Saffron Cultivation : आपको बता दे की केसर की मांग बाजार में बहुत होती है। केसर में अनेक गुण पाए जाते है। केसर की कीमत बहुत अधिक होती है ,जिस कारण से ऐसे हरा सोना भी कहा जाता है। केर्स कर प्रयोग बहुतायत में किया जाता है। केसर में बहुत अच्छी खुसबू आती है। इसका प्रयोग साबुन बनाने में किया जाता है। केसर को खाने की कई चीजों में डाला जाता है। केसर में कई गुणकारी तत्व मौजूद होते है ,केसर से ह्दय जैसे रोग नहीं होते है ,और साथ ही रक्त शोध की क्षमता भी बढ़ती है।
एशियाई और यूरोपीय भागो में केसर की खेती मुख्य रूप से की जाती है। केसर की खेती बर्फीले क्षेत्रों में अच्छी पैदावार देती है ,विश्वभर में 80 % केसर ईरान और स्पेन जैसे देशो में उत्पादित किया जाता है। केसर को समुन्द्र से 1500 से 2500 m की उचाई पर लगाया जाता है। केसर की खेती देश – विदेशो में की जाती है। केसर की खेती कर किसनो को अच्छा लाभ मिलता है। केसर की फसल सभी फसलों में से महंगी बिकने वाली फसल है ,केसर को प्रयोग गुलाबजामुन ,और खीर आदि में किया जाता है।
केसर में गुणों के साथ – साथ अनोखी खुसबू भी पाई जाती है ,केसर से अनेक प्रकार की जड़ी – बूटियों बनाई जा सकती है। गर आप भी केसर की खेती करना चाहते है तो हम आपको इसकी खेती की सम्पूर्ण जानकरी के बारे में बतायेगे ,आइये जानते है
जलवायु ,तापमान और मिट्टी
केसर की खेती के लिए जलवायु को अधिक महत्व होता है ,इसके लिए बर्फीले क्षेत्रों में केसर की खेती की जाती है। वैसे तो केसर को सर्दी ,बरसात और गर्मी में भी उत्पादन किया जाता है। सर्दियों में पड़ने वाली बर्फ इसके फूलो के विकास को नहीं होने देता है।
केसर की खेती के लिए 20 % तापमान की आवश्यकत होती है ,यानि इस तापमान में पौधे अच्छे से वृद्धि करते है। और इनके फूलो के विकास के समय 10 से 20 % तापमान अच्छा माना जाता है। जिससे फूलो का विकास अच्छा होता है ,और किसानो को काफी अच्छा फायदा होता है।
आपको बता दे की मिट्टी भी केसर की क हेति को काफी प्रभावित करती है। रेतीली चिकनी बलुई मिट्टी और दोमट मिट्टी इसकी खेती के लिए उपयुक्त होती है। इसकी खेती में जलभराव की स्थिति नहीं होनी चाहिए ,क्योकि ऐसे में बीज सड़ जाते है ,और पूरी तरह नष्ट हो जाते है। इसकी खेती की लिए भूमि का PH माना सामान्य होना चाहिए ,जिससे अच्छे से फूलो को विकास हो सके।
सिचाई और उर्वरक की मात्रा
केसर की खेती में सिचाई की आवश्यकता होती है ,अगर कर को शुष्क क्षेत्रों में उगाया जाता है ,इसलिए सर्दियों के मौसम में 15 दिनों के अंतराल पर सिचाई करनी चाहिए। और गर्मियों की बात करे तो गर्मी में सप्ताह में 2 बार करनी चाहिए। और इसके अलावा बरसात के मौसम में आवश्यकता होने पर भी सिचाई करनी चाहिए।
उर्वरक खाद की बात करे तो खेत की जुताई के समय गोबर की सड़ी खाद डालनी चाहिए ,इसके अलावा आप रसायनिक खाद का प्रयोग भी कर सकते है। इसके लिए NPK की मात्रा का आखरी जुताई से पहले खेत में छिड़काव करना चाहिए।
खरपतवार नियत्रण
केसर की खेती में खरपतवार को प्रभाव अधिक होता है ,इसलिए खरपतवार के नियंत्रण की आवश्यकता होती है। बीज अंकुरण के समय में खेत में प्राकर्तिक तरिके से निराई – गुड़ाई करनी चाहिए। केसर के खेत में 20 से 25 दिनों के अंतराल पर निराई – गुड़ाई करनी चाहिए ,जिससे पौधे अच्छे से विकसित हो सकते है ,और अच्छी पैदावार दे सके।
उन्नत शील किस्मे
केसर की दो किस्मे ही पाई जाती है एक तो कश्मीरी मोंगरा किस्म और दूसरी अमेरिकन किस्म। कश्मीरी मोंगरा किस्म अधिक महंगी होती है। इस केसर की कीमत 3 लाख से भी अधिक पाई जाती है और इसके पौधे 20 से 25 cm की उचाई के पाए जाते है।
अमेरिकन केसर की बात करे तो यह कश्मीरी किस्म से कम कीमत पर पाया जाता है। इसको राजस्थान में उगाया जाता है। इनका रंग लाल होता है ,जब इसको तोडा जाता है।
रोग और रोकथाम के उपाय
केसर में बहुत कम रोग देखने को मिलते है ,जो इस प्रकार है –
एक तो बीज सड़न रोग जो केसर में ज्यादा देखने को मिलता है। जब पौधा अंकुरित होने लगता है तब यह रोग लगता है और उसको पूरी तरह से नष्ट कर देता है। इस रोग के रोकथाम के लिए 0.2 प्रतिशत सस्पेंशन कार्बेन्डाजिम का छिड़काव पौधे पर करना चाहिए। और दूसरा मकड़ी जाल रोग जब पौधे वृद्धि करते है तब यह रोग लगता है और उसके विकास को रोक देता है। इससे पौधे पर पैदावार का असर पड़ता है। इस रोग के रोकथाम के लिए पुराणी छाछ को पोधो पर छिड़काव करे।
केसर में पोषक तत्व ,जानिए
- प्रोटीन
- कार्बोहाइड्रेट
- कैल्शियम
- पोटैशियम
- पानी
- वसा
- फाइबर
- लोहा
- जस्ता
- मैगनीशियम
- मैंगनीज
- फास्फोरस
- सोडियम
केसर का प्रयोग
- पाचन के लिए केसर
- कोलेस्ट्रॉल के लिए केसर
- त्वचा के लिए केसर
- हर्ट के लिए केसर
- आंखों के लिए केसर
- अवसाद के लिए केसर
केसर की तुड़ाई करना और कीमत
आपको बता दे की केसर की तुड़ाई पौध रोपाई के 3 से 4 महीने के बाद करनी चाहिए ,जब केसर की पखुड़िया लाल या भगवा रंग की हो जाये तब इनको तोड़कर किसी छायादार स्थान पर सूखा लेना चाहिए ,जब केसर अच्छे से सुख जाये तब उनको किसी बर्तन में रखें।
केसर की कीमत की बात करे तो कश्मीरी केसर बहुत अधिक मात्रा में पैदावार देती है ,और अमेरिका केसर एक बीघा के खेत में एक किलो केसर मिलता है ,और इनके बाजारी बह्व की बात करे तो कश्मीरी केसर कम से कम 3 लाख के आस – पास होती है ,दूसरी और अमेरिकन केसर की बात करे तो इसका मूल्य 2 लाख के आस – पास मिलता है ,इस प्रकार किसान किसी भी केसर की खेती करे उनको काफी लाभ प्राप्त होगा।