नई दिल्ली: किसानो की आय बढ़ाने के लिए कृषि वैज्ञानिक दिन रात एक करके नई नई किस्मों मो इजाद करते रहते है ताकि किसान भाई उनकी बुवाई करके अपनी फसल से अच्छी और अधिक पैदावार का लाभ उठा सके। अभी हाल ही में मटर की खेती में कृषि वैज्ञानिकों ने एक नई किस्म को इजाद किया है जिससे किसान भाई आसानी से प्रति हेक्टेयर के 120 क्विंटल तक की पैदावार ले सकते है।
इस किस्म किस्म की सबस अच्छी बात किसानो के लिए ये है की ये अगेती किस्म है और इससे किसान भाइयों को बुवाई के 65 दिन में ही पैदावार मिलने लग जाती है। चलिए जानते है इस आर्टिकल में मटर की कौन सी अगेती किस्म को कृषि वैज्ञानिकों ने इजाद किया है और किसान भाइयों को इससे कितना लाभ मिलने वाला है।
काशी पूर्वी – मटर की अगेती किस्म
किसान भाइयों के लिए देश के भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (IIVR) वाराणसी के कृषि वैज्ञानिकों डॉ. ज्योति देवी और डॉ. आर.के दुबे ने मटर की नई किस्म को इजाद किया है जिसका नाम काशी पूर्वी किस्म रखा गया है। किसानो के लिए इस नई किस्म को अगेती किस्म के रूप में इजाद किया गया है जिससे किसान भाई अब अपनी मटर की फसल में 120 क्विंटल तक की पैदावार आसानी से ले सकते है।
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मटर की ये नई किस्म किसानो को नवम्बर के पहले सप्ताह तक बुवाई करनी होती है। इसके अलावा सर्दियों की फसल के लिए इसकी बुवाई सितम्बर महीने में की जानी चाहिए लेकिन उसमे देखभाल की जरुरत ज्यादा होती है। एक हेक्टेयर में इसका करीब 120 किलोग्राम के आसपास बीज की बुवाई करनी चाहीये। पौधे से पौधे की दूरी को लगभग 10 सेमी के आसपास रखनी चाहीये जिससे अधिक पैदावार मिलती है। मटर की ये किस्म मौजूदा समय में सबसे बेहतरीन मानी जा रही है और किसानों के लिए ये किसी वरदान से कम नहीं है।
20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैसा अधिक मिलेगी
आपको बता दें की मटर की ये नई किस्म दलहन फसलों में सबसे कम समय में उत्पादन देने वाली किस्म है। अभी तक किसान भाई जिन किस्मों को अपने खेतों में बुवाई करते थे वे एक तो काफी अधिक समय में तैयार होती थी और दूसरा उनसे पैदावार भी काफी कम मिलती थी। पहले वाली मटर की किस्मे लगभग 85 दिन का समय तैयार होने में लेती थी तो ये नई मटर की किस्म लगभग 65 दिन में ही तैयार हो जाती है। इसके साथ ही पहले वाली किस्मों से किसान भाइयों को प्रति हेक्टेयर में जहां 100 क्विंटल तक की पैदावार मिलती थी वहीं इस नई किस्म से किसानो को लगभग 120 क्विंटल तक की पैदावार आसानी से मिल जाती है।
मटर की ये नई किस्म बुवाई के लगभग 30 दिन के अंतराल पर ही बेलों पर फूल आने लगते है और 60 से 65 दिन के बाद में इसकी बेलों पर लगी मटर की फलियां तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। दूसरी किस्मों की तुलना में इस नई किस्म की बेलों पर फलियों का साइज लब्म और काफी मोटा होता है जिसके कारण किसान भाइयों को पैदावार भी बम्पर मिलती है। अधिक पैदावार के कारण किसानों को इस किस्म की खेती करने पर बचत अधिक होती है।
आपको बता दें की मटर की ये नई किस्म रोगों के प्रति भी प्रतिरोधक छमता के साथ में कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा तैयार की गई है। किसान भाइयों ो इसकी खेती करने के बाद में फसल में ज्यादा किट नाशकों का छिड़काव करने की जरुरत नहीं रहती है और फसल से पैदावार भी भरपूर मिल जाती है। वैज्ञानिकों ने मटर की इस किस्म को मटर की फसल में पाये जाने वाले प्रमुख रोग सफेद चूर्ण आशिता और रतुआ रोग के प्रति रोग प्रतिरोधक बनाया है जिससे फसल में नुकसान बिलकुल भी नहीं होता है।