नई दिल्ली: देश में एक बाद फिर से किसान एकत्रित होकर दिल्ली के लिए रवाना होने कि तैयारी कर रहे है। आपको याद होगा कि 2021 में भी किसान दिल्ली के लिए कूच कर गए थे और उस समय देश भर में किसान आंदोलन हुआ था जिसमे लाखों किसानों ने भाग लिया था। अब एक बार फिर से किसान दिल्ली कि ऑर्डर कुछ करने कि तैयारी में हैं।
केंद्र सरकार से किसानो कि मांग
लेकिन इस बार किसी कानून के खिलाफ किसानो का आंदोलर नहीं होने जा रहा बल्कि इस बार किसानो कि कुछ मांगे है सरकार से इसलिए अपनी मांगों को लेकर किसान फिर से दिल्ली कि और कुछ करने वाले है। इसके लिए संयुक्त किसान मोर्चा और 18 किसान यूनियनों कि तरफ से बीते शनिवार को एक महापंचायत बुलाई गई थी। इस महापंचायत में सभी ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी संबंधी कानून बनाने और स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने कि मांग सरकार से कि है।
13 फरवरी को दिल्ली चलने का आह्वान
इसके साथ ही इस महापंचायत के जरिये देश के किसानों को “दिल्ली चलो” का आह्वान भी किया गया है। देश के किसानो को इस महंचायत से 13 फरवरी का दिन भी बताया गया है कि सभी किसानो को दिल्ली कि और 13 फरवरी को कुछ करना है और ज्यादा से ज्यादा किसानो को दिल्ली पहुंचने के लिए कहा गया है।
भारतीय किसान यूनियन के प्रमुख जगजीत सिंह डल्लेवाल ने इस महापंचायत से सरकार को कहा है कि “हम एमएसपी की गारंटी देने वाला कानून बनाने, स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट सी2 (उत्पादन की समग्र लागत) जमा पचास प्रतिशत का फार्मूला लागू करने और किसानों की ऋण माफी की मांग कर रहे हैं।”
26 जनवरी को मार्च निकालेंगे
आपको याद होगा कि लखीमपुर खीरी में साल 2021 में हुई हिंसा हुई थी और उस हिंसा में पीड़ितों के लिए किसानो कि तरफ से सरकार से मांग है कि उन सभी को सरकार कि तरफ से पूरा न्याय मिलना चाहिए। इसके साथ ही किसानो कि तरफ से कहा गया है कि वे लोग 26 जनवरी के दिन एक मार्च भी निकालने वाले है जो कि किसान आंदोलन में जान गवाने वाले किसानो कि याद में होगा।
कोहाड़ का आरोप
सरकार पर किसान नेताओं कि तरफ से आरोप भी लगाए जा रहे है। हरियाणा के किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने सरकार पर आरोप लगाया है कि सरकार ने किसान आंदोलन के समय जो भी वादे किसानो से किये थे उनमे से सरकार ने एक भी वादा नहीं निभाया है।
कोहाड़ ने आगे कहा कि किसानो ने सरकार के द्वारा किये गए वादे के अनुसार ही आंदोलन को ख़त्म किया था लेकिन सरकार कि तरफ से आंदोलन को ख़त्म करने के पीछे जो भी वादे किये गए थे उनको पूरा करना चाहिए नहीं तो किसान फिर से इसके बारे में विचार करेंगे।