Agriculture

अनानास की उन्नत खेती कैसे करे ? आइये जानते है

अनानास भारत की महत्वपूर्ण फसल होती है। क्या आप जानते है की अनानास की खेती कैसे होती है। अगर आप भी अनानास की खेती करना चाहते है तो आज हम आपको अनानास की खेती की सम्पूर्ण जानकारी देंगे।

Pineapple Cultivation : अनानास को अंग्रजी में पाइन एप्पल कहा जाता है। अनानास की खेती फल के रूप में की जाती है। अनानास के फलो में अम्लीय गुण पाया जाता है। इस फल का तना मोटा होता है और पत्तियों से भरा होता है। इसकी गाठे अधिक मजबूत होती है। इस प्रकार इसे गठीला फल भी कहा जाता है। अनानास में कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते है। और कैल्शियम के मात्रा भी अधिक पाई जाती है। अनानास के सेवन से मानव शरीर में ऊर्जा बनी रहती है। इसके फल को खाने के अलावा जैम,जूस ,केक ,सलाद और जेली आदि बनाने में भी उपयोग में लिया जाता है।

विश्व में ब्राजील को अनानास का जन्मदाता कहा जाता है। अनानास का वैज्ञानिक नाम अनानस कोमोसस होता है। इसके फल को ताजे रूप में खाया जाता है। इस फल का उपयोग ओषधीय रूप में किया जाता है। इस फल के रोज सेवन करने से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। यह फल शरीर से विषैले पदार्थ को बाहर निकलता है। यह उष्ण कटिबंधीय पौधा होता है।

अनानास भारत की महत्वपूर्ण फसल होती है। क्या आप जानते है की अनानास की खेती कैसे होती है। अगर आप भी अनानास की खेती करना चाहते है तो आज हम आपको अनानास की खेती की सम्पूर्ण जानकारी देंगे।

शार्ट इनफार्मेशन

  • अनानास के लिए जलवायु -: अनानास की खेती के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु सबसे अच्छी होती है।
  • अनानास के लिए तापमान -: अनानास के पौधे को 20 से 30 डिग्री सेल्सियस के तापमान की आवश्यकता होती है। 10 डिग्री सेल्सियस से नीचे के तापमान में पौधे की वृद्धि रुक जाती है।
  • अनानास के लिए मिट्टी -: अनानास की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली, दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है। मिट्टी का pH मान 5 से 6 के बीच होना चाहिए।
  • अनानास के लिए पानी – : अनानास के पौधों को अच्छी तरह से पानी देने की आवश्यकता होती है। विशेष रूप से पौधे के विकास के शुरुआती चरण में और फल पकने के समय में पानी की अधिक जरुरत होती है
  • अनानास के लिए खाद – : अनानास के पौधों को अच्छी तरह से उर्वरक देने की आवश्यकता होती है। रोपण के समय 10 किलोग्राम गोबर की खाद और 200 ग्राम नाइट्रोजन, 100 ग्राम फास्फोरस और 50 ग्राम पोटेशियम की खाद प्रति पौधे के हिसाब से देनी चाहिए।

अनानास की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी

अनानास की खेती के लिए अच्छी जल निकास वाली बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है ,
इसकी खेती में जल भराव नहीं होना चाहिए ,इसकी खेती के लिए भूमि का PH मान 5 से 6 के मध्य होना चाहिए। हम आप को बता दे की अनानास की खेती के लिए जीवांशयुक्त मिट्टी का चयन करना चाहिए। जलभराव वाली मिट्टी में अनानास की खेती नहीं करनी चाहिए।

अनानास की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु

अनानस की खेती के अच्छे विकास के लिए उष्ण कटिबंधीय जलवायु उपयुक्त होती है। इसके पौधे को अधिक वर्षा की जरूरत भी नहीं होती है। सर्दियों में गिरने वाला पाला इस खेती के लिए हानिकारक होता है। यह फल ज्यादा गर्मी भी सहन नहीं कर सकता है। इसके लिए गर्म नमी वाली जलवायु उपयुक्त मानी जाती है।

