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इलायची की खेती की सम्पूर्ण जानकारी : उन्नत किस्मे ,रोग व् रोकथाम के उपाय

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Cardamom Cultivation : भारत में कई मसालो की प्रसिद्धि खेती की जाती है ,और कई राज्यों में अलग -अलग मसालों की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। इलायची की खेती नगदी फसल के रूप में की जाती है ,इलायची की खेती करके किसानो को अधिक मुनाफा प्राप्त होता है। इसकी कीमत बाजार में अधिक मिलती है। इसका उपयोग मिठाई में खुशबु के लिए किया जाता है। भारत में इलायची की खेती मुख्य रूप से की जाती है। इलायची को रंग हल्का हरा होता है और उसमे से अच्छी खुशबु आती है। इसका इस्तेमाल मुख शुद्धि और मिठाइयों में किया जाता है।
इलायची का पैदा पूरे वर्ष हरा -भरा होता है। इसकी पत्तिया भी एक से दो फ़ीट लम्बी होती है। इलायची का अधिक प्रयोग खाने के मसाले मि किया जाता है। यह रसोईघर का मसाला होने के साथ -साथ आयर्वेदिक औषधीय पौधा भी है। इसकी बड़े स्तर पर मांग होने पर यह अधिक उगाया जात्ता है ,और किसानो को अच्छा मुनाफा प्राप्त होता है। आयुर्वेदिक चिकित्सकों के अनुसार इलायची के उपयोग से कई तरह की बीमारियाँ जैसे :- वात, श्वास, खाँसी, बवासीर, क्षय, वस्तु पित्त जनित रोग, पथरी, सुजाक और खुजली आदि बिमारियों से बचाव करती है।

भोजन में एक चुटकी इलायची मसाला डालने से उसका स्वाद 10 गुना अधिक हो जाता है। भारत में इलायची की खेती मुख्य रूप से की जाती जाती है। इलायची उत्पादन में भारत को नंबर -1 देश कहा जाता है। भारत में केरल ,तमिलनाडु और कर्नाटक राज्यों को इलायची का उत्पादन हब कहा जाता है। इलायची का इस्तेमाल खांसी-जुकाम या बुखार जैसी बीमारियों के लिये किया जाता है। अब चाय से लेकर मिठाईयों तक इसकी डिमांड काफी बढ़ रही है।

इलायची छोटी -सी होती है ,लेकिन उसकी खुशबु अधिक मात्रा में होती है ,उसका उपयोग हलवे के साथ भी किया जाता है। जोकि उसके साथ मिलकर स्वादिष्ट हो जाता है। इसकी खेती से काफी मुनाफा प्राप्त होता है। इसकी खेती की पैदावार भी अधिक मात्रा में होती है। अगर आप भी इलायची की खेती करने का मान बना रहे है ,तो आज हम आप को आज इलायची की खेती की सम्पूर्ण जानकारी देंगे।

इलायची की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और तापमान

इलायची की खेती उष्ण कटिबंधीय जलवायु में की जाती है। भारत के कई भागो में इसको उगाया जाता है ,बड़ी एक इलायची की खेती भी होती है उसके लिए भी उष्ण जलवायु आवश्यक होती है सर्दियों में पड़ने वाला पाला इसकी खेती के लिए हानिकारक होता है। अधिक सर्दी भी इसकी खेती को नुकसान पहुंचा सकती है ,गर्मी के मौसम में इसके पौधे तेजी से विकास करते है।

इलायची की खेती के लिए सामान्य तापमान होना चाहिए। और सर्दियों में न्यूनतम 10 डिग्री और गर्मियों में अधिकतम 35 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है। इसकी खेती के लिए अधिकतम 35 डिग्री तापमान इसके विकास के लिए अच्छा माना जाता है ।

इलायची के लिए उपयुक्त मिट्टी

इलायची के लिए लाल दोमट मिट्टी की आवश्यकता होनी चाहिए ,इसकी खेती अन्य प्रकार की मिट्टी में भी की जा सकती है जब अच्छी देख -रेख हो तो भी इसकी खेती किसी भी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है ,और इसके साथ खेती की पैदावार भी अच्छी होती है। इसकी खेती में भूमि का PH मान 5 से 7.5 के मध्य होना चाहिए।
किसी भी में उर्वरक डालकर ,अच्छी देख -रेख में भी अच्छी पैदावार होती है।

इलायची की खेती के लिए उपयुक्त सिचाई

इलायची की खेती में पानी की आवश्यकता होती है पौधे को खेत में लगाने के बाद सिचाई करनी चाहिए ,बारिश के मौसम में पानी की आवश्यकता नहीं होती है ,किन्तु गर्मियों में इसके खेत में नमी की जरूरत होती है ,इस लिए हफ्ते में 2 बार पानी देना चाहिए। और सर्दियों में भी 10 से 15 दिनों के अंतराल पर पानी देना चाहिए। पौधे में नमी को बनाये रखने के लिए समय -समय पर पानी देना चाहिए। इसके अलावा जरूरत पड़ने पर खेती में पानी देना चाहिए।

