Agriculture

बादाम की खेती की सम्पूर्ण जानकारी : उन्नत किस्मे ,जलवायु ,मिट्टी और रोग व् रोकथाम के उपाय

बादाम को ताकतवर और ज्ञान वर्धक फल के रूप में जाना जाता है। बादाम का उपयोग खाने और आयुर्वेदिक दवाइयों के इस्तेमाल में लाया जाता है | बादाम का सेवन कर कई तरह की बीमारियों से भी छुटकारा मिलता है | बादाम का उत्पादन एशिया में ईरान, ईराक, मक्का, मदीना, मस्कट, शीराज जैसे देशो में अधिक मात्रा में किया जाता है। बादाम की खेती से किसानो को अधिक पैदावार से अच्छा मुनाफा होता है। अगर आप भी बादाम की खेती करने का मन बना रहे है तो आज हम आपको बादाम की खेती की सम्प्पूर्ण जानकारी देंगे।

Almonds Cultivation : बादाम की खेती मेवा फल के रूप में की जाती है। ड्राई फ्रूट में बादाम का एक विशेष महत्व होता है। बादाम के सेवन से स्वास्थ पर काफी अच्छा असर पड़ता है। सर्दी के मौसम में बादाम के लड्डू बनाये जाते है ,जो स्वास्थ के लिए काफी लाभदायक होते है। बादाम से तेल निकाला जाता है जो बालो में लगने और दिमाग के लिए अच्छा होता है। भारत में बादाम का प्रयोग शादी -विवाह ,पार्टियों ,और नव वर्ष पर गिफ्ट पैक के रूप में मेहमानो को दिया जाता है। आजकल प्रमुख त्योहारों और मांगलिक अवसरों पर आज मिठाई की जगह लोग ड्राई फ्रूट का आदान-प्रदान करते है। इन सब में बादाम का अधिक महत्व होता है। बादाम के पेड़ में फूल को रंग गुलाबी तथा सफेद होता है ,और इसके पेड़ का आकार भी माध्यम होता है। बादाम को पर्वतीय क्षेत्रों में अधिक मात्रा में उगाया जाता है। इसका फल चमकीला होता है। भारत में बादाम की गिरी को अधिक पसंद किया जाता है। इस फल की गिरी पोषक और औषधीय गुणों से युक्त होती है। बादाम ऊर्जा को बहुत बड़ा स्त्रोत होता है ,क्योकि इसमें 100 ग्राम ताजी गिरी में 598 कैलोरी ऊर्जा, 19 ग्राम प्रोटीन, 59 ग्राम वसा तथा 21 ग्राम कार्बोहाइड्रेट उचित मात्रा में पाया जाता है।

एक समय था जब बादाम की खेती सिर्फ जम्मू -कश्मीर और हिमाचल जैसे ठन्डे पर्वतीय इलाकों में की जाती थी ,लेकिन आजकाल बादाम की खेती मुख्य रूप से मैदानी क्षेत्रों में मुख्य रूप से की जाने लगी है भारत में बादाम की खेती मुख्य रूप से जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, अन्य पर्वतीय क्षेत्रों में की जाती है| बादाम का पेड़ सीधा बढ़ता है और एक वर्ष की आयु में उसकी शाखाए चिकनी ,चमकदार और पीले हरे से लाल भूरे रंग की हो जाती है। बादाम के उन्नत किस्मो के बीज उत्पन हो गए है ,जिससे इसकी अच्छे पैदावार मिलती है ,वही दूसरी ओर बाजार में इसकी मांग भी भाड़ रही है।

बादाम को ताकतवर और ज्ञान वर्धक फल के रूप में जाना जाता है। बादाम का उपयोग खाने और आयुर्वेदिक दवाइयों के इस्तेमाल में लाया जाता है | बादाम का सेवन कर कई तरह की बीमारियों से भी छुटकारा मिलता है | बादाम का उत्पादन एशिया में ईरान, ईराक, मक्का, मदीना, मस्कट, शीराज जैसे देशो में अधिक मात्रा में किया जाता है। बादाम की खेती से किसानो को अधिक पैदावार से अच्छा मुनाफा होता है। अगर आप भी बादाम की खेती करने का मन बना रहे है तो आज हम आपको बादाम की खेती की सम्प्पूर्ण जानकारी देंगे।

