नई दिल्ली: 7th Pay Commission – सरकार की तरफ से कर्मचारियों की पेंशन से जुड़े नियमों में एक बड़ा बदलाव लागु कर दिया है और आपको बता दें की इस बदलाव के बाद में कर्मचारियों को अब बहुत सी सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पायेगा और वहीं कुछ कर्मचारियों के परिवार को इसका लाभ भी मिलने वाला है।
सरकार की तरफ से पेंशन के नियमों में क्या बदलाव किया है और किन किन को इससे नुकसान या फायदा मिलने वाला है इसके बारे में हमने इस आर्टिकल में आगे विस्तार से बताया है। इसलिए इस आर्टिकल को आखिर तक जरूर पढ़ें और आर्टिकल पसंद आये तो हमें गूगल न्यूज़ पर भी फॉलो जरूर करें ताकि हमारी सभी न्यूज़ आपको गूगल पर आसानी से पढ़ने को मिल सके।
कौन से नियम में हुआ है बदलाव
कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय कल यानि की मंगलवार को एक बड़ी घोषणा की है जिसमे कहा गया है की कोई भी महिला कर्मचारी या फिर पेंशन प्राप्त करने वाली महिला घरेलु कलह के मामलों में अपने पति से पहले अपने बच्चों को पारिवारिक पेंशन का लाभ लेने के लिए नॉमिनेट कर सकती है।
मौजूदा समय में जो पेंशन के नियम हैं उनके अनुसार किसी भी कर्मचारी की मृत्यु हो जाने पर उसकी पेंशन का लाभ या तो पति को मिलता है या फिर उसकी पत्नी को मिलता है। लेकिन अब नियम बदलने के बाद से उन महिलाओं को बहुत अधिक लाभ मिलेगा जिनकी अपने पति के साथ किसी भी कारण से नहीं बनती है ओट वे अपने बच्चों का भविष्य सुरक्षित करना चाहती है।
मौजूदा समय में क्या कहता है नियम
सीसीएस (पेंशन) नियम, 2021 के नियम 50 के उप-नियम (8) और (9) में दिए गए प्रावधानों के अनुसार किसी भी कर्मचारी की अगर मौत हो जाती है तो सबसे पहले पेंशन का हकदार उसके परिवार में उसकी पत्नी या फिर पति हो सकता है। पति या पत्नी के नहीं होने की परिस्थिति में ही बच्चो को पेंशन का हक़ दिया जाता है।
नए नियम के तहत क्या बदला है
अभी जो नया नियम पेंशन को लेकर लागु किया गया है उसके अनुसार अगर किसी भी महिला कर्मचारी की अपने पति के साथ नहीं बनती है या फिर घरेलु कलह के कारण कोई केश चल रहा है या फिर घरेलु हिंसा का भी कोई मामला चल रहा है तो ऐसी स्थिति में महिला अपने पीटीआई की बजाय अपने बच्चों को पेंशन का लाभ लेने के लिए सीधे तौर पर नॉमिनी बना सकती है।
लेकिन आपको बता दें की इसके लिए भी कुछ शर्तों का पालन करना होगा और इसके लिए भी कुछ नियम लागु किये गए है। देखिये आगे कौन कौन से नियमों का पालन होगा तभी बच्चों को बनाया जा सकता है पेंशन के लिए लाभार्थी।
सबसे पहले तो आपको ये बता दें की महिला की मृत्यु के समय में अगर बच्चे पेंशन के लिए पत्र हैं या फिर नहीं ये देखा जायेगा। अगर बच्चे पेंशन के लिए पत्र नहीं हैं तो विधुर पति को पेंशन का हक़ दिया जाता है ताकि बच्चों की परवरिश की जा सके।
इसके साथ में मृत सरकारी महिला कर्मचारी/महिला पेंशनभोगी के बच वयस्क नहीं है या फिर दिव्यांग हैं या फिर किसी भी मानसिक बीमारी से ग्रसित है तो भी इस केश में महिला के पति को पेंशन का हकदार माना जायेगा। लेकिन इसमें ये भी देखा जायेगा की पीटीआई उस महिला के बच्चो का अभिभावक है या नहीं है।
मृत सरकारी महिला कर्मचारी/महिला पेंशनभोगी का बच्चा वयशक नहीं है तो पति पेंशन का हकदार तब तक होगा जब तक बच्चा वयस्क नहीं हो जाता। बच्चे के वयस्क होने के साथ ही पेंशन का लाभ भी बच्चे को ही मिलना शुरू हो जायेगा।