इलायची की उन्नत किस्मे

इलायची की दो किस्मे होती है जो मुख्य है –

हरी इलायची (Green Cardamom)

इस किस्म को अल्टेरिया के नाम से भी जाना जाता है। आम भाषा में हरी इलायची कहा जाता है। यह किस्म भारत के मलेशिया में उगाई जाती है ,इसका उपयोग खुशबु और मिठाइयों में डालने के लिए किया जाता है। इसके पौधे से 10 से 12 वर्षो तक पैदावार होती है। यह इलायची छोटी होती है।

काली इलायची (Black Cardamom)

इस इलायची को काली या बड़ी के नाम से भी जाना जाता है। ,यह इलायची आकार में बड़ी होती है और इसका उपयोग मसाले के रूप में ज्यादा किया जाता है। यह हल्की और लाल काले रंग की होती है। यह अधिक खुशबु देती है ,इसमें कपूर जैसी खुशबु आती है। इसकी दो किस्मे होती है।

इलायची के पौध की तैयारी और तरीका

बीजो को नर्सरी में लगाने से पहले ट्राइकोडर्मा की उचित मात्रा से उपचारित करना चाहिए। इलायची की पौध को तैयार नर्सरी में किया जाता है। पौध से पौध की दूरी10 CM होनी चाहिए। एक हेक्टैयर के क्षेत्र में सवा किलो बीजो को भूमि में लगाया जाता है।

बीज को लगाने से पहले खेत में क्यारियों को तैयार कर लेना चाहिए। उसके बाद उसमे खाद को डालकर मिट्टी में अच्छे से मिला देना चाहिए। उसके बाद क्यारियों में बीज लगा देना चाहिए। फिर उसकी अच्छे से सिचाई कर देनी चाहिए। उसके बाद जब पौधा पूरी तरह से तैयार हो जाये तब पौध को खेत में लगा देना चाहिए

इलायची की खेती के लिए खेत की तैयारी

इलायची की खेती के लिए खेत की अच्छे से जुताई करनी चाहिए ,उसके बाद खेती में पुरानी फसल के अवशेषों को नष्ट करना चाहिए। उसके बाद खेत में गहरी जुताई की जानी चाहिए। उसस्के बाद खेत में गोबर की खाद का प्रयोग भी करना चाहिए। गोबर की खाद को अच्छे से मिट्टी में मिला देना चाहिए। फिर खेत में पानी भर देना चाहिए। उसके बाद खेती जब खेत की मिट्टी थोड़ी सूख जाए तब उसमे फिर से जुताई करनी चाहिए। जिससे मिट्टी समतल हो जाती है। उसके बाद खेत में पोधो को मेड पर भी लगा सकते है। पौधे से पौधे के बीच डेढ़ से दो फ़ीट की दूरी होनी चाहिए। उसके बाद खेत की समतल भूमि पर पौधे लगाने चाहिए।

इसके बाद खेत में गड्डा खोद देना चाहिए ,इसके बाद गड्डो पर गोबर की खाद या रासायनिक खाद का प्रयोग भी कर सकते है ,पौध लगाने से 15 दिन पहले खेत की तैयारी कर लेनी चाहिए।

इलायची के पौधे को लगाने का सही समय

इलायची को खेत में जुलाई के मौसम में लगाना चाहिए,जिससे पौधे में पैदावार अच्छी हो और सिचाई की भी कम आवश्यकता होती है। इलायची के पौधे को छायादार जगह की आवश्यकता होती है,इसके लिए इलायची के खेत के चारो तरफ पेड़ लेगा देने चाहिए। जिससे इलायची के पोधो को छाया मिल सके। पोधो को खेत में लगाने से पहले ध्यान रहे की पौधे के बीच 60 cm की दूरी होनी चाहिए।

इलायची की खेती जुलाई के महीने में करनी चाहिए ,क्योकि जुलाई के महीने में बारिश का मौसम होता है ,जिससे फसल विकास अच्छे से कर पाती है। और फसल में अच्छी पैदावार होती है।

इलायची की खेती में उर्वरक की मात्रा

इलायची के खेती में पौधे को लगाने के लिए सबसे पहले गड्डे खोदा जाना चाहिए। प्रत्येक पौधे के लिए 10 किलो के हिसाब से गोबर की खाद का उपयोग करना चाहिए। और इसके साथ ही पौधे पर नीम की खली और मुर्गी की खाद को डालना चाहिए ,ऐसा करने पर पौधे का विकास अच्छे से होता है और फसल की अच्छी पैदावार होती है।