बादाम की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और तापमान

बादाम की खेती में आद्र उष्णकटिबंधीय जलवायु में उपयुक्त मानी जाती है। बादाम को ठन्डे प्रदेश में उगाया जाता है जैसे कश्मीर के ठंडे राज्यों में इसकी खेती की जाती है। बादाम के फल और पौधा ठंडे मौसम में विकास करते है लेकिन सर्दियों के मौसम में पड़ने वाला पाला और धुंद का इसकी खेती पर हानिकारक असर डालती है । बादाम का पौधा अन्य पौधे की तरह ही होता है ,उसको एक बार लगाने के बाद 50 वर्षो तक पैदावार देता है।

बादाम के बीज की जब बुआई करने के बाद जब बीज अंकुरित होता है जब इसको 20 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है,उसके बाद जब पौधा विकास करता है तब 27 डिग्री तापमान उपयुक्त माना जाता है। जब बादाम के पौधे में फूल खिलते है तब इसका पौधा 2 डिग्री तापमान को सहन कर सकता है। लेकिन अधिक समय तक तापमान होने पर फूल खराब हो जाते है।

बादाम की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी

बादाम की खेती की अच्छी पैदावार के लिए अच्छी जलनिकास वाली उपजाऊ मिट्टी होनी चाहिए। जलभराव वाली भूमि में इसकी खेती नहीं की जा सकती है,जिससे खेत में रोग लगने का खतरा बना रहता है और फसल की अच्छी पैदावार नही हो पातीहै। इसके अलावा मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ भरपूर मात्रा में होने चाहिए। और इसकी खेती के लिए मिट्टी का PH मान 5 से 8 के मध्य होना चाहिए।

बादाम के पौधे में उपयुक्त सिचाई और उर्वरक की मात्रा

बादाम के पौधे को अधिक पानी की आवश्यकता होती है। इसकी सिचाई टपकन विधि से की जाये तो अच्छी पैदावार प्राप्त होती है। पूर्ण विकसित पौधे को 6 से 8 सिचाई की आवश्यकता होती है। बादाम के पौधे को विकास के समय अधिक पानी की आवश्यकता होती है । गर्मी के मौसम में सप्ताह में 2 बार सिचाई की जानी चाहिए ,और सर्दी के मौसम में सप्ताह में 1 सिचाई आवश्यक होती है।

बादाम के पोधो को अच्छे विकास और पैदावार के लिए खेती में उर्वरक की आवश्यकता होती है। खेत में बीजकी बुआई से पहले खेती में गोबर की खाद का उपयोग करना चाहिए। इसके अलावा खेत में पोधो को N.P.K. की 100 ग्राम की मात्रा को तीन वर्ष के अंतराल में पौधों को देना चाहिए| इसके बाद जब पौधों में फल लगने लगे तो जरूरत के अनुसार उवर्रक की मात्रा को बढ़ा देना चाहिए,इससे पोधो का विकास भी अच्छा होगा और पैदावार भी अच्छी होगी।

बादाम की खेती में खरपतवार नियंत्रण

बादाम के पौधे को के अच्छे विकास के लिए खरपतवार नियंत्रण जरूरी है। इसके नियंत्रण के लिए प्राकृतिक तरीका का इस्तेमाल की जाता है। इसके लिए खेत में खरपतवार को नष्ट करने के लिए खेत की निराई -गुड़ाई करनी चाहिए। पहली गुड़ाई पौध रोपाई के 25 दिन बाद करनी चाहिए उसके बाद फिर खरपतवार दिखाई दे तब भी गुड़ाई कर सकते है।

