PMFBY : केंद्र सरकार की तरफ से चलाई जा रही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत देश में करोड़ो किसानो को फायदा होता है। हर साल करोड़ो रु का मुवावजा राशि फसलों में होने वाले नुकसान के लिए भरपाई के तौर पर किसानो को इस योजना के तहत सरकार जारी करती है। फसलों में प्राकृतिक रूप से होने वाले नुकसान से बचाव के लिए PMFBY स्कीम काफी महत्वपूर्ण हो चुकी है। बाढ़, सूखा, बारिश या अन्य प्रकार से फसलों में होने वाले नुकसान किसानो की आर्थिक स्थिति को ख़राब करते है। जिससे देश में कृषि पर भी इसका असर होता है। उत्पादन प्रभावित होता है। ऐसे में केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की हुई है। जिसके तहत किसान को काफी कम प्रीमियम भुगतान के साथ फसलों का बीमा मिलता है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के फायदे
देश में करोड़ो किसान हर साल अरबो रु की फसल का उत्पादन करते है। और ये भारत की अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण भाग भी है। कृषि क्षेत्र में उत्पादन के साथ साथ नुकसान भी काफी होता है। अभी के समय में जलवायु परिवर्तन फसलों को काफी प्रभावित कर रहा है। असमय बारिश, सूखा, ओलवृष्टि से काफी अधिक नुकसान किसानो को होता है। वही पर कुछ गंभीर किट रोगो के कारण भी फसलों में नुकसान अधिक होता है। तो इन सबसे किसानो को आर्थिक स्थिति पर कोई असर ना हो इसके लिए PMFBY स्कीम को चलाया गया है।
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जो किसान अपनी फसलों का इस योजना के तहत बीमा करवाते है उनको सरकार की तरफ से अधिकृत एजेंसी की तरफ से प्रकृतिक आपदाओं के समय मुवावजा रही प्रदान की जाती है। हालाँकि ये राशि फसलों में नुकसान प्रतिशत के आधार पर दी जाती है। इस योजना के तहत पंजीकरण के बाद किसान प्राकृतिक आपदाओं में होने वाले नुकसान के प्रति चिंता मुक्त हो जाता है। नुकसान की संभावना के बाद भी मुवावजा राशि से आर्थिक स्थिति किसानो की ठीक रहती है। इससे किसानो को कृषि को आगे बढ़ाने में भी मदद मिलती है।
करना होता है कम प्रीमियम का भुगतान
देश में PMFBY स्कीम के तहत खरीफ फसलों में किसानो को 2 फीसदी एवं रबी की फसलों में 1.5% की राशि का भुगतान करना होता है। और जो किसान बागवानी या वाणिजय फसलों का उत्पादन करते है उनको 5% राशि का प्रीमियम भुगतान करना होता है। बाकी सरकार की तरफ से प्रीमियम राशि का भुगतान किया जाता है। इस योजना के तहत प्राकृतिक आगजनी , बिजली गिरने से नुकसान, तूफान में फसलों में नुकसान, ओलावृष्टि, चक्रवात, बाढ़, भूस्खलन, सूखा, कीट और रोग से होने वाले नुकसान में फायदा होता है।
72 घंटो के अंदर देनी होगी सुचना
यदि किसी किसान की फसल में प्राकृतिक आपदाओं के चलते नुकसान होता है। तो इसकी सुचना किसान को नजदीकी किसान केंद्र या फिर बीमा कंपनी, जिला अधिकारियो को 72 घंटे के अंदर सुचना देनी होती है। इसके बाद अधिकारी फसलों में हुए नुकसान की गिरदावरी करते है। और उसकी रिपोर्ट आगे भेज दी जाती है। कुछ समय बाद किसानो को मुवावजा राशि का भुगतान किया जाता है। फसलों में हुए नुकसान के आँकलन के बाद जितना प्रतिशत नुकसान होता है उसके हिसाब से किसानो को मुवावजा भुगतान होता है।
कैसे होता है पंजीकरण
देश के किसी भी राज्य में इस योजना के तहत पंजीकरण किसानो द्वारा करवाया जा सकता है। राज्य में जन सेवा केंद्र, कृषि विभाग, CSC , क्योस्क केन्द्रो की मदद से इसके लिए पंजीकरण की प्रक्रिया को आसानी से पूर्ण किया जा सकता है। इसके लिए फसल सम्बंधित जानकारी, जमीन के कागजात, आधार कार्ड, बैंक खाता बुक एवं अन्य कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेजों की जरूरत होती है। जिसकी जानकारी पंजीकरण केन्द्रो से ली जा सकती है।