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लहसुन की खेती की सम्पूर्ण जानकारी : उन्नत किस्मे ,मिट्टी , पैदावार और रोकथाम के उपाय

Written By Saloni Yadav
Garlic Cultivation
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Garlic Cultivation : आप को बता दे की लहुसन की खेती विश्व में कई जगह पर की जाती है। इस खेती कर किसानो को अच्छा लाभ प्राप्त होता है। लहसुन को हम कैसे भी खा सकते है ,इसके खाने से हमारे शरीर में अनेक लाभ होते है । इसकी खेती नगदी फसल के रूप में की जाती है। लहसुन जमीन के अंदर ही विकास करता है। लहसुन में गाठे होती है ,इसको छीलकर इस मसाले और ओषदि भी बनाई जा सकती है। लहसुन का मुख्य उपयोग सब्जी के स्वाद को बढ़ाने में किया जाता है। इसको लाभकारी फसल के रूप में भी उगाया जाता है। इसकी खेती से किसानो को अच्छा मुनाफा होता है। इसलिए यह खेती किसानो की प्रिय बन गयी है। लहसुन में कई तरह के पौष्टिक तत्व पाए जाते है। कहा जाता है की लहसुन को खाने से कुछ बीमारिया छूमंतर हो जाती है।

आपको बता दे की लहुसन की खेती लगभग सभी जगह पर की जाती है ,क्योकि इसका प्रयोग ज्यादातर सभी चीजों को बनाने में किया जाता है। इस प्रयोग ओषधि के रूप में करने से ब्लड प्रेशर, पेट के विकारो, पाचन विकृतियों, कैंसर, गठिया की बीमारी, फेफड़ो से सम्बंधित रोग, नपुंसकता व खून की बीमारी और अन्य प्रकार की बीमारी कम होती है। लहसुन में स्वाद होने के कारण इसका प्रयोग सब्जी ,मॉस ,और विभिन प्रकार के व्यंजनों में किया जाता है। लहसुन को विदेशो में बेचा जाता है इससे हमे विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है। लहसुन से पाउडर ,चिप्स और पेस्ट को तैयार करके विदेशो में बेचा जाता है। इसके साथ ही लहसुन की खेती फसल के रूप में की जाती है। आपको बता दे की लहसुन की खेती को करने के लिए उसकी जानकारी होना अति आवश्यक है ,इसलिए आप भी इसकी खेती करना चाहते है तो आज हम आपको इसकी वैज्ञानिक खेती की सम्पूर्ण जानकारी देंगे।

लहसुन की खेत के लिए उपयुक्त तापमान

हम आपको बता दे की लहसुन की खेती को सामान्य तापमान की आवश्यकता होती होती है ,इसके साथ ही इनके कंदो के विकास के लिए छोटे दिन वाले तापमान की जरूरत होती है। इसकी खेती के लिए अधिक तापमान भी अच्छा नहीं होता है और कम तापमान भी अच्छा नहीं है ,इससे खेती को दोनों ही नुकसान पहुंचा सकते है। इसकी खेती को करने के लिए 29.35 डिग्री सेल्सियस का तापमान आवश्यक होता है। और 70 % आद्रता उपयुक्त होती है ,जिससे फसल अच्छे से विकास करती है।

लहसुन की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी

इसकी खेती के लिए जल निकास वाली बलुई दोमट मिट्टी और चिकनी मिट्टी उपयुक्त होती है। इसकी खेती के लिए भूमि को PH मान 6 से 7 के बीच में अच्छा माना जाता है। इसकी मिट्टी में गहरी जुताई करने से मिट्टी में उर्वरा शक्ति बनी रहती है ,इसकी खेती में जल जमाव की समस्या का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