खरपतवार नियंत्रण

इलायची की खेती की अच्छी पैदावार के लिए खेत में खरपतवार को नष्ट कर देना चाहिए।
खरपतवार नियंत्रण के लिए दो तरीके है पहला रासायनिक और दूसरा प्राकृतिक तरीका। प्राकृतिक तरीके से खेत में निराई -गुड़ाई करनी चाहिए,जिससे पौधे अच्छे से विकास कर सके। निराई -गुड़ाई से पोधो की जड़ो में हवा पहुंच सके। और जड़ो की मिट्टी नरम होने पर पौधे अच्छे से विकास कर सके।

इलायची के पौधे में लगने वाले रोग व् रोकथाम

इसके पौधे में अनेक रोग देखने को मिल जाते है ,जो इलायची के पौधे को अधिक नुकसान पहुंचते है। पोधो में लगने वाले रोग और रोकथाम के उपाय इस प्रकार है –

सफ़ेद मक्खी रोग (White Fly Disease)

इस रोग के होने से पौधे का विकास करना बंद हो जाता है। यह रोग सीधा पौधे की पत्तियों पर आकर्मण करता है। इसके साथ ही ही यह मक्खिया पत्तियों का रस चूस लेती है। जिससे पौधा सूखकर नष्ट हो जाता है

रोकथाम
इस रोग के रोकथाम के लिए कास्टिक सोडा और नीम के पानी को मिलाकर छिड़काव
करना चाहिए।

ब्रिंग लार्वा कीट रोग (Bring Larvae Insect Disease)

यह एक प्रकार का कीट होता है ,यह रोग पौधे के नरम भाग पर आकर्मण करता है इस रोग से पौधे सूख जाते है।

रोकथाम
इस रोग के रोकथाम के लिए खेत में पोधो पर बेसिलस का छिडकाव करना चाहिए|

झुरमुट और फंगल रोग(Clump and Fungal Diseases )

यह रोग इसके पौधे को अधिक नुकसान पहुँचता है ,इस रोग के लगने से पौधा पूरी तरह से खराब हो जाता है। और पौधे की पत्तिया सूखकर नष्ट हो जाती है। अगर यह रोग किसी पौधे में लग जाये तो इसे उखाड़कर नष्ट कर देना चाहिए।

रोकथाम
इस रोग के रोकथाम के लिए पौध को तैयार करने से पहले बीज को ट्राइकोडर्मा से उपचारित करना चाहिए।

इलायची की फसल की पैदावार

इलायची के पौधे को तैयार होने में 3 वर्ष का समय लग जाता है एक हेक्टैयर की बात करे तो सूखी इलायची की पैदावार लगभग 130 से 150 किलो के आसपास हो जाती है। इलायची का बाजार में भाव 2000 रूपये प्रति किलो होता है। जिससे किसान एक फसल से लाखो की अच्छी कमाई कर सकता है।

भारत में इलायची का उत्पादन

  • अगर 2016 से 2019 की अवधि की बात करे तो भारत द्वारा इलायची के उत्पादन में काफी उतार-चढ़ाव आया था।
  • 2016 में छोटी इलायची का उत्पादन 23,890 मिलियन टन तक हो गया था।
  • भारत में छोटी इलायची के कुल उत्पादन का 90% के साथ सबसे बड़ा उत्पादक बताया गया था।
  • भारत में बड़ी इलायची के कुल उत्पादन का 84% के साथ सबसे बड़ा उत्पादक था।
  • हम आपको बता दे की छोटी इलायची के विपरीत, बड़ी इलायची का उत्पादन पिछली अवधि की तुलना में कुल 5,572 मीट्रिक टन की वृद्धि के साथ 5% की वृद्धि के की गयी थी।
  • 2017 की तुलना में क्रमशः छोटी इलायची के लिए कुल 20,650 मीट्रिक टन और बड़ी इलायची के लिए 5,906 मीट्रिक टन है।
  • 2019 में बड़ी इलायची के उत्पादन में 47% या 2,763 मीट्रिक टन की उल्लेखनीय वृद्धि का अनुमान लगाया गया था
  • 2020 में इलायची के उत्पादन में 2019 की तुलना में कुल 21,928 मिलियन की तुलना में 1% की वृद्धि का अनुमान लगाया गया था।
  • 2016 में बड़ी इलायची का उच्चतम उत्पादन 29,205 मिलियन टन और 2019 में 21,609 एमटी के साथ होने का अनुमान लगाया था।

Saloni Yadav

मीडिया के क्षेत्र में करीब 3 साल का अनुभव प्राप्त है। सरल हिस्ट्री वेबसाइट से करियर की शुरुआत की, जहां 2 साल कंटेंट राइटिंग का काम किया। अब 1 साल से एन एफ एल स्पाइस वेबसाइट में अपनी सेवा दे रही हूँ। शुरू से ही मेरी रूचि खेती से जुड़े आर्टिकल में रही है इसलिए यहां खेती से जुड़े आर्टिकल लिखती हूँ। कोशिश रहती है की हमेशा सही जानकारी आप तक पहुंचाऊं ताकि आपके काम आ सके।

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