Cheque Bounce Rules: रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया की तरफ से चेक बाउंस होने पर नियम बनाये गए है जिनको देश के सभी नागरिकों को और सभी बैंको को फॉलो करना होता है और अगर किसी भी कारन से आपका चेक बाउंस हो जाता है तो उसके लिए सजा का भी प्रावधान किया गया है।
आपने अपने खाते में कोई चेक जमा करवाया है या फिर आपने किसी को कोई चेक दिया है जिसको उस व्यक्ति ने अपने खाते में जमा करवाया है तो ये सुनिश्चित होना बहुत जरुरी है की चेक में भरी गई राशि उस चेक से जुड़े बैंक खाते में हो। अगर नहीं है तो आपका या फिर आपने जो चेक जमा किया है वो बाउंस हो जायेगा और इसके लिए सजा होनी तय है। देखिये इस आर्टिकल में की रिजर्व बैंक और इंडिया की तरफ से चेक बाउंस होने पर क्या सजा निर्धारित की गई है और इसके क्या क्या नए नियम है जिनको अब लागु कर दिया गया है।
चेक बाउंस क्यों होता है
चेक बाउंस होने के कई कारण होते है। कई बार चेक बाउंस ना होकर डिसऑर्डर भी हो जाता है और बाउंस और डिसऑर्डर दोनों में फर्क होता है। चेक बाउंस तब होता है जब चेक को जारी करने वाले व्यक्ति के बैंक खाते में उतनी पर्याप्त धनराशि नहीं होती जितनी उसने चेक में भरी होती है और फिर चेक को बाउंस कर दिया जाता है।
कई बार चेक पर लिखे गए हस्ताक्षर सही से मिलान नहीं होने के कारण भी चेक को बाउंस कर दिया जाता है और इसके साथ ही गंदे और कटे फाटे चेक भी बैंक बाउंस कर देता है। चेक पर कोई तारीख को सही से दर्शाया नहीं गया हो तो भी बैंक चेक को लेने से मना कर सकता है और चेक बाउंस हो जाता है।
कई मामलों में ये भी देखा जाता है की चेक जारी करने वाला चेक तो जारी कर देता है लेकिन फिर किन्ही कारणों से चेक को रोक देता है। ऐसे में बैंक के पास चेक जाते ही उसका भुगतान नहीं हो पाटा और ऐसे में भी चेक बाउंस करार दे दिया जाता है।
चेक बाउंस होने पर क्या करना चाहिए
अगर आपका कोई चेक बाउंस होता है तो आपको इसके लिए सजा भी हो सकती है। लेकिन ये निर्भर करता है की आपका चेक किन कारणों की वजह से बाउंस हुआ है। सजा तभी होती है जब आपने जो राशि चेक में भरी है और चेक प्राप्त करने वाले व्यक्ति को प्राप्त नहीं होती और इसके लिए परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 की धारा 138 के तहत एक अपराध है और आपको सजा हो सकती है।
लेकिन इसके लिए अगर कोई शिकायत आपके खिलाफ होती है तो ही आपको सजा हो सकती है। बहुत से मामलो में इसको आपसी निपटारों के जरिये प्रॉब्लम को ख़त्म कर लिया जाता है। साथ में कई बार जुर्मान देकर भी इसको सही कर लिया जाता है। इन सब समस्याओं के लिए सभी बैंकों के द्वारा अलग अलग नियम बनाये गए है। कुछ बैंक चेक बाउंस होने पर खुद से शिकायत दर्ज करवा देते है और कुछ मामलो में ये चेक जमाकर्ता पर निर्भर करता है।
चेक बाउंस होने पर कितनी सजा मिलती है
चेक बाउंस होने पर जिस व्यक्ति ने चेक जारी करने वाले व्यक्ति पर मुकदमा किया था वो अगले तीन महीने में राशि के भुगतान का विकल्प का भी चुनाव कर सकता है जिसमे चेक जारी करने वाला पक्ष सजा से बच जाता है लेकिन यदि चेक प्राप्त करने वाला व्यक्ति ये ऑप्शन नहीं चुनता तो इस केस में 6 महीने या फिर 1 साल की सजा हो सकती है।
इसके साथ ही चेक बाउंस होने पर आरोपी को आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 357 के तहत शिकायतकर्ता को मुआवजा देने का भी निर्देश दिया जाता है। मुआवजे की यह रकम चेक की रकम से दोगुनी हो सकती है। और ये रकम कोर्ट की निगरानी में फिर चुकानी पड़ सकती है।