नई दिल्ली: Yellow Rust Disease in Wheat Crop – इस समय पुरे उत्तर भारत में ठण्ड का प्रकोप बढ़ता जा रहा है और ऐसे में किसानो कि गेहूं कि फसल में भारी नुक्सान कि सम्भावना कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा जताई जा रही है। आप बता दें कि मौसम में तापमान जितना निचे जायेगा उतना ही गेहूं कि फसल और बाकि दूसरी फसलों पर काफी बुरा प्रभाव पड़ेगा।

तापमान कई जगहों पर इस समय 5 डिग्री के आसपास पहुंच गया है और ऐसे में किसानो को अपनी गेहूं कि फसल में बहुत अधिक ध्यान देने कि सलाह दी गई है। आपको बता दें कि गेहूं कि फसल में अधिक ठंड के चलते पीला रतुआ रोग के लगने कि सम्भावना रहती है और इस रोग से गेहूं कि फसल में भारी नुकसान होता है।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद करनाल ने जारी कि एडवाइजरी

सभी किसान भाइयों के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद करनाल कि तरफ से एडवाइजरी जारी कि गई है जिसमे किसानो को कहा जा रहा है कि समय रहते अगर आप उपचार कर लेते हैं तो अपनी गेहूं कि फसल को किसान भाई बचाव कर पायेंगे। कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा कहा जा रहा है कि सर्दी के अधिक बढ़ने और कोहरा अधिक गिरने के कारण पीला रतुआ रोग गेहूं कि फसल में लग जाता है और पूरी गेहूं कि फसल को नस्ट कर देता है।

पीला रतुआ रोग के लक्षण

किसान भाइयों कि गेहूं कि फसल में अगर पीला रतुआ रोग लग जाता है तो सबसे पहले तो आपको इसकी पहचान करनी है और इसके बाद किसी भी उपचार के बारे में विचार करना है। पीला रतुआ रोग वातावरण में नमी कि अधिकता के कारण और ठंड के अधिक बढ़ने के कारण से गेहूं कि फसल को अपनी चपेट में ले लेती है।

पीला रतुआ रोग लगने के कारण से गेहूं के पौधों कि पत्तियों के ऊपर पिले रंग के पाउडर कि तरफ से कुछ पदार्थ जमा होने लगता है। गेहूं के पौधों कि पत्तियां भूरे रंग में बदलने लगती है और धीरे धीरे सूख जाती है। पत्तियों के सूखने के बाद में पौधा प्रकाश संश्लेषण कि प्रक्रिया को पूरा नहीं कर पता है जिससे पौधा सूख जाता है।

पीला रतुआ रोग का उपचार क्या है

किसान भाइयों कि गेहूं कि फसल में अगर पीला रतुआ रोग ने अपना प्रकोप दिखाना शुरू कर दिया है तो आपको बता दें कि इसके लिए आप प्रोपकोनाजोल 200 मिलीलीटर को 200 लीटर पानी में घोल बनाकर तुरंत प्रभाव से अपने गेहूं के खेत में छिड़काव करना चाहिए।

इस रोग का प्रभाव अगर आपको अपने खेत में अधिक नजर आ रहा है तो आपको घबराने कि जरुरत नहीं है और आपको प्रोपकोनाजोल 200 मिलीलीटर को 200 लीटर पानी में घोल बनाकर एक बार फिर से इसका छिड़काव अपने खेत में कर सकते है। आपको बता दें कि पीला रतुआ रोग गेहूं कि कुछ किस्मों में सबसे अधिक नुकसान पहुंचता है।

एचडी 2967, एचडी 2851, डब्ल्यू एच 711 किस्मों में रतुआ रोग का प्रकोप सबसे अधिक देखने को मिलता है इसलिए किसान भाई अगर इन किस्मों से अपने खेत में गेहूं कि खेती कर रहे है तो उनको पीला रतुआ रोग के बचाव के लिए उपायों के लिए भी तैयार रहना होगा।

मैं शुभम मौर्या पिछले 2 सालों से न्यूज़ कंटेंट लेखन...

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