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पान की उन्नत खेती कैसे करे ? जानिए इसकी उन्नतशील किस्मो की सम्पूर्ण जानकारी

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Progressive Varieties Of Betel : आपको बता दे की भारत में कई फसलों की खेती की जाती है। जिसमे से पान की खेती भी मुख्य रूप से की जाती है। भारत में पान को लोग खाते भी है इसके अलावा पान के पत्तो को उपयोग पूजा – पाठ, त्योहारों आदि में भी किया जाता है ,भारत में पान की मांग अधिक पाई जाती है। भारत में पान की खेती अलग – अलग तरीको से की जाती है। पान की खेती बेल के रूप में की जाती है ,जिससे इनकी पैदावार भी अधिक होती है। पान खाने से जब उसकी लार निकलती है तो वह पाचन शक्ति को मजबूत करती है ,जिसे शरीर भी एकदम स्वस्थ बना रहता है।

भारत में पान की खेती मुख्य रूप से अनेक राज्यों में की जाती है। जो इस प्रकार है- महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, असम,पश्चिम बंगाल ,उड़ीसा ,दिल्ली ,तमिलनाडु, बिहार ,राजस्थान, गुजरात , आन्ध्रप्रदेश , कर्नाटक और असम में पान की खेती मुख्य रूप से की जाती है।

पान को पौधा पाइपरेसी कुल का होता है ,जिसको नगदी फसलों में महत्वपूर्ण स्थान होता है। इसकी खेती से हमारे देश में 7 – 8 सौ करोड़ की आमदनी होती है व्यापारिक रूप से इनके पत्तो को इस्तेमाल धूम्रपान की चीजों को बनाने के लिए किया जाता है। अगर आप भी इसकी खेती कर अच्छा मुनाफा कमाना चाहते है ,तो हम आपको इसकी खेती कैसे की जाती है ,इसकी खेती के लिए आवशयक जलवायु ,मिट्टी ,तापमान और पैदावार और इसकी उन्नत किस्मो की जानकरी बतायेगे।

पान की खेती के लिए आवश्यक जलवायु

आपको बता दे की इसकी खेत के लिए अधिक ठंडे और गर्म प्रदेश उपयुक्त नहीं होते है। इसके पौधे अधिकतम 30 डिग्री और न्यूनतम 10 डिग्री तापमान को सहन कर सकते है बारिश के मौसम में इसके पौधे अच्छे से विकास करते है। इसके अलावा ठंडी और अधिक गर्म हवा इसकी फसल को नुकसान पहुंचा सकती है। पान की खेती आद्रऔर नम जलवायु में की जाती है।

पान की खेत के लिए आवश्यक मिट्टी

पान की खेत के लिए उपजाऊ मिट्टी का होना आवश्यक है ,वैसे तो इसकी खेती किसी भी उपजाऊ मिट्टी में की जा सकती है। इसकी खेती में खेत में जलभराव की स्थिति न होने दे क्योकि जिससे पौधे की की जड़ो को नुकसान हो सकता है। इसकी अच्छी पैदावार के लिए भूमि का PH मान 6 से 7 के मध्य को होना चाहिए।

पान की खेती के लिए सिचाई की आवश्यकता

पान की खेती के लिए अधिक सिचाई की आवश्यकता होती है। इसकी खेती में गर्मियों में 2 से 3 दिन के अंतराल पर की जाती है ,और सर्दियों में इसकी खेती 15 से 20 दिनों के अंतराल पर की जाती है ,इसके साथ ही बारिश के मौसम में इसकी फसल में सिचाई आवश्यकता होने पर करनी चाहिए।

खरपतवार नियंत्रण

आपको बता दे की पान की फसल में अधिक खरपतवार को नियंत्रण करना आवश्यक है ,इसलिए इनके पौधे को अच्छे विकास के लिए खरपतवार प्राकृतिक तरिके से करना चाहिए ,उसके लिए खेत में निराई – गुड़ाई करनी चाहिए। पान की खेती के लिए खरपतवार को हाथ से निकलना अच्छा होता है।

कैसे करे पान की बुआई

  • आपको बता दे की सबसे पहले पान की खेत के लिए खेत को अच्छे से तैयार करना चाहिए।
  • उसके बाद खेत में गोबर की खाद डाले ,और उसको खेत की मिट्टी में अच्छे मिला देना चाहिए
  • पान की खेती ठंडे और छायादार स्थान पर की जानी चाहिए ,ताकि अच्छी पैदावार हो सके।
  • उसके बाद खेत में पानी से पलेव करे ,फिर कुछ मिट्टी जब सूखने लगे तब खेत में गहरी जुताई करे ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाये।
  • पान की रोपाई के लिए पहले बेल को नर्सरी में कलम द्वारा तैयार किया जाता है।
  • उसके बाद खेत में बेलो को ऐसे लगाए जिससे बेलो के मध्य 15 cm की दूर रह सके।
  • इसके साथ ही भूमि पर इनकी बेलो को 4 से 6 cm की गहराई में लगाना चाहिए।
  • उसके बाद खेत में 2 मीटर छोटी क्यारिया बना ले और फिर उसमे पान की बेल को लगाना चाहिए।
  • बेल की रोपाई के तुरंत बाद पानी देना चाहिए।
  • आपको बता दे की बेल को शाम के समय लगाना उचित माना जाता है।
  • पान की बेल की रोपाई जनवरी ,मार्च और जून के महीने में की जाती है ,क्योकि यह समय इसकी फसल की लिए उपयुक्त माना जाता है।

