरेश गोयल (Naresh Goyal) का बचपन बेहद कठिनायों में गुजरा था। Naresh Goyal तब 11 साल के थे तब उनके पिता की मृत्यु हो गई थी फिर परिवार ऐसे मुश्किल आर्थिक संकट में फंसा था कि घर तक की नीलामी हो गई। जब नरेश गोयल 18 साल के थे और पटियाला के बिक्रम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से ग्रेजुएशन कर रहे थे, तब जिम्मेदारियों और घर की आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए उन्हें नौकरी शुरू करनी पड़ी। उन्होंने अपने मामा सेठ चरण दास राम लाल की ईस्ट वेस्ट नाम की ट्रैवल एजेंसी में 300 रुपये महीने पर नौकरी की शुरुआत की।

नौकरी करते हुए ट्रैवल बिजनेस को समझा

ट्रैवल एजेंसी में काम करते हुए नरेश गोयल कई विदेशी एयरलाइनों के साथ जुड़े रहे इसी दौरान उन्होंने ट्रैवल बिजनेस की बारिकियों को समझा फिर साल 1969 में इराकी एयरवेज ने नरेश गोयल को अपना जनसंपर्क प्रबंधक नियुक्त किया। साल 1971 से 1974 तक ALIA, रॉयल जॉर्डनियन एयरलाइंस के रिजनल मैनेजर के रूप में काम किया मिडिल ईस्ट एयरलाइंस (MEA) के भारतीय ऑफिस में भी नरेश गोयल ने काम किया यहां उन्होंने टिकटिंग, रिजर्वेशन और सेल समेत ट्रैवलिंग बिजनेस के कई अहम पहलुओं को समझा।

मां से 15000 रुपये उधार मांग शुरू की ट्रैवल एजेंसी

Naresh Goyal ने नौकरी के दौरान टैवल बिजनेस की बारीकियों को समझा और फिर उन्होंने अपना कारोबार शुरू करने का मन बना लिया। साल 1974 में उन्होंने अपनी मां से तकरीबन 15,000 रुपये लेकर जेट एयर नाम से अपनी खुद की ट्रैवल एजेंसी स्टार्ट कर दी। जेट एयर एजेंसी एयर फ्रांस, ऑस्ट्रियन एयरलाइंस और कैथे पैसिफिक जैसी कंपनियों का प्रतिनिधित्व करती थी।

उनका कारोबार चल निकला फिर 90 के शुरुआती दशक में देश की इकोनॉमी मुश्किल दौर में थी और तत्कालीन प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली सरकार ने ओपन स्काई पॉलिसी को हरी झंडी दे दी। इसे मौके को नरेश गोयल ने हाथों-हाथ लिया और घरेलू ऑपरेशन के लिए एयर टैक्सी की शुरुआत करी।

इसके बाद नरेश गोयल ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। फिर 5 मई 1993 को जेट एयरवेज की बोइंग विमान ने रन-वे से अपनी नोज उठाकर आसमान की तरफ देखा और फिर बादलों से बात करने के लिए उनमें खो गया। जी हां यही वो तारीख है जब जेट एयरवेज (Jet Airways) ने अपने कमर्शियल ऑपरेशन की शुरुआत की थी। घरेलू मार्केट में जेट एयरवेज ने तेजी से अपने पैर पसारे और साल 2002 में तो इसने भारतीय एविएशन मार्खेट में हिस्सेदारी के मामले में इंडियन एयरलाइंस तक को पीछे छोड़ दिया।

एयर सहारा खरीदने के बाद बिगड़े हालात

साल 2005 में एयरलाइन ने कैपिटल मार्केट में एंट्री ली और 20 फीसदी हिस्सेदारी के साथ नरेश गोयल की कुल संपत्ति 8,000 करोड़ रुपये के पार निकल गई। कंपनी ने अपना आईपीओ भी पेश किया था और इसके आने के बाद नरेश गोयल देश के सबसे अमीरों में शामिल हो गए। अपना कारोबार बढ़ाने के लिए उन्होंने 2006 में एयर सहारा एयरलाइन को 1,450 करोड़ रुपये में खरीदा, जिसमें जेट एयरवेज को 27 विमान और 12 फीसदी हिस्सेदारी के साथ कुछ इंटरनेशनल रूट्स भी मिले। लेकिन इसे डील को ही जेट एयरवेज के लिए बुरे दिन की शुरुआत माना जाने लगा |

बात करें इसे वक्त की तो नरेश गोयल 538 करोड़ रुपये के केनरा बैंक धोखाधड़ी केस में आरोपी हैं कोर्ट के रिकॉर्ड के अनुसार, इस मामले में 1 सितंबर 2022 को गोयल को हिरासत में लिया गया था। वह फिलहाल मुंबई की आर्थर रोड जेल में न्यायिक हिरासत में हैं गौरतलब है कि बीते साल 23 नवंबर 2022 को केनरा बैंक के अधिकारियों ने जेट एयरवेज के नरेश गोयल, अनीता गोयल, गौरंग आनंद शेट्टी और अज्ञात लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी, आपराधिक षडयंत्र और विश्वासघात का आरोप लगाया था। इसमें केनरा बैंक को 538.62 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था |

गोयल को 5 जनवरी को अदालत में पेश किया गया और कार्यवाही के दौरान गोयल ने कुछ मिनटों की व्यक्तिगत सुनवाई का अनुरोध किया, जिसे न्यायाधीश ने अनुमति दे दी। अदालत के रिकॉर्ड्ज के अनुसार, गोयल ने हाथ जोड़कर और “पूरे शरीर में लगातार कंपन” के साथ कहा कि “उनका स्वास्थ्य बहुत खराब और अनिश्चित है”. उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी बिस्तर पर हैं और उनकी इकलौती बेटी भी बीमार है। गोयल ने कहा, जेल स्टाफ की उनकी मदद करने की अपनी सीमाएं हैं।

कोर्ट में गोयल ने आगे कहा कि वह बहुत कमजोर हो गए हैं और उन्हें जेजे अस्पताल रेफर करने का कोई मतलब नहीं है। वहीं उन्होंने कहा कि हमेशा मरीजों की लंबी लाइन लगी रहती है और वह समय पर डॉक्टर के पास नहीं पहुंच पाते और जब भी डॉक्टर उनकी जांच करते हैं तो आगे का फॉलो-अप संभव नहीं हो पाता। इससे उनके स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है|

इसलिए उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि उन्हें अस्पताल न भेजा जाए और इसकी बजाय “उन्हें जेल में ही मरने की अनुमति दी जाए। अदालत ने उनके वकीलों को उनके स्वास्थ्य को लेकर उचित कदम उठाने का निर्देश दिया है।

मैं शुभम मौर्या पिछले 2 सालों से न्यूज़ कंटेंट लेखन...

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