लहसुन की खेती में उर्वरक और खाद का प्रयोग

आपको बता दे की किसी नहीं खेती के लिए खेत की मिट्टी में उर्वरक की मात्रा होनी चाहिए। इसलिए लहसुन की खेत में फसल की बुआई करने से पहले खेत मी गोबर की खाद डालनी चाहिए ,इसके अलावा आप खेत में रासायनिक खाद का प्रयोग भी कर सकते है ,उसके लिए आपको बुआई से पहले 1 एकड़ खेत में 2.5 किलोग्राम ट्राइकोडर्मा, 25 किलोग्राम डीएपी
50 किलोग्राम पोटाश और 20 किलोग्राम यूरिया का   प्रयोग खेत में डालने के लिए कर सकते है।

लहसुन की खेती के लिए उपयुक्त सिचाई

आपको बता दे की लहुसन की खेती को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है। और खेत में इसकी सिचाई लहुसन की बुआई के पहले करनी चाहिए। लहुसन की गाठे बनते समय इसकी सिचाई करनी आवश्यक है। लहुसन की खेती में नमि के अनुसार सिचाई करनी चाहिए।

लहसुन की बुआई

लहसुन की बुआई रबी और खरीब दोनों मौसम में की जा सकती है इसलिए इसका समय होता है जैसे –

रबी के मौसम में लहसुन की बुआई

समय – इस मौसम में इसकी खेती अक्टूबर के माह में शुरू की जाती है ,जिसको 1 अक्टूबर से 30 नवंबर के बीच इसकी खेत कर सकते है।
अवधि – इसमें फसल 150 से 180 दिनों में तैयार होती है।

खरीफ के मौसम में लहसुन की बुआई

समय – इस मौसम में इसकी खेती मार्च के माह में शुरू की जाती है। ,जिसको 1 मार्च से 30 अप्रैल के बीच कर सकते है।
अवधि – इसमें फसल 150 से 180 दिनों में तैयार होती है।

लहसुन के खेती की तैयारी और बीज बुआई

लहसुन की खेती की अच्छी पैदावार के लिए खेत की अच्छे से जुताई करनी चाहिए ,उसके बाद पुरानी फसल के अवशेषों को पूरी से नष्ट कर देना चाहिए। उसके बाद खेत में गोबर की खाद को डालना चाहिए और खेत की मिट्टी में जुताई के माध्यम से अच्छे से मिला देना चाहिए। उसके बाद खेत को कुछ दिनों के लिए ऐसे ही खुला छोड़ देना चाहिए ,जिससे मिट्टी को अच्छी धूप मिल सके और फसल की अच्छी उपज हो सके। उसके बाद एक बार फिर से खेत के गहरी जुताई करनी चाहिए।

उसके बाद खेती में बीज को बोना ,उसके लिए ध्यान रखे की बीज बड़े और स्वस्थ होने चाहिए ,एक हेक्टैयर के क्षेत्र में 5 से 6 किवंटल बीजो की आवश्यकता होती है। बीजो को मैकोजेब+कार्बेंडिज़म दवा की 3 ग्राम मात्रा का मिश्रण बना कर उपचारित करना चाहिए। उसके बाद बीजो की खेत में बुआई करनी चाहिए। बड़े स्तर पर बीजो को बोन के लिए गार्लिक प्लान्टर का इस्तेमाल करना उचित होता है।

लहसुन के खेत में खरपतवार को नियंत्रित करना

लहसुन की खेती के लिए खेत में प्राकृतिक तरीके का प्रयोग करना चाहिए ,उसके लिए खेत में निराई -गुड़ाई कर सकते है। खेत में समय -समय पर निराई -गुड़ाई करनी चाहिए ,जिससे खेत में फसल की उपज अच्छी होती है।

लहसुन की उन्नत किस्मे कोनसी है –

पंजाब किस्म का लहसुन

यह किस्म प्रति हेक्टैयर के क्षेत्र में 90 से 100 किवंटल की पैदावार देती है। और इसकी फसल में गाठ होती है,जो उजले रंग की होती है।

एग्रोफाउण्ड पार्ववती किस्म

यह किस्म उन्नत किस्म मानी जाती है। यह किस्म तैयार होने में 160 से 170 दिनों को समय लेती है। और यह प्रति हेक्टैयर के क्षेत्र में 200 किवंटल की पैदावार देती है।

