नई दिल्ली: Subrata Roy Sahara Passes Away – सहारा इंडिया परिवार के प्रमुख और संस्थापक का निधन हो गया है। सहाराश्री 75 साल के थे और उनका निधन 14 नवम्बर 2023 को रात के 10.30 बजे हो गया है। आपको बता दें की सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय का निधन कार्डियोरेस्पिरेटरी अरेस्ट के चलते हुआ है।
सहारा ग्रुप की तरफ से आया बयान
सहारा इंडिया परिवार के प्रमुख और संस्थापक सुब्रत रॉय के निधन के बारे में सहारा ग्रुप की तरफ से एक बयान जारी करके बताया गया है। अपने बयान में सहारा ग्रुप की तरफ से कहा गया है की – “एक प्रेरणादायक नेता और दूरदर्शी सहाराश्री जी का 141 नवंबर 2023 को रात 10.30 बजे मेटास्टैटिक घातकता, उच्च रक्तचाप और मधुमेह से उत्पन्न जटिलताओं के साथ लंबी लड़ाई के बाद कार्डियोरेस्पिरेटरी अरेस्ट के कारण निधन हो गया। उन्हें भर्ती कराया गया था।” स्वास्थ्य में गिरावट के बाद 12 नवंबर 2023 को कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल एंड मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (KDAH) में।”
बिहार में जन्मे से सहाराश्री
सहारा इंडिया परिवार के प्रमुख और संस्थापक सुब्रत रॉय का जन्म बिहार के अररिया जिले में 10 जून 1948 को हुआ था। बिहार से निकलकर सहारा श्री ने भारत में वित्त, रियल एस्टेट, मीडिया और आतिथ्य जैसे खेत्रों में एक विशाल साम्राज्य को स्थापित किया। सुब्रत रॉय ने गोरखपुर के सरकारी तकनीकी संस्थान से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की शिक्षा पूरी की थी और 1976 में उन्होंने चिटफंड कंपनी सहारा फाइनेंस का अधिग्रहण किया था।
आगे चलकर सहारा प्रमुख ने सहारा फाइनेंस को सहारा इंडिया परिवार में बदल दिया था। समय के साथ सहारा इंडिया परिवार देश के प्रत्येक लोगों की जुबान पर चढ़ गया और पुरे भारत में सबसे बड़े समूह में से एक बन गया।
सहारा ग्रुप का फैलाव
सहारा इंडिया परिवार के प्रमुख और संस्थापक सुब्रत रॉय के नेतृत्व में सहारा ग्रुप ने कई व्यवसायों में विस्तार किया। समूह ने 1992 में हिंदी भाषा का समाचार पत्र राष्ट्रीय सहारा लॉन्च किया। 1990 के दशक के अंत में पुणे के पास महत्वाकांक्षी एम्बी वैली सिटी परियोजना शुरू की और सहारा टीवी के साथ टेलीविजन क्षेत्र में भी प्रवेश किया। आगे चलकर इसको सहारा वन का नाम दिया गया जो की आज भी चल रहा है। 2000 के दशक में सहारा ग्रुप ने लंदन के ग्रोसवेनर हाउस होटल और न्यूयॉर्क शहर के प्लाजा होटल जैसी प्रतिष्ठित संपत्तियों के अधिग्रहण के साथ अंतरराष्ट्रीय सुर्खियां बटोरीं।
एक समय ऐसा भी था जब सहारा इंडिया परिवार को टाइम पत्रिका ने भारतीय रेलवे के बाद भारत में दूसरे सबसे बड़े नियोक्ता के रूप में घोषित किया था। सहारा ग्रुप ने 1.2 मिलियन लोगों को रोजगार दिया हुआ था। सहारा समूह ने ये भी दावा किया था कि उसके पास 9 करोड़ से अधिक भारतीय निवेशक हैं जो पुरे देश के परिवारों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
सहारा श्री मुसीबत में
सहारा इंडिया परिवार के प्रमुख और संस्थापक सुब्रत रॉय को अपने जीवन में बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। 2014 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के साथ एक विवाद के संबंध में अदालत में उपस्थित होने के लिए कहा था लेकिन उपस्थित नहीं होने के कारण उनको हिरासत में लेने के आदेश जारी कर दिए।
इस गिरफ़्तारी के बाद से सहारा इंडिया परिवार के प्रमुख और संस्थापक सुब्रत रॉय को बहुत लम्बे समय तक तिहाड़ जेल में रहना पड़ा। इस दौरान उन्होंने बहुत लम्बी क़ानूनी लड़ाई लड़ी और आखिर उनको परौल पर रिहा कर दिया गया। उसके बाद से पूरा मामला सेबी की सहारा ग्रुप से निवेशकों को अरबों डॉलर वापस करने की मांग को लेकर ऐसी के आसपास घूमता रहता है।
निवेशकों को उनका पैसा रिफंड करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की तरफ से “सहारा-सेबी रिफंड खाता” स्थापित करवाया गया ताकि उस खाते से निवेशकों का पैसा वापस लौटाया जा सके। सहारा इंडिया परिवार के प्रमुख और संस्थापक सुब्रत रॉय को अपने जीवन काल में बहुत से पुरस्कार और सम्मान भी प्राप्त हुए थे।
ईस्ट लंदन विश्वविद्यालय से बिजनेस लीडरशिप में मानद डॉक्टरेट की उपाधि और लंदन में पॉवरब्रांड्स हॉल ऑफ फेम अवार्ड्स में बिजनेस आइकन ऑफ द ईयर पुरस्कार सहारा प्रमुख को मिले थे। इंडिया टुडे की तरफ से भी सहारा प्रमुख को भारत की सबसे शक्तिशाली लोगों की सूची में उनको नियमित रूप से शामिल कर लिया गया था।