Arun Yogiraj की कहानी: भगवान राम के प्रतिमा को अयोध्या में जीवंत रूप में बनाने वाले Arun Yogiraj ने अब एक और आदर्श मूर्ति का निर्माण किया है, जो केदारनाथ धाम के एक मंदिर में स्थापित है। इस प्रतिमा का निर्माण PMO (प्रधानमंत्री कार्यालय) की विशेष रिक्वेस्ट के तहत किया गया था, और इसकी कहानी बहुत ही रोचक है।
Arun Yogiraj ने खुद को मैसूर के मूर्तिकार योगीराज शिल्पी के बेटे के रूप में पाया है, और यह उनकी पांच पीढ़ियों की विरासत का हिस्सा है। इन दोनों ने मिलकर आदि गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा को बनाया है, जो केदारनाथ धाम में स्थापित है और एक अद्वितीय चीज की ओर बढ़ रही है।
इस प्रतिमा की ऊंचाई 12 फीट है और वजन करीब 35 टन का है, जिसके लिए मैसूर के एचडी कोट से काले ग्रेनाइट पत्थर का चयन किया गया था। इस प्रतिमा को नारियल पानी से पॉलिश करके वही चमक दी गई है, जो इसे बहुत ही अद्वितीय बनाती है।
प्रतिमा को बनाने के लिए एक विशेष चिनूक हेलीकॉप्टर का भी सहायता लिया गया, जिससे इसे गोचर से केदारनाथ धाम तक पहुंचाया गया। यह मूर्ति कृष्णशिला पत्थर से तैयार की गई है और अब धाम में तीर्थयात्रियों के लिए एक नया आकर्षण बन चुका है।
इस प्रतिमा की कहानी में एक और रोचक दिलचस्पी है – इसका निर्माण प्रधानमंत्री कार्यालय की विशेष रिक्वेस्ट के तहत किया गया था। 2013 में केदारनाथ में दैवीय आपदा के बाद, आदि गुरु शंकराचार्य की समाधि बह गई थी, और इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस समाधि का निर्माण किया।
प्रतिमा के निर्माण के लिए मैसूर के मूर्तिकार योगीराज शिल्पी और उनके पुत्र Arun Yogiraj ने मिलकर काम किया। इस प्रतिमा को निर्माण करने के लिए कच्चे माल के रूप में 120 टन के पत्थर की खरीद की गई, और छेनी प्रक्रिया के बाद इसका वजन 35 टन हो गया। इस काम का आगाज़ वर्ष 2020 में सितंबर में हुआ था, और वर्ष 2021 में इस प्रतिमा को केदारनाथ धाम में स्थापित किया गया।
बदरी केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष ने बताया कि इस प्रतिमा के निर्माण से देश विदेश से आने वाले तीर्थयात्री आदि गुरु शंकराचार्य के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त कर रहे हैं, और यह एक अद्वितीय रूप से भारतीय धार्मिक धर्मियों के लिए महत्वपूर्ण है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस प्रतिमा का अनावरण किया था, और उन्होंने केदारनाथ में मोक्ष प्राप्त करने वाले 8वीं शताब्दी के द्रष्टा गुरु शंकराचार्य की 12 फीट की भव्य प्रतिमा का उद्घाटन किया था। यह प्रतिमा इस प्रकार की चट्टान है जो बारिश, धूप और कठोर जलवायु का सामना करने के लिए जाना जाता है।
Arun Yogiraj की मेहनत और समर्पण से बनी यह प्रतिमा न केवल धार्मिक अर्थ में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा भी है। इनका संयम और समर्पण हम सभी के लिए प्रेरणा स्रोत हैं, और इसका नतीजा यह है कि भगवान राम की प्रतिमा अब जीवंत रूप में लोगों के दरबार में है, और वह विशेष रूप से केदारनाथ में मान्यता पाई है।