पान की खेती में उर्वर की मात्रा

आपको बता दे की इसकी खेती में उर्वर की मात्रा की आवश्यकता होती है जिससे फसल में पैदावार भी अच्छी होती है। पानी की खेती के लिए गोबर की खाद सबसे बढ़िया मानी जाती है। इसके अलावा आप इसमें रासयनिक खाद का प्रयोग नहीं करे। साथ ही सड़ी गोबर की खाद को प्रयोग अच्छा माना जाता है।

पान की उन्नतशील किस्मे

भारत में राज्य्वार उगाई जाने वाली पान की उन्नत किस्मे

महाराष्ट में उगाई जाने वाली उन्नत किस्म :- बांग्ला ,काली पट्टी और कपूरी आदि है।
बिहार में उगाई जाने वाली किस्मे : – पाटन, मघई ,देसी पान कलकत्ता और बांग्ला आदि है।
मध्यप्रदेश में उगाई जाने वाली किस्मे :- देस्वरी ,कलकत्ता और देशी बांग्ला आदि है।
असम में उगाई जाने वाली उन्नत किस्म :- असम पट्टी खासी पान, अवनी पान और बांग्ला आदि है
बिहार में उगाई जाने वाली उन्नत किस्मे : मघई , देसी पान कलकत्ता, पाटन, और बांग्ला आदि है।

पान की अन्य उन्नत किस्मे –

भारत में पान की अनेक उन्नत किस्मे उगाई जाती है पान की किस्मो को जलवायु और मिटटी के अनुसार उगाया जाता है ,जिससे अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सके ,पान की कुछ उन्नतशील किस्मे इस प्रकार है –

बंग्ला किस्मे के पान

इस किस्म की एक बेल से किसानो को 65 से 75 पत्ते पैदावार के रूप में प्राप्त होते है। इसके पान के पत्तो की लम्बाई और चौड़ाई क्रमश 5 से 6 और 4 से 5 होती है। इस किस्म को मुख्य रूप से बिहार ,महाराष्ट ,मध्यप्रदेश ,असम ,पश्चिम बंगाल ,उत्तर प्रदेश और आन्ध्रप्रदेश आदि राज्यों में उगाई जाती है। इस किस्म के पत्ते चौड़े तथा गहरे रंग में पाए जाते है। खेत में कलम की रोपाई के बाद पत्ते 200 दिंनो के बाद कटाई के लिए तैयार होते है।

बनारसी किस्म को पान

इस किस्म में पान के पत्ते हल्के हरे ,चमकीले और लम्बे पाए जाते है ,इस किस्म में एक बेल से 80 से 85 पत्ते प्राप्त किया जाते है ,और कलम रोपाई के इसके पत्ते 28 दिन में तैयार हो जाते है ,इस किस्म को मुख्य रूप से बिहार और उतर प्रदेश में उगाया जाता है।

मीठा पान की किस्म

इस किस्म के पान खाने में मीठा और स्वादिष्ट होता है। इस किस्म के एक बेल से 80 पत्तिया प्राप्त की जाती है। इस किस्म की बेल 8 महीने में फसल तैयार होती है ,और 3 महीने बाद कटाई की जाती है। इसके एक पत्ते से 2 बीड़ा पान तैयार किये जाते है। इस किस्म के पान की खेती भारत में मुख्य रूप से महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल ,उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और आन्ध्रप्रदेश में की जाती है।

इसके अलावा भी पान की अनेक उन्नत किस्मे पाई जाती है जो इस प्रकार है – देशावरी, कपूरी , कलकतिया, सोफिया, बांग्ला , मघई ,रामटेक , सांची और बंगला आदि किस्म होती है ,जो जलवायु के आधार पर अच्छी पैदावार देते है।

पान के पतों की पैदावार

पान की अच्छी पैदावार के लिए उन्नत किस्मो को उगना चाहिए ,और अच्छे से देखभाल करनी चाहिए ,इसके साथ ही पान की खेती कर किसानो को अच्छी कमाई होती है। पान की खेती एक हेक्टैयर के क्षेत्र में 60 बेलो के साथ की जाती है। जिससे प्रत्येक बेल से 50 से 80 पत्तिया प्राप्त की जा सकती है। पान की पत्तियों का बाजर में भाव एक रूपये प्रति पत्ती पाया जाता है। जिससे किसानो को तगड़ा मुनाफा प्राप्त होता है।

Saloni Yadav

मीडिया के क्षेत्र में करीब 3 साल का अनुभव प्राप्त है। सरल हिस्ट्री वेबसाइट से करियर की शुरुआत की, जहां 2 साल कंटेंट राइटिंग का काम किया। अब 1 साल से एन एफ एल स्पाइस वेबसाइट में अपनी सेवा दे रही हूँ। शुरू से ही मेरी रूचि खेती से जुड़े आर्टिकल में रही है इसलिए यहां खेती से जुड़े आर्टिकल लिखती हूँ। कोशिश रहती है की हमेशा सही जानकारी आप तक पहुंचाऊं ताकि आपके काम आ सके।

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