लहसुन 56-4 किस्म

इस किस्म की गाठो का रंग लाल होता है। यह किस्म प्रति हेक्टैयर के क्षेत्र में 100 किवंटल की पैदावार देती है। और 156 से 160 दिनों में तैयार हो जाती है।

जामुना सफेद (जी-1) किस्म

इस किस्म की गाठ में 30 से 32 जवे पाए जाते है। और यह किस्म 155 से 160 दिनों में तैयार होती है। यह किस्म प्रति हेक्टैयर के हिसाब से 190 किवंटल की पैदावार देती है।

गोदावरी किस्म

यह किस्म हल्की गुलाबी होती है। और यह प्रति हेक्टैयर के हिसाब से 100 किवंटल की पैदावार देती है।

भीमा पर्पल किस्म

यह किस्म बैंगनी रंग की होती है और यह किस्म पति हेक्टैयर के हिसाब से 65 किवंटल की पैदावार देती है। यह किस्म पंजाब ,हरियाणा ,कर्नाटक और दिल्ली में उपयुक्त मानी जाती है।

लहसुन की किस्म में लगने वाले रोग व् रोकथाम के उपाय

थ्रिप्स कीट /रोग

यह रोग ज्यादातर सभी फसल में पाया जाता है यह रोग पौधे की पत्तियों को चूसकर पौधे को सूख देता है और जिससे पौधा नष्ट हो जाता है।

रोकथाम
इस रोग के रोकथाम के लिए खेत में इमिडाक्लोप्रिड 5 मिली./15 ली. पानी में मिलाकर तथा थायेमेथाक्झाम 125 ग्राम / हे. + सेंडोविट 1 ग्राम के हिसाब से स्प्रै करणी चाहिए।

झुलसा रोग

इस रोग के होने से पौधे की पत्तियों के ऊपरी भाग पर नारंगी रंग के धब्बे हो जाते है ,यह रोग फसल की पैदावार को कम कर देता है

रोकथाम
इस रोग के रोकथाम के लिए खेत में कार्बेंडिज़म की 1 ग्राम की मात्रा को प्रति लीटर पानी में अच्छे से मिश्रित कर छिड़काव करना चाहिए।

लहसुन की तुड़ाई और पैदावार

लहसुन की पत्तिया पीली पड़ जाये तब इसकी खुदाई करनी चाहिए। खुदाई के बाद गाठो को धूप में सूख लेना चाहिए। फिर अच्छे से सूखने के बाद पत्तियों को कंदो से अलग कर देना चाहिए। आपको बता दे की लहुसन का बाजारी भाव काफी अच्छा होता है ,जिससे किसानो को अच्छा मुनाफा प्राप्त होता है। लहुसन की पैदावार प्रति हेक्टैयर के हिसाब से 200 केवंतैल की पैदावार होती है ,जिससे किसान की अच्छी कमाई होती है।

डिस्क्लेमर: वेबसाइट पर दी गई बिज़नेस, बैंकिंग और अन्य योजनाओं की जानकारी केवल आपके ज्ञान को बढ़ाने मात्र के लिए है और ये किसी भी प्रकार से निवेश की सलाह नहीं है। कोई भी निवेश करने से पहले आप अपने सलाहकार से सलाह जरूर करें। बाजार के जोखिमों के अधिक योजनाओं में निवेश करने से वित्तीय घाटा हो सकता है।

About Author

Saloni Yadav

मीडिया के क्षेत्र में करीब 3 साल का अनुभव प्राप्त है। सरल हिस्ट्री वेबसाइट से करियर की शुरुआत की, जहां 2 साल कंटेंट राइटिंग का काम किया। अब 1 साल से एन एफ एल स्पाइस वेबसाइट में अपनी सेवा दे रही हूँ। शुरू से ही मेरी रूचि खेती से जुड़े आर्टिकल में रही है इसलिए यहां खेती से जुड़े आर्टिकल लिखती हूँ। कोशिश रहती है की हमेशा सही जानकारी आप तक पहुंचाऊं ताकि आपके काम आ सके।

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