Framework Cultivation : आपको बता दे की ढैंचा की खेती दलहनी फसल के रूप में की जाती है ,भारत में इसकी खेती खरीफ फसल के साथ की जाती है। खेत की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के लिए हरी खाद को प्रयोग में लिया जाता है , उसके लिए ढैंचा के खेती की जाती है ,ढैंचा के हरे पौधे से ही हरी खाद को बनाया जाता है ,इसकी खेती खाद के साथ बीज के लिए भी की जाती है। इसके पौधे की उचाई 10 से 15 फ़ीट होती है। इसके पौधे को किसी खास जलवायु की आवश्यकता नहीं होती है ,आपको बता दे की इसकी खेती करने से कई राज्यों में सरकार द्वारा सब्सिडी भी प्रदान की जाती है । ढैंचा की खेती की कटाई के बाद इसकी हरी खाद बनाई जाती है और जिस खेत में इसकी खेती की जाती है ,उस खेत को यूरिया की आवश्यकता नहीं होती है।
ढैंचा के पोधो में नाइट्रोजन की मात्रा पाई जाती है। इसकी खेती कर किसनो को अधिक मात्रा में लाभ के साथ सरकार द्वारा सब्सिडी दी जाती है। इसके अलावा इसकी खेती करने से खेत में अन्य फसल बोते वक्त खरपतवार नियंत्रण की अधिक आवश्यकता नहीं होती है। अगर आप भी इसकी खेती करना चाहते है तो आज हम आपको इसकी खेती कैसे की जाती है ,इसकी खेती के लिए उपयुक्त जलवायु ,मिट्टी और पैदावार आदि की सम्पूर्ण जानकारी देंगे।
ढैंचा की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु
ढैंचा की खेती के लिए किसी खास जलवायु की आवश्यकता नहीं होती है ,इसकी खेती खरीफ की फसल के साथ की जाती है ,इसकी खेती पर ठंडी और गर्म जलवायु का कोई असर नहीं पड़ता है ,इसके पौधे को अधिक पानी की आवश्यकता भी नहीं होती है।
ढैंचा की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी और तापमान
ढैंचा की खेती के लिए काली चिकनी मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है। इसके अलावा इसकी खेती किसी भी मिट्टी में की जा सकती है। और इसके खेती के लिए खेत की मिट्टी का PH मान सामान्य होता है ,इसके साथ ही इसके पौधे जलभराव वाली भूमि में भी अच्छे से विकास करते है।
इसके पौधे में अगर तापमान के बात करे तो सामान्य तापमान में इसके पौधे अच्छे से विकास करते है। अगर सर्दी में तापमान 8 डिग्री से कम होता है तो इसकी पैदावार पर ज्यादा असर पड़ता है।
ढैंचा की उन्नत किस्मे कोनसी है ?
CSD 137
आप को बता दे की यह किस्म बीज रोपाई के लगभग 130 से 150 दिनों के बाद पैदावार देती है। इस किस्म की खेती क्षारीय भूमि में भी कर सकते है ,यह किस्म प्रति हेक्टैयर के हिसाब से 40 टन की पैदावार दे सकती ह।
CSD 123
ढैंचा की यह किस्म 20 से 25 टन की पैदावार प्रति हेक्टैयर के हिसाब से देती है। इस किस्म के पौधे पौध रोपाई के 130 से 150 दिन बाद पैदावार देते है इसकी खेती पानी सोखने वाली जमीन पर अच्छी होती है।
ढैंचा की खेती के समय पौधे में लगने वाले रोग व् रोकथाम के उपाय
ढेचे के पौधे में अभी तक कोई रोग देखने को नहीं मिला है , लेकिन इसके पौधे पर सुंडी जैसे रोगो का प्रकोप कभी -कभी देखे देता है ,यह रोग पत्तियों का रूस चूस लेता है और पौधे को कमजोर कर देता है ,जिससे पौधा कम पैदावार देता है।
रोकथाम
पौधे पर ऐसे रोग दिखाई दे तो आप पौधे पर सर्फ या नीम के पत्तियों का घोल बनकर छिड़काव कर दे।
ढैंचा के खेती के लिए खेत को तैयार करना
आप को बता दे की इसकी खेती के लिए सबसे पहले खेत को तैयार करना होता है उसके लिए खेत की अच्छे से जुताई करनी आवश्यक होती है और पुरानी खेती को पूरी तेह नष्ट किया जाना चाहिए ,और पहर खेत में गोबर की खाद डालनी चाहिए ,उसके बाद उसको मिट्टी में अच्छे से मिला ले और खेत में पानी से पलेव करना चाहिए ,जब मिट्टी कुछ सूखने लगे तब खेत की जुताई करवाकर खेती में पाटा लगवाकर खेत को समतल कर देना चाहिए।
ढैंचा के बीजो की बुआई का सही तरीका और समय
आपको बता दे की ढैंचा की खेती के लिए खेत में सबसे पहले बीजो की रोपाई की जाती है इसके लिए इसके बीजो की बुआई ठीक वैसे ही की जाती है ,जैसे सरसो की खेती के लिए बीजो को रोपा जाता है। इसके बीजो को जमीन में 4 cm की गहराई पर बपना चाहिए।
इसके बीजो की रोपाई अप्रैल के महीने में की जाती है और इसके पौधे को खरीफ की फसल के साथ बह लगते है। एक हेक्टैयर के क्षेत्र में लगभग 16 KG बीजो की आवश्यकता होती है।
ढैंचा की खेती के लिए खरपतवार नियंत्रण और सिचाई की आवश्यकता
आपको बता दे की इसके पौधे को अधिक गुड़ाई की आवश्यकता नहीं होती है ,इसकी खेती के लिए 2 से 3 गुड़ाई की आवश्यकता होती है। जोकि बीज बोन के 25 से 30 दिनों के बाद करनी चाहिए।
ढैंचा के पौधे को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है ,इसको सामान्य सिचाई की आवश्यकता होती है। इसकी खेती की अच्छे पैदावार के लिए 4 से 5 बार सिचाई करनी चाहिए ,इसके पौधे को नम भूमि में ही लगाना चाहिए ,जिससे अच्छी पैदावार हो सके।
ढैंचा की फसल की कतई कैसे करे ,और पैदावार
आप को बता दे की इसकी खेती लगभग 4 से 6 महीनो में तैयार हो जाती है ,जब इसकी फसल का रंग थोड़ा सुनहरा हो जाय तब इसकी कटाई करनी चाहिए ,इसकी कटाई के लिए आपको इसके ऊपर वाले हिस्से को काट ले और नीचे के हिस्से को ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है इसकी कटाई सरसो की कटाई के समान ही की जाती है।
ढैंचा की खेती एक एकड़ की जमीन पर लगभग 25 से 27 टन की पैदावार देती है ,और यह बाजार में 45 से 50 रूपये किलो के हिसाब से मिलती है ,इसका बाजार भाव भी काफी अच्छा होता है ,जिससे किसानो को काफी अधिक मुनाफा प्राप्त होता है।