बादाम की खेती के अलावा आप अन्य कमाई भी कर सकते है। क्योकि बादाम के पौधे को 7 मीटर की दूरी पर लगाया जाता है,और इसके फलो क तैयार होने में 4 साल लग जाते है। अगर किसान भाई चाहे तो पौध के बीच -बीच में खली जगह पर किसी भी फसल की रोपाई कर अच्छी कमाई कर सकते है।

बादाम की उन्नत किस्मे

बादाम की कई किस्मे पाई जाती है ,कुछ किस्मो का अच्छी पैदावार के लिए उगाया जाता है। सभी किस्मो का पैदावार के हिसाब से अलग -अलग उगाया जाता है। जो निम्नलिखित इस प्रकार है –

बादाम की अगेती किस्में (Early Varieties)

नीप्लस अल्ट्रा किस्म के बादाम

बादाम की यह किस्म अगेती किस्म है ,जिसको अच्छी पैदावार के लिए उगाया जाता है। यह किस्म नॉन पेरिल प्रजाति के लिए परागकर्ता का भी कार्य करती है। सर्दियों में पड़ने वाला पाला इसकी खेती के लिए हानिकारक होता है ,अगर इसकी खेती को पाले से बचा लिए जाये तो फसल में अच्छी पैदावार देती है।

पियरलेस किस्म के बादाम

इस किस्म का छिलका मोटा होता है इसको सर्दी में पड़ने वाले पाला अधिक हानिकारक होता है। इसकी गिरी का रंग हल्का पीला और भूरा होता है।

फेसिओनेलो किस्म के बादाम

इस किस्म के पौधे अधिक लम्बे होते है जिस कारण से इसकी पैदावार समय होती है। इसकी लम्बाई अधिक होने से पैदावार भी कम होती है।

सामान्य किस्म के बादाम

यह किस्म भी सामान्य पैदावार देती है। इस किस्म में अन्य किस्मे भी पाई जाती है जो इस प्रकार है -क्रिस्टोमोरटो, वेस्ता, मरकोना आदि है।

नॉन पेरिल किस्म के बादाम

इस किस्म का उत्पादन अधिक मात्रा में होने से इसको अधिक उगाया जाता है। इस किस्म का पौधा ओजपूर्ण होता है। जो कम दूरी में फैलता है। इस किस्म के फल पीले भूरे रंग के होते है।

बादाम की पछेती किस्म के बादाम

बादाम की पछेती किस्मो में फल अधिक मात्रा में पाए जाते है यह किस्मे अच्छी पैदावार देती है। इस किस्म में जेंको, टेक्सास जैसी किस्मे होती है।

बादाम की विदेशी किस्मे

मामरा किस्म

यह किस्म अफगानिस्तान में अध्क मात्रा में उगाई जाती है। और यह किस्म कैलिफोर्निया किस्म से कम पैदावार देती है।

कैलिफोर्निया किस्म

बादाम की इस किस्म को अमेरिका बादाम के नाम से भी जाना जाता है। यह किस्म
मामरा किस्म किस्म से अधिक पैदावार देती है। यह किस्म अधिक और जल्दी पक जाती है। इस किस्म की गिरी का स्वाद मीठा होता है और यह उच्च गुणवत्ता वाली किस्म होती है।

बादाम के पौधों में लगने वाले रोग और रोकथाम के उपाय

बादाम के पौधे में कई रोग देखने को मिल जाते है ,और यह रोग पोधो को अधिक नुकसान पहुंचते है ,जिससे फलो की पैदावार कम होती है। रोग के रोकथाम के लिए कुछ दवाइयों को छिड़काव करना चाहिए ,जो इस प्रकार है –

कीट आक्रमण (Insect Attack)

इस रोग का आक्रमण पौधे की नई पत्तियों पर देखने को मिलता है। यह रोग पौधे की पत्तियों को खाकर नष्ट कर देता है। ,जिससे पैदावार नहीं होती है।

रोकथाम
इस रोग के रोकथाम के लिए पौधे पर डरमेट की उचित मात्रा का छिडकाव करना चाहिए, जिससे रोग को रोका जा सकता है।

