Improved Varieties of Peas: मटर एक ऐसी खेती है जिसकी डिमांड साल के पुरे महीनो में होती है और इसके भाव भी मार्किट में हमेशा से अधिक रहते है। जब शादी ब्याह और त्योहारों का सीजन आता है तो मटर की डिमांड अधिक हो जाती है जिसके कारन इसकी कीमत और भी बढ़ जाती है। इसलिए मटर की खेती को किसानो के लिए हमेशा से फायदे का सौदा माना गया है।
मार्किट में इस समय मटर की बहुत किस्मे मौजूद है जिनको हमारे कृषि वैज्ञानिकों ने जलवायु और मिटटी के प्रकार के साथ साथ उत्पादन के हिसाब से तैयार किया है। यहां देखिये मटर की सबसे अच्छी किस्मे कौन कौन सी है जो किसानो को अधिक पैदावार देती है और साथ में रोग प्रतिरोधक छमता भी अधिक है।
मटर की उन्नत किस्में
मटर की किस्मों को 3 भागों में बनता गया है जिसमे अगेती किस्मे, माध्यम अवधी वाली किस्मे और पछेती यानि की देरी से होने वाली किस्मे शामिल है। इनमे अर्कल, जवाहर मटर 3, हिसार हरित, पूसा प्रभात आदि अगेती किस्मे है जिनकी बुवाई जल्दी हो जाती है और फसल भी जल्दी मिलने लगती है। पूसा भारत, पंत मटर 157, बोनविले किस्मे माध्यम अवधी वाली होती है और इसके अलावा मालवीय मटर 2, पूसा पन्ना आदि किस्मे देरी से होने वाली पछेती किस्मे है जिनको आखिर में बोया जाता है और इनकी फसल भी देरी से आती है।
मटर की उन्नत किस्म – काशी नंदिनी (वीआरपी-5)
मटर की इस किस्म के पौधे से किसानो को बुवाई के 50 से 55 दिनों के बाद फसल मिलनी शुरू हो जाती है। इस किस्म की फलिया आकर में माध्यम साइज की और घुमेदार होती है जिसमे प्रत्येक फली के अंदर 8 से लेकर 10 दाने होते है। मटर की इस किस्म की खेती बहुत अधिक की जाती है। उत्तर प्रदेश के किसान इसकी खेती सबसे अधिक करते है। प्रति एकड़ में इससे किसान भाई 25 क्विंटल तक की उपज आसानी से ले सकते है।
मटर की उन्नत किस्म – पूसा श्री मटर
मटर की इस किस्म को भारत के मैदानी इलाकों के लिए खासकर तैयार किया गया है। इस किस्म से किसान भाई आसानी से प्रति एकड़ के हिसाब से 25 क्विंटल तक की उपज ले सकते है। इस किस्म की बुवाई के 45 से 50 दिनों के बाद किसानो को इससे उपज मिलनी शुरू हो जाती है। इस किस्म की फलियां माध्यम आकर की और हरेक फली के अंदर 8 तक दाने पाए जाते है।
मटर की उन्नत किस्म – हरभजन EC 33866
मटर की इस किस्म को मध्यप्रदेश के जबलपुरी कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा विकसित किया गया है ,मटर की इस प्रजाति को अगेती किस्मों में गिना जाता है। इस किस्म की बुवाई के 50 दिनों में इसकी फसल मिलनी शुरू हो जाती है। इस किस्म से किसानो को आसानी से 30 क्विंटल तक की उपज मिल जाती है।
मटर की उन्नत किस्म – जवाहर पी – 4
मटर की इस किस्म की खेती ज्यादातर पहाड़ी इलाकों में अधिक की जाती है। लेकिन इसके अलावा किसान इसकी खेती मैदानी इलाकों में भी आसानी से कर सकते है। बुवाई के 60 से 70 दिनों के अंदर मटर की इस किस्म से किसानो को उपज मिलनी शुरू हो जाती है। प्रति हेक्टेयर के हिसाब से किसानो को इससे 30 से 40 क्विंटल तक की पैदावार आसानी से मिल जाती है।
मटर की उन्नत किस्म – काशी शक्ति
मटर की ये किस्म जीवाणुओं से रोग प्रतिरोधक छमता के साथ आती है इसलिए इसमें रोगों के लगने की सम्भावना बहुत कम होती है। इस किस्म के पौधों पर मटर की फलियों का आकर 10 सेमि तक होता है और किसानो को इससे उपज भी बहुत अच्छी मिलती है। इस किस्म में बुवाई के 70 दिनों के बाद उपज मिलनी शुरू हो जाती है।
मटर की खेती का बुवाई का सही समय
मटर की खेती के लिए बुवाई का सही समय अक्टूबर से नवम्बर का महीना सही रहता है। खरीफ के सीजन की शुरुआत होते ही मटर की खेती शुरू हो जाती है। ये समय मटर के पौधों के विकास के लिए सबसे अच्छा रहता है। मटर की खेती करने से पहले आपको अपने क्षेत्र के हिसाब से जैसे आपकी जलवायु है वैसी ही किस्मों का चुनाव करना है।