अनानास की खेती के लिए उपयुक्त तापमान

अनानास के लिए 15 से 32 सेंटीग्रेड का तापमान उचित माना जाता है। अनानास की खेती के लिए पोधो के विकास के लिए सामान्य तापमान की जरूरत होती है। और बीज के अंकुरित होने में 20 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है। अनानास का पौधा 35 डिग्री तापमान सहन कर सकता है ,इससे ज्यादा तापमान इसकी खेती के लिए हानिकारक होता है।

अनानास के पौध की सिचाई

अनानस के पोधो को अधिक पानी के आवश्यकता होती है। इसके बीज रोपने के बाद तुरंत सिचाई की जाती है। इसकी सिचाई ड्रिप विधि से करने पर पानी की बून्द जमीन tak अच्छे से पहुंच जाती है,और जिससे बीज बहे नहीं। बारिश के मौसम में सिचाई आवश्यकता अनुसार करनी चाहिए। और अन्य मौसम में 20 से 25 दिनों के अंतराल पर सिचाई करनी चाहिए।

अनानास की उन्नत किस्मे

क्वीन

यह किस्म कम समय में अधिक पैदावार देती है। इस किस्म की पौधे आकर में छोटे होते है। इसकी पत्तिया भी छोटी होती है। इस किस्म के फल का रंग पीला और सुनहरा होता है। इस फल का गुदा स्वाद में अधिक मीठा होता है।

मॉरिशस

यह विदेशी किस्म है इसकी पत्तिया दांतेदार होती है इस किसम के फलो को तैयार होने में अधिक समय लगता है। और इसका वजन दो किलो के आस -पास होता है

जायनट क्यू

इस किसम का फल काफी बड़ा होता है इसका वजन तीन किलो के आस -पास होता है इस किसम को पछेती क़िस्म में उगाया जाता है। इस क़िस्म के पौधे की पत्तिया लंबी और चिकनी होती है। इस क़िस्म के पौधे 15 से 18 दिनों के बाद 80 % पक जाते है और 30 दिनों के बाद पूरे पककर तैयार हो जाते है।

रैड स्पैनिश

इस क़िस्म के फलो का रंग पीला होता है। इसका बाहरी आवरण खुरदरा,और कठोर होता है ,इस फल के गुदे में अम्लीय गुण पाया जाता है। इस क़िस्म में कम रोग लगते है ,तथा इसका सेवन ताजा -ताजा ही करना होता है।

अनानास के पौधे में लगने वाले रोग और रोकथाम के उपाय

जड़ गलन

  • यह रोग अनानास में तब लगता है जब खेत में जलभराव की समस्या उत्पन हो जाये ,इस रोग के होने से पौधे की पत्तिया ,तना पूरी तरह सूख जाता है और कुछ देर बाद पूरा पौधा ही सुखकर नष्ट हो जाता है।
  • इसके प्रकोप से बचने के लिए खेत में जलभराव नहीं होने दे ,और रोकथाम के लिए पौधों पर बोर्डों मिश्रण का छिड़काव करना चाहिए।

काला धब्बा

  • यह रोग पोधो की पत्तियों पर अधिक होता है। इस रोग से प्रभावित पौधे की पत्तियों पर काले रंग के धब्बे हो जाते है। इस रोग से प्रभावित पौधा विकास करना बंद कर देता है। और पूरा पौधा खराब हो जाता है।
  • इसके रोकथाम के लिए कोजेब या नीम के तेल की उचित मात्रा का छिड़काव करना चाहिए।

शीर्ष विगलन

  • यह रोग सबसे पहले पौधे पर ही आक्रमण करता है। इसके आक्रमण से पौधा विकास करना बंद कर देता है और यह रोग फलो के पकने के समय होता है जिससे फल पूरी तरह नष्ट हो जाता है
  • इस रोग स बचने के लिए पौधों पर नीम के तेल या काढ़े का छिड़काव करना चाहिए।

अनानास के खेत की तैयारी कैसे करे

अनानास की खेती के लिए सबसे पहले खेत में पुरानी फसल के अवशेषों को पूरी तरह नष्ट कर देना चाहिए। इसके बाद खेत की अच्छे से जुताई की जानी चाहिए ,फिर खेत को कुछ समय के लिए खुला छोड़ देना चाहिए जिससे मिट्टी को धूप लग सके ,उसके बाद खेत में गोबर की खाद को खेत में डालनी चाहिए। फिर से खेती के जुताई करनी चाहिए।

इसके बाद खेत में पानी से पलेव करना चाहिए उसके बाद जब मिट्टी थोड़ी से सुख जाये तब फिर से जुताई कर खेत में पाटा लगवाकर खेत को समतल करना चाहिए। अनानास के अच्छी पैदावार की लिए खेत की पहले जुताई करते समय भी उसमे गोबर की खाद का प्रयोग कर सकते है। आप जैविक खाद की जगह रासायनिक खाद का प्रयोग भी कर सकते है। इसके लिए 340 KG फास्फोरस, 680 KG अमोनियम सल्फेट तथा 680 KG पोटाश की मात्रा को वर्ष में दो बार छिड़काव करना चाहिए। ऐसा करने पर पौधे का विकास अच्छा होता है।

अनानास के बीज रोपाई का सही समय

अनानास की बीज रोपाई में सबसे पहले अनानास के पौधे पर बनने वाली शाखा को तेया किया जाता है। जिसे क्राउन भी कहते है।। इस क़िस्म को भूमि से निकलकर साफ़ किया जाता है। फिर क्राउन को फलो पर बनने वाली शाखाओ पर तैयार किया जाता है। इसके बाद बीजो को उपचारित करना पड़ता है,उपचारित करने के लिए बीजो पर थिरम या सेरासेन के घोल से उपचारित करने के बाद धूप में सूखा लिया जाता है |

इसके बाद तैयार किये पोधो को लगा देना चाहिए। इस क़िस्म के पौधे को फल देने में 15 महीनो का समय लग जाता है। बीज की रोपाई के लिए खेत के मेड़ो को तैयार किया जाता है फिर इसको पक्तियो में लगते है ,मेड से मेड की दुरी दो फिट होनी चाहिए। अनानास के बीज की रोपाई बारिश के मौसम में की जानी चाहिए ,ताकि फल की उपज अच्छी हो सके। इस फल की रोपाई नम खेतो में की जनि चाहिए।

खरपतवार नियंत्रण

कोई भी फल हो उसके खेत में से खरपतवार को नष्ट करना चाहिए ,क्योकि ये पौधे फल की पैदावार को कम कर देते है। इस फल क खेत में प्राकृतिक तरिके से खरपतवार को नियंत्रण करना चाहिए ,इसके लिए खेत में निराई -गुड़ाई करनी चाहिए। इसके बाद जब भी खरपतवार अधिक मात्रा में हो जाये फिर से गुड़ाई करनी चाहिए।

अनानास के फलो की तुड़ाई

इस फल के पौधे लगभग 19 से 20 महीने बाद फल के पैदावार करते है। पौधे में लगी पत्तिया पीली हो जाती है तब फल की तुड़ाई की जानी चाहिए। अनानास के एक पौधे से एक ही फल प्राप्त होता है। आप एक हेक्टैयर के क्षेत्र में सिर्फ 16 से 17 हजार पौधे लगा सकते है।

अनानास के फलो की पैदावार

हम आप को बता दे की एक हेक्टैयर के क्षेत्र में 300 से 400 किवंटल की पैदावार हो जाती है। अनानास का बाजारी भाव अधिक ही होता है क्योकि इस फल में अनेक गुण पाए जाते है। इससे किसानो को 5 से 6 लाख तक की कमाई कर सकते है। अच्छी पैदावार होने पर किसानो को ओर भी अच्छा मुनाफा हो सकता है।

Saloni Yadav

मीडिया के क्षेत्र में करीब 3 साल का अनुभव प्राप्त है। सरल हिस्ट्री वेबसाइट से करियर की शुरुआत की, जहां 2 साल कंटेंट राइटिंग का काम किया। अब 1 साल से एन एफ एल स्पाइस वेबसाइट में अपनी सेवा दे रही हूँ। शुरू से ही मेरी रूचि खेती से जुड़े आर्टिकल में रही है इसलिए यहां खेती से जुड़े आर्टिकल लिखती हूँ। कोशिश रहती है की हमेशा सही जानकारी आप तक पहुंचाऊं ताकि आपके काम आ सके।

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