पत्ती धब्बा रोग

यह रोग पोधेपर विकास के समय दिखाई देता है। इस रोग के लगने से पत्तियों पर गहरे भूरे रंग के धब्बे हो जाते है यह धब्बे धीरे -धीरे बढ़ जाते है और पौधे की पत्तियों को पूरी तरह से नष्ट कर देते है।

रोकथाम
इस रोग के रोकथाम के लिए पौधे पर थीरम को छिड़काव करना चाहिए।

बादाम की खेती के लिए खेत और पौध को तैयार करना

बादाम की खेती के लिए खेत की अच्छे से जुताई की जानी चाहिए ,क्योकि बादाम को पेड़ 50 साल तक फल की अच्छी पैदावार देता है। इसलिए खेती की जुताई पौध लगने से पहले अच्छे से करनी चाहिए। उसके बाद खेत में गोबर की खाद भी डाल सकते है ,और खाद को मिट्टी में अच्छे से मिलाने के लिए खेत की अच्छी गहरी जुताई करनी चाहिए। फिर खेत में पाटा लगवाकर खेत को समतल कर देना चाहिए।

उसके बाद खेती में 6 से 8 मीटर की दूरी पर गड्डो को तैयार कर ले ,उसके बाद गड्डो में पुराणी गोबर की खाद डालकर मिट्टी में अच्छे से मिला देनी चाहिए। एक बात का विशेष ध्यान दे की पौध रोपाई के एक महीने पहले खेत को तैयार कर लेना चाहिए।

बादाम के पोधो को तैयार करने के लिए कलम विधि का उपयोग करना चाहिए बीजो से तैयार पौधे 8 साल के बाद फल देते है और कलम से तैयार पौधे 4 साल में फल देना शुरू कर देते है। पोधो को कलम विधि से तैयार करके खेत में लगा देना चाहिए।

बादाम के पौधे की रोपाई का तरीका और सही समय

बदामके पौधे को लगाने के लिए खेत को एक महीने पहले तैयार किया जाना चाहिए। अगर आप पोधो को नर्सरी से ख़रीदा है तो इस बात का जरूर ख्याल रखे की पौधे एक साल पुराने होने चाहिए। पौध को खेत में लगाने से पहले गड्डो को गोमूत्र या बाविस्टिन से उपचारित कर लगाना चाहिए। इसके बाद पौधों को उन गड्डो में लगा दे और अच्छे से मिट्टी से दबा देना चाहिए।

बादाम की पौध रोपाई नवम्बर और दिसंबर महीने में की जानी चाहिए। क्योकि इस समय वातावरण पौधों के अनुकूल होता है ,और पौधा अच्छे से विकास कर सकता है।

बादाम के फलो की तुड़ाई और पैदावार से लाभ

बादाम की तुड़ाई तब करे जब फल पतझड़ के मौसम में अच्छे से पक जाये। बादाम का पौधा 7 वर्ष बाद फल की पैदावार देता है। बादाम की गुठलियों का रंग जब हरे से पीले में परिवर्तित हो जाये तब वह गुठलिया अधिक समय तक न तोड़ने पर अपने आप टूटकर नीचे गिरने लगती है | उसके बाद फलो को तोड़कर छायादार जगहों पर सूखा लेना चाहिए। उसके बाद गुठलियों के सूख जाने के बाद उन्हें फोड़कर उनसे बादाम निकल लेना चाहिए।

बादाम का बाजार में भाव 700 से 800 रूपये किलो के आस -पास होता है ,और इसका पेड़ कई वर्षो तक अधिक पैदावार भी देता है। इसके पौधे को बार -बार लगाना भी नहीं पड़ता है। इससे किसानो को अधिक मुनाफा भी प्राप्त हो जाता है।

Saloni Yadav

मीडिया के क्षेत्र में करीब 3 साल का अनुभव प्राप्त है। सरल हिस्ट्री वेबसाइट से करियर की शुरुआत की